जर्मन एकीकरण की याद
३ अक्टूबर २००९1987 में तब के अमेरिकी राष्ट्रपति रॉनल्ड रीगन बर्लिन के पश्चिमी हिस्से पहुंचे. वहां से उन्होंने रूस के राष्ट्रपति गोर्बाचोव को संबोधित करते हुए कहा, "मिस्टर गोर्बाचोव, इस दीवार को तोड़ डोलो."
बर्लिन की लंबी दीवार ने 28 वर्षों तक शहर को बांटे रखा. कई लोगों की नौकरियां चली गईं. कोई 1000 लोग पूर्वी हिस्से से पश्चिम की ओर भागने के प्रयास में दीवार फांदते हुए मारे गए. दीवार के बनने के बाद भी जीडीआर में सीमा को लेकर विवाद चलता रहा. 1989 के आते-आते पूर्वी जर्मनी के लोग अपने यहां की राजनीतिक स्थिति से पूरी तरह निराश हो गये थे. बर्लिन दीवार के पश्चिमी हिस्से में एक रॉक ग्रुप "यूरिदमिक्स" ने अपने गीतों का एक कॉंन्सर्ट आयोजित किया. पूर्वी हिस्से के लोग जब दीवार के पास आकर सुनने लगे तो पुलिस उन्हें वापस भेजने लगी.
दीवार को टूटे काफ़ी वक्त गुज़र गया है. और इस साल 20 वर्षों के एकीकरण का जश्न कई अलग तरहों से मनाया जा रहा है. बर्लिन में एक ड्रामा कंपनी ने दो विशालकाय कठपुतलियां बनाईं हैं जिनके अंदर घुसकर कलाकार शहर के अलग अलग कोनों से लोगों को इकट्ठा करते हुए राजधानी के केंद्रीय ब्रैंडनबर्ग गेट पर मिलेंगे. चेक गणराज्य से कुछ लोग गुरुवार को ही 1989 को पूरब से पश्चिम यूरोप की यात्रा को याद करते हुए निकल पड़े हैं. उनका स्वागत होगा बवेरिया राज्य के होफ़ शहर में, जैसा कि बीस साल पहले पूर्व से आने वाले जर्मन नागरिकों का हुआ था.
बीस साल में जर्मनी ने एक राष्ट्र की हैसियत से बहुत तरक्की की है और अंतरराष्ट्रीय समुदाय और राजनीति में अपनी एक पहचान बनाई है. लेकिन इसके साथ कुछ भारी ज़िम्मेदारियों को भी उठाना पड़ा है, जैसे कि आर्थिक मंदी में मार्गदर्शक का काम करना और अफ़ग़ानिस्तान के पुनर्निर्माण में एक अहम भूमिका निभाना. लेकिन इसके कुछ नुकसान भी हैं. जर्मन चुनावों और एकीकरण के वक्त अल क़ायदा से आने वाली धमकियां. और इस वजह से पूरे देश में आज के दिन सुरक्षा कड़ी कर दी गई है.
रिपोर्ट- एजेंसियां/एम गोपालकृष्णन
संपादन- ए जमाल