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जजों को देना होगा संपत्ति का ब्यौरा

२७ जून २००९

भारत के कानून मंत्री वीरप्पा मोइली का कहना है कि जजों को अपनी संपत्ति का ब्यौरा देना होगा और इसके लिए सरकार जल्द ही संसद में विधेयक लाएगी. उन्होंने न्यायपालिका में सुधारों की भी बात कही है.

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मोइली ने की न्यायपालिका में सुधारों की वकालततस्वीर: www.inewsindia.com

जजों की संपत्ति के ब्यौरे के सूचना के अधिकार के अंतर्गत लाने से शुरू हुई बहस के बाद भारत सरकार ने साफ किया है कि जजों को अपनी संपत्ति का ब्यौरा देना ही होगा. शुक्रवार को केंद्रीय कानून मंत्री वीरप्पा मोइली ने कहा, ''जजों की संपत्ति के ब्यौरे को लेकर संसद में जल्द ही विधेयक लाया जाएगा.'' न्यायपालिका में सुधारों पर ज़ोर देते हुए मोइली ने साफ किया कि सरकार जजों के ख़िलाफ़ होने वाली शिकायतों को लेकर भी गंभीर है. मोइली ने कहा, ''जजों के ख़िलाफ़ हो रही शिकायतों को लेकर भी एक कानून बनाने पर विचार चल रहा है.''

इस दौरान मोइली ने कहा कि सरकार का मकसद न्यायपालिका पर निशाना साधना नहीं है. उनके मुताबिक सरकार और न्यायापालिका को एक दूसरे को सुधरने की सलाह देने का कोई मतलब नहीं है. कानून मंत्री के मुताबिक बात ज़िम्मेदारी और प्रतिबद्धता की है और ऐसा होना ही चाहिए. मोइली ने कहा कि सरकार और न्यायपालिका को भ्रष्टाचार के मु्द्दे पर ध्यान देना ही होगा.

सालों तक चलती लंबी अदालती कार्रवाई के बारे में चिंता ज़ाहिर करते हुए केंद्रीय कानून मंत्री ने कहा कि 15 साल से चले आ रहे मुकदमों को अगले तीन साल में निपटा दिया जाएगा. इसके लिए सीबीआई के अलावा कई पारिवारिक अदालतें लगाई जाएंगी.

दरअसल जजों की संपत्ति के ब्यौरे की बात सूचना के अधिकार और भ्रष्टाचार के मामले में कलकत्ता हाईकोर्ट के पूर्व न्याधीश सौमित्र सेन पर लगे आरोपों के बाद उठी. इसी दौरान उत्तर प्रदेश में गाज़ियाबाद कोर्ट के कुछ जजों पर भी भ्रष्टाचार के आरोप लगे. इनके चलते जजों की संपत्ति के ब्यौरे को लेकर सरकार ने कदम उठाने की शुरुआत की. हालांकि सुप्रीम कोर्ट पहले साफ कर चुका है कि मौजूदा कानूनों के तहत जजों को अपनी संपत्ति का ब्यौरा देने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है.

रिपोर्ट: एजेंसियां/ओ सिंह

संपादन: ए कुमार