घोड़े का खेल यानि रईसों का शौक
३१ जुलाई २०१४चमड़े के महंगे हेलमेट, बूट और सफेद पतलून में खड़े युवक पेंग का कहना है, "नए क्लब खुल रहे हैं. ज्यादा लोग घोड़ों से जुड़े खेलों में शामिल हो रहे हैं. पोलो में भी. ज्यादा अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी पहुंच रहे हैं. यह तेजी से बढ़ रहा है."
फिलहाल डालियान के उत्तरी तट पर आराम की जिंदगी गुजार रहे पेंग इससे पहले कई सालों तक अमेरिका में रह चुके हैं. वह चीन के तेजी से उभरते रईसों में गिने जा सकते हैं. उन्हें घूमने फिरने और पश्चिमी तौर तरीकों का शौक है. आम तौर पर पैसों के साथ साथ चीन में लोग टेनिस और गोल्फ खेलना शुरू करते हैं और पैसे बढ़ने के साथ साथ स्की और पोलो तक पहुंच जाते हैं.
बड़ा विश्व बाजार
अंतरराष्ट्रीय कंपनियों के लिए भी चीन बड़ा बाजार बन रहा है. यहां भी स्विस घड़ियों के इश्तिहार चल रहे हैं. जून में शंघाई ने लॉन्जीनेस ग्लोबल चैंपियंस टूअर का आयोजन किया. इस पांचसितारा शोजंपिंग इवेंट को इंटरनेशनल इक्वेस्ट्रियन फेडरेशन पहले नंबर की प्रतिस्पर्धा मानता है.
घोड़ों के मामले में चीन का लंबा इतिहास रहा है. चेन का दावा है कि पोलो तांग साम्राज्य के वक्त शुरू हुआ लेकिन मॉडर्न पोलो ब्रिटेन की सेना ने भारत के रास्ते चीन तक पहुंचाया, "हम मानते हैं कि आधुनिक पोलो ब्रिटेन की देन है."
चीनी घोड़े पोलो के लिए बहुत अच्छे नहीं हैं. उन्हें बाहर से मंगाना पड़ता है. इस क्लब के ज्यादातर घोड़े अर्जेंटीना से आए हैं. चीन में 2005 तक सिर्फ 300 घोड़े आयात होते थे. अब यह संख्या 10 गुना बढ़ गई है. देश में अब 500 राइडिंग क्लब खुल चुके हैं.
लाखों के घोड़े
राजधानी बीजिंग में टैंगो पोलो क्लब के सदस्यों के पास अच्छी खासी जायदाद है. उसके डिप्टी चेयरमैन चेन जी कहते हैं, "पोलो खास है. सदस्यता पाने के लिए ही आपको धनी होना जरूरी है. इसके अलावा आपके पास हिम्मत भी होनी चाहिए क्योंकि यह एक तेज और खतरनाक खेल है."
इसमें हाथ डालने वाले आम तौर पर औसत से जरा ज्यादा धनी लोग हैं. जाहिर है कि अगर पोलो के घोड़े पर पांच लाख डॉलर खर्च करना पड़े, तो यह सबके बस की बात नहीं. इसके अलावा हर घंटे की ट्रेनिंग के लगभग 400 युआन (65 डॉलर) देने पड़ते हैं. चेन कहते हैं कि यह कोई निवेश नहीं, बल्कि शानदार जीवन जीने का जरिया है, "घोड़े भी इंसानों की तरह होते हैं. जब वे अपने चरम को पार कर लेते हैं, तो उनकी कीमत भी घट जाती है."
एजेए/एमजे (एएफपी)