घोड़ों के दीवाने
शादी में या महलों में ही नहीं यहां घोड़े आम जनजीवन का हिस्सा हैं. यूरोप में घोड़ों के दीवानों की कमी नहीं. इसका उदाहरण है हर साल आखेन में होने वाली राइडिंग प्रतियोगिता.
लंबी परंपरा
1924 से यहां कॉन्कोर्स हिपीक इंटरनेशनल ऑफित्सिएल (चिओ) नाम की घुड़सवारी प्रतियोगिता हो रही है. हर साल दस दिन चलने वाली इस प्रतियोगिता में घुड़सवार और घोड़े कमाल के करतब दिखाते हैं.
अद्भुत कला
शो जंपिंग के अलावा अहम प्रतियोगिता ड्रेसेज की होती है. यहां जर्मनी का दबदबा है. 2013 में हेलेन लांगेहानेनबैर्ग जीतीं. यह प्रतियोगिता 1955 से हो रही है और सिर्फ 13 बार ही ऐसा हुआ कि जर्मनी नहीं जीता हो. सबसे ज्यादा, आठ बार इजाबेल वैर्थ ने खिताब जीता.
खास प्रतियोगिता
खास प्रतियोगिता शो जंप, ड्रेसेज और एंड्यूरेंस राइडिंग का मिश्रण होता है. राइडिंग स्टेडियम में अलग अलग बाधाएं बनाई जाती हैं. और इसके बीच की दूरी काफी होती है जिसमें घोड़े को सरपट दौड़ना होता है.
जोखिम भरे करतब
घोड़ों को चोट लगने के खतरे के कारण एंड्योरेंस राइड हमेशा आलोचना का शिकार होती रही है. पशु रक्षा के लिए काम करने वाले संगठन निश्चित ही बंद करना पसंद करेंगे. घुड़सवारों के गिरने की आशंका भी कम खतरनाक नहीं है और कई बार जानलेवा भी.
सामूहिक मेहनत
चार घोड़ों की बग्घी के साथ भी अलग अलग प्रतियोगिताएं होती हैं. इसमें पुलों और पानी से गुजरना होता है कई मोड़ों से भी. बग्घी के पीछे की ओर साथी खड़ा होता है जो बग्घी का बैलेंस बनाए रखने की कोशिश करता है.
घोड़े पर कसरत
चिओ में सबसे नई प्रतियोगिता है वॉल्टिंग की. इसमें घुड़सवार को दौड़ते हुए घोड़े की पीठ पर कलाबाजी दिखानी होती है. उसे जंप करते हुए घोड़े के ऊपर नीचे से आते जाते कूद कर फिर सवार होना होता है.
स्विस साझेदार
इस साल प्रतियोगिता का साझेदार देश स्विट्जरलैंड है. यहां के मार्कुस फुक्स (2004), विली मेलिगर (1983) और पॉल वायर (1973) जंपिंग में विजेता रहे. ड्रेसेज में क्रिस्टिने श्टुकेलबैर्गर ने 1974 से 77 के बीच चार बार लगातार ये ग्रां प्री जीती.
बड़ी प्रतियोगिता
दुनिया भर से 350 घुड़सवार आमंत्रण पर अपने 550 घोड़ों के साथ यहां आते हैं. करीब साढ़े तीन लाख दर्शक इन्हें देखते हैं और पुरस्कार के तौर पर कुल 27 लाख यूरो दिए जाते हैं.