गिलानी ने भारत से मदद लेने का बचाव किया
२२ अगस्त २०१०लाहौर में अपने आवास पर पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने कहा, ''मैं आलोचना करने वालों से पूछना चाहता हूं कि भारत से मिली मदद को किस आधार पर खारिज किया जाना चाहिए.'' गिलानी ने कहा कि मदद को अस्वीकार करना 'छोटी सोच' का प्रतीक है. पीएम के मुताबिक एक तरफ भारत से बातचीत बहाली की कोशिशें हो रही हैं, तो दूसरी तरफ मदद ठुकराने की मांग. गिलानी ने कहा कि ऐसे फैसलों से संबंध बढ़िया तो कतई नहीं होंगे.
पाकिस्तान ने कई दिनों के असंजमस के बाद भारत से 50 लाख अमेरिकी डॉलर की सहायता ली. पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की पार्टी पीएमएल-एन के सांसद राजा जफर कहते हैं, ''मीडिया रिपोर्टों के बाद विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने भी सार्वजनिक तौर पर कह दिया है कि अमेरिका ने पाकिस्तान पर भारतीय मदद स्वीकार करने का दबाव बनाया.''
विपक्षी नेता सरकार पर सवाल उठा रहे हैं. वे पूछ रहे हैं कि भारत की मदद स्वीकार करने या ठुकराने का फैसला आखिर सरकार खुद क्यों नहीं कर सकी. पूर्व विदेश मंत्री अब्दुल सत्तार कहते हैं, ''यह बात समझ में नहीं आ रही है कि भारत की मदद इतनी देर में क्यों ली गई.''
इन आलोचनाओं का जवाब देने अब खुद प्रधानमंत्री को सामने आना पड़ा है. गिलानी ने कहा, ''क्या यह परस्पर विरोधाभासी नहीं है कि एक तरफ हम बातचीत पर जोर दे रहे हैं और दूसरी तरफ मदद ठुकरा रहे हैं. हमें इस तरह की सोच से बाहर निकलना चाहिए और पाकिस्तान की एक अच्छी छवि पेश करनी चाहिए.''
मदद के लिए उन्होंने भारत को धन्यवाद दिया. गिलानी ने कहा, ''मैंने विदेश मंत्री से कहा कि वह इस मदद के लिए भारत सरकार को शुक्रिया कहें.'' पाकिस्तान का कहना है कि प्राकृतिक आपदा के समय नई दिल्ली और इस्लामाबाद हमेशा एक दूसरे की मदद करते हैं. न्यूयॉर्क में एक टेलीविजन चैनल से बातचीत में पाक विदेश मंत्री ने कहा, ''2005 में आए भूकंप में भी भारत ने हमारी मदद की थी. हमने भी भारत में आई प्राकृतिक आपदा में मदद दी. हम पड़ोसी हैं और ऐसे मौकों पर एक दूसरे की मदद करना हमारी आदत है. इस बार भी हम भारत की मदद का स्वागत करते हैं. पाकिस्तान इस मदद की तारीफ करता है.''
राजनीतिक बयानबाजी से दूर पाकिस्तान में बाढ़ से स्थिति अब भी गंभीर बनी हुई है. देश का 20 फीसदी हिस्सा पूरी तरह डूबा हुआ है. अब तक करीब 2,000 लोगों की मौत हो चुकी है. दो करोड़ लोग जान बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. इनमें 35 लाख बच्चे भी शामिल हैं.
रिपोर्ट: एजेंसियां/ओ सिंह
संपादन: वी कुमार