चीन बहाना चाहता है दूध की नदियां
३ जून २०२१चीन में दूध की चाह बहुत बढ़ गई है. बाजार में मांग भी लगातार बढ़ रही है. और जब से डॉक्टरों ने कोरोना वायरस महामारी के दौरान सेहत के लिए दूध के फायदों के बारे में बात करनी शुरू की है, तब से तो पूरे देश में मिल्क फार्म बनाने की होड़ सी शुरू हो गई है. लेकिन एक समस्या है. चीन के पास गाय नहीं है. जिस तरह से मांग बढ़ रही है, चीन को कम से कम दस लाख गायों की जरूरत है, जो एक बड़ी चुनौती है.
चीन दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा दूध उत्पादक है. लेकिन पिछले साल देश में कुल उत्पादन यानी साढ़े तीन करोड़ टन दूध घरेलू मांग भी पूरी नहीं कर पाया और जरूरत से तीस फीसदी कम रह गया. एक तो करेला, उस पर नीम चढ़ाने का काम चारे की बढ़ती कीमतों ने कर दिया है, जो इस वक्त कई साल में सबसे ज्यादा ऊंचाई को छू रही हैं. जमीन और पानी की भी कमी हो रही है, जिस कारण दूध उत्पादन महंगा होता जा रहा है.
मांग में रिकॉर्ड बढ़ोतरी
बीजिंग स्थित कंसल्टेंसी फर्म बीजिंग ओरिएंट डेयरी के मुताबिक पिछले साल दूध के दाम रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गए थे और सरकार ने नई सब्सिडी भी दी, जिसका असर यह हुआ कि देश में दो सौ नए डेयरी फार्म बनाए जाने का ऐलान हो गया. फर्म के विश्लेषण के अनुसार नए फार्म प्रोजेक्ट्स में से 60 प्रतिशत ऐसे हैं जो दस हजार से ज्यादा गाय रखने वाले होंगे. यानी आने वाले सालों में 25 लाख गाय और चाहिए होंगी.
ये आंकड़े देखने से तो यही लगता है कि 62 अरब डॉलर की चीन का दूध बाजार और बड़ा होने वाला है. सरकार ने दूध और उसके फायदों का जबर्दस्त प्रचार किया है. इसका मकसद ग्रामीण दुग्ध उद्योग को मदद पहुंचाना भी था. यूं भी चीन में दूध का उपभोग बाकी देशों से काफी कम है. यूरोमॉनिटर इंटरनेशनल के मुताबिक अमेरिका में प्रति व्यक्ति दूध उपभोग 50 लीटर सालाना है जबकि चीन में सिर्फ 6.8 लीटर. यानी उपभोग और बाजार दोनों के बढ़ने की गुंजाइश है.
चायना मॉडर्न डेयरी होल्डिंग्स लिमिटेड के सीईओ गाओ लिना बताती हैं, "औसत प्रति व्यक्ति उपभोग अभी भी बहुत कम है. गुंजाइश तो बहुत है.” गाओ लिना कहती हैं कि लोगों ने, खासकर बच्चों ने और ज्यादा चीज़ खाना शुरू कर दिया है, जो मांग को और बढ़ाएगा. एक किलो चीज़ बनाने के लिए आमतौर पर दस किलो दूध की जरूरत होती है.
कीमती है दूध
वैसे, चीन में दूध की छवि ऐसी है कि आज भी इसे तोहफे के तौर पर दिया जाता है. ताजा दूध वहां लगभग दो डॉलर (करीब 145 रुपये) प्रति लिटर मिलता है, जो ब्रिटेन और अमेरिका के दामों से लगभग दोगुना है. चीन में दूध 240 मिलीलीटर के पाउच में मिलता है. पर अब ताजे दूध की मांग भी बढ़ रही है. 2020 के पहले 11 महीनों में ताजा दूध की मांग 21 प्रतिशत बढ़ी, जबकि पैकेट में आने वाले दूध की मांग 10.4 प्रतिशत.
यानी, ताजा दूध की मांग पूरी करने के लिए फार्म्स को आबादी के नजदीक लगाना होगा. मॉडर्न डेयरी जैसी कंपनियां बड़ी योजनाएं बनाए हुए हैं और अपनी गायों की संख्या पांच साल में दोगुनी यानी पांच लाख तक करना चाहती हैं. इसका एक तरीका नए फार्म बनाकर छोटे-छोटे फार्म्स को खरीदना भी है. लेकिन छोटे फार्म्स की योजनाएं भी छोटी नहीं हैं. शंघाई स्थित ब्राइट डेयरी एंड फूड कंपनी लिमिटेड का मकसद चार और फार्म बनाकर अपने 66 हजार गायों को 97 हजार तक ले जाना है.
इसके लिए उसे 80 करोड़ डॉलर यानी करीब 45 अरब रुपये की जरूरत होगी. बीजिंग ओरिएंट डेयरी के मुताबिक देश में जो नए फार्म बनना शुरू हो गए हैं, उन्हें 13 लाख 50 हजार गाय चाहिए. लेकिन इनमें से कुछ फार्म खाली ही रह जाएंगे. एक अनुमान के मुताबिक चीन के घरेलू मवेशियों से अगले दो साल में पांच लाख गाय मिलेंगी. अगर पिछले साल जितना आयात जारी रहता है तो अगले दो साल में चार लाख गाय आयात हो जाएंगी. पिछले साल ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड से चीन ने दो लाख बछड़ियां आयात की थीं.
लेकिन यह भी आसान नहीं है. न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया में निर्यात के दौरान मवेशियों के साथ होने वाली ज्यादतियों की खबरों के कारण चिंताएं बढ़ी हैं. न्यूजीलैंड ने तो अगले दो साल में गायों का निर्यात कम करने फैसला भी कर लिया है. चिली और उरुग्वे भी कुछ मात्रा में गाय निर्यात करते हैं लेकिन वहां से चीन की यात्रा दोगुनी है और उन नस्लों का उत्पादन भी कम है. इसलिए अब अन्य देशों जैसे अमेरिका और ब्राजील की ओर देखा जा रहा है.
वीके/सीके (रॉयटर्स)