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छत्तीसगढ़: जनता को लुभाने के लिए एक से एक वादे

क्रिस्टीने लेनन
२० नवम्बर २०१८

छत्तीसगढ़ राज्य अब व्यस्क हो चुका है. 18 साल पहले जब राज्य का निर्माण हुआ था, तब से लेकर अब तक हुए तीनों चुनावों में मुद्दे कमोबेश एक जैसे ही रहे हैं.

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Indien Landtagswahlen in Chhattisgarh
तस्वीर: IANS

छत्तीसगढ़ में मतदान को लेकर लोगों में उत्साह कोई नई बात नहीं है. हर बार की तरह इस बार भी यहां बीजेपी और कांग्रेस के बीच मुकाबला काफी करीबी होने की संभावना है. हालांकि अजीत जोगी और मायावती की जोड़ी कांग्रेस की उम्मीदों पर पानी फेर सकती है.

पार्टियों के प्रचार में महंगाई, भ्रष्टाचार, नक्सलवाद और धर्म की गूंज तो है, पर विकास का मुदा गौण हो चुका है. प्रमुख दलों ने शहर और ग्रामीण क्षेत्रों में प्रचार के लिए मुद्दे और रणनीति को बिल्कुल अलग रखा. ग्रामीण मतदाताओं के बीच शिक्षा, स्वास्थ्य और खेत खलियान से जुड़े मुद्दे हावी हैं. इसके साथ ही जातीय पहचान भी एक असरकारक मुद्दा है. शहरों में भ्रष्टाचार, बेरोजगारी, धर्म, राष्ट्रीय सुरक्षा और नक्सलवाद को लेकर पार्टियां अपना दृष्टिकोण मतदाताओं को समझा रही हैं.

कांग्रेस इस बार "उम्मीद से" है

राज्य के निर्माण के बाद से हुए किसी भी चुनाव में कांग्रेस को सफलता नहीं मिली है. लेकिन "कांग्रेस पार्टी इस बार उम्मीद से है". प्रचार के दौरान राष्ट्रीय मुद्दों पर खूब जोर दिया गया. भ्रष्टाचार को लेकर केंद्र की मोदी सरकार से लेकर राज्य की रमन सरकार को घेरने की पुरजोर कोशिश हो रही है. भ्रष्टाचार के दाग से स्वयं को मुक्त बता कर कांग्रेस पर हमेशा से हमलावर रही बीजेपी पहली बार बचाव की मुद्रा में है. रफाल रक्षा सौदा और पनामा पेपर्स सहित भ्रष्टाचार के कई मुद्दे कांग्रेस ने उठाए हैं.

Indien Landtagswahlen in Chhattisgarh
तस्वीर: IANS/PIB


2014 में केंद्र की सत्ता पर बैठने वाली बीजेपी ने अब तक हुए सभी चुनावों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को तुरुप के इक्के के रूप में इस्तेमाल किया है लेकिन छत्तीसगढ़ में ऐसा नहीं है. यहां मोदी के बजाय मुख्मंत्री रमन सिंह का चेहरा बीजेपी ने सामने रखा है और कांग्रेस इसी चेहरे पर भ्रष्टाचार के दाग गिना रही है.

पनामा पेपर्स में रमन सिंह के बेटे अभिषेक सिंह का नाम होने का मुद्दा कांग्रेस ने गरमाने की कोशिश की. वैसे, किसानों की कर्जमाफी को भी कांग्रेस ने बड़ा मुद्दा बनाया है. धान खरीद मूल्य बढ़ाने, बिजली बिल आधा करने और बेरोजगारों को भत्ता देने का वादा भी पार्टी कर रही है. कांग्रेस नेता वीरेंद्र सिंगला कहते हैं कि कांग्रेस जो कहती है वो पूरा करती है. मुख्यमंत्री रमन सिंह का कहना है, "राज्य में कांग्रेस की हालत इतनी खराब है कि जनता उसकी बातों को सुनने और मानने को तैयार नहीं है."

Indien Landtagswahlen in Chhattisgarh
तस्वीर: IANS/PIB

बीजेपी के हथियार

राष्ट्रीय और आंतरिक सुरक्षा के मोर्चे पर कांग्रेस को कमजोर बता रही बीजेपी रमन सरकार की वापसी को राज्य की स्थिरता के लिए जरूरी बता रही है. बीजेपी के 'पोस्टर बॉय' बन चुके यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने छत्तीसगढ़ में प्रचार करते हुए कांग्रेस की नीतियों पर प्रहार किया. उन्होंने राम मंदिर मुद्दे को उठाते हुए कहा, "जो राम का नहीं, वह किसी काम का नहीं."

अपने जनसंपर्क अभियान के दौरान बीजेपी मतदाताओं को यह समझाने का प्रयास कर रही है कि गरीबी, बेरोजगारी, आतंकवाद, नक्सलवाद, अलगाववाद और भ्रष्टाचार के लिए कांग्रेस पार्टी ही जिम्मेदार है. विकास के मोर्चे पर भी बीजेपी अपना रिकॉर्ड बेहतर बता रही है.

खाद्यान्न की सार्वजानिक वितरण प्रणाली को दुनिया के लिए मॉडल बताते हुए स्वास्थ्य और शिक्षा के लिए किए गए काम को गिना रही है. वैसे, बीजेपी अपनी ताकत से अधिक कांग्रेस की कमजोरी को मुद्दा बना रही है. कांग्रेस के पास मुख्यमंत्री का कोई चेहरा नहीं है, यह संदेश बीजेपी ने लगातार देने की कोशिश की है.

Indien Landtagswahlen in Chhattisgarh
तस्वीर: IANS

अजीत जोगी-मायावती का दांव

जोगी की छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस और मायावती की बसपा का गठबंधन कुछ सीटों पर मजबूत दावेदारी पेश कर रहा है. यह गठबंधन अजीत जोगी का चेहरा सामने कर जनता से लुभावने वादे कर रहा है. किसान, बेरोजगार और गरीबों के लिए सरकार की तिजोरी खोलने का वादा गठबंधन ने किया है. बेटी के जन्म पर पर अभिभवकों के खाते में एक लाख रुपये डालने का वादा कुछ अधिक लुभाने वाला है. बेरोजगार छात्र-छात्राओं को भत्ता देने का भरोसा भी दिलाया जा रहा है.

मतदान के प्रति लोगों में उत्साह तो है लेकिन पार्टियों से कोई खास उम्मीद नहीं है. मतदाता ही नहीं, पार्टियों के समर्थक भी अपनी पार्टियों और नेताओं के खोखले वादे से वाकिफ हैं. रायपुर निवासी अनिल गुप्ता बीजेपी की समर्थक पार्टी के प्रचार के तौर तरीकों से असहमत हैं पर बीजेपी को बाकी पार्टियों से बेहतर बताते हैं.

इसी तरह कांग्रेस समर्थक जोगेश्वर वर्मा जानते हैं कि पार्टी द्वारा किए जा रहे कुछ वादे पूरे नहीं हो पाएंगे. उनका कहना है, "सत्ता में बदलाव होते रहना चाहिए". कुछ इसी तरह का ख्याल एक निरपेक्ष मतदाता तुलेश्वर साहू का भी है. वे कहते हैं, "चुनाव के दौरान नेताओं की अकड़ काबू में रहती है, इसलिए चुनाव होते रहने चाहिए, यानी मतदाता कम से कम एक दिन का शहंशाह तो है ही.