जर्मन अदालत तय करेगी बाइक पर सिखों को हेलमेट जरूरी या नहीं
४ जुलाई २०१९जर्मनी के लाइपजिग शहर में स्थित अदालत 4 जुलाई को सिख वाहन चालकों के लिए एक महत्वपूर्ण फैसला देने वाली है. कोर्ट यह तय करेगा कि दोपहिया वाहन चलाने वाले पगड़ीधारी सिखों को वाहन चलाते समय हेलमेट लगाना जरूरी होगा या नहीं. जर्मनी के दक्षिण में स्थित कोंस्टांस शहर ने एक सिख को बिना हेलमेट के पगड़ी पहने मोटरसाइकिल चलाने की अनुमति देने से मना कर दिया था. इस फैसले के खिलाफ प्रशासनिक मामलों की उच्चतम अदालत में अपील दायर की गई है. लाइपजिग स्थित अदालत आज इस पर फैसला देगी.
निचली अदालत ने पाया कि यह मामला जर्मन संविधान द्वारा दी गई धार्मिक आजादी और तीसरे पक्षों को दिए गए मनौवैज्ञानिक और शारीरिक सुरक्षा के अधिकार में टकराव का है. अदालत ने कहा कि हेलमेट पहने वाहन चालकों के दुर्घटनाग्रस्त होने पर उन्हें प्राथमिक उपचार और आपातकालीन सेवाओं के मिलने की संभावनाएं बेहतर होती हैं.
सिख धर्म में पगड़ी पहनने की एक परंपरा को दस्तार कहा जाता है. सिखों की धार्मिक मान्यताओं के अनुसार बाल नहीं काटने होते हैं. इन बालों को ढंकने के लिए उन्हें पगड़ी पहनना जरूरी होता है. पगड़ी पहनना सम्मान, स्वाभिमान और धार्मिक होने की निशानी माना जाता है. भारत, पाकिस्तान, कनाडा, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया में दोपहिया वाहन चलाते समय सिखों को हेलमेट ना पहनने की छूट है.
पाकिस्तान के पेशावर में इसी साल की शुरुआत में एक सिख बाइकसवार का चालान काट देने पर यातायात प्राधिकरण को माफी मांगनी पड़ी थी. प्राधिकरण ने इस मामले को अपने कर्मचारी की भूल बताया था. 2013 में ऑस्ट्रेलिया के क्वींसलैंड में भी इसी तरह का मामला सामने आया था जब एक मोटरसाइकिल चालक सिख पर हेलमेट ना पहनने पर जुर्माना लगा दिया गया था. इसके विरोध में सिख व्यक्ति जगदीप अटवाल ने कोर्ट में अपील दायर की. कोर्ट ने यातायात अधिकारियों को इस मामले में फटकार लगाई थी और जगदीप का जुर्माना खारिज कर दिया था.
2018 में भारत के सुप्रीम कोर्ट में भी एक याचिका आई. जगदीप सिंह पुरी ने अपनी याचिका में कहा कि एक साइकिल प्रतिस्पर्धा में उन्हें इसलिए भाग नहीं लेने दिया गया क्योंकि वहां हेलमेट पहनना जरूरी था और उन्होंने पगड़ी की वजह से हेलमेट पहनने से मना कर दिया. इस याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि सिख धर्म में बालों को ढक कर रखना जरूरी है. पगड़ी पहनना जरूरी नहीं है. क्रिकेट खिलाड़ी बिशन सिंह बेदी का उदाहरण देकर कोर्ट ने कहा कि क्रिकेट खेलते समय वो भी हेलमेट पहनते थे. साथ ही सैनिक भी युद्ध के समय हेलमेट पहनते हैं. मिल्खा सिंह ने अपने खेल में हिस्सा लेते समय कभी पगड़ी नहीं पहनी. इस बात का उदाहरण कोर्ट ने देकर कहा कि धर्म में पगड़ी पहनना जरूरी नहीं सिर ढंकना जरूरी है.
कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा कि नियम आपकी हिफाजत के लिए हैं. हेलमेट पहनना सुरक्षा के लिए है. अगर आप हेलमेट नहीं पहनेंगे और आपके सिर में चोट लग गई तो आप कहेंगे कि इस प्रतिस्पर्धा में सुरक्षा नियमों का पालन नहीं हुआ. आखिर में कोर्ट ने पूछा कि क्या पगड़ी पहनना सिख धर्म में जरूरी है. इस मामले में अभी फैसला नहीं आया है. अब जर्मनी में जर्मन अदालत तय करेगी कि दोपहिया वाहन चलाते समय यहां सिखों को पगड़ी पहनना जरूरी होगा या नहीं.
ऋषभ शर्मा (डीपीए)
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