गंगा की सफाई के लिए वर्ल्ड बैंक से 7000 करोड़
१४ जून २०११मंगलवार को भारत सरकार और वर्ल्ड बैंक नदी की सफाई के लिए चलाए जा रहे राष्ट्रीय गंगा बेसिन परियोजना (एनजीआरबीए) के लिए सात हजार करोड़ रुपये के कर्ज के समझौते पर दस्तखत करेंगे. सोमवार को जारी एक आधिकारिक बयान में बताया गया कि इस कर्ज में 19.9 करोड़ अमेरिकी डॉलर ब्याज मुक्त राशि है जबकि 80.1 करोड़ डॉलर पर कम दर से ब्याज लिया जाएगा.
क्या क्या होगा
इस परियोजना के तहत एनजीआरबीए आधुनिक तकनीक से संपन्न गंगा नॉलेज सेंटर स्थापित करेगा. यह केंद्र गंगा के संरक्षण के लिए आधार की तरह काम करेगा. परियोजना के तहत सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट और सीवर लाइनें बिछाने में पैसा खर्च किया जाएगा ताकि प्रदूषण को रोका जा सके.
केंद्र और राज्यों के प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों को भी मजबूत बनाया जाएगा. उन्हें आधुनिक सूचना व्यवस्था उपलब्ध कराई जाएगी और स्टाफ को ट्रेनिंग दी जाएगी. गंगा के पानी की गुणवत्ता की जांच के लिए बनाई गई व्यवस्था को बेहतर बनाया जाएगा और प्रदूषण के सारे स्रोतों की खोज की जाएगी.
मरती जीवन रेखा
हिंदुओं की पवित्र नदी मानी जाने वाली गंगा को भारत में करोड़ों लोगों की जीवन रेखा कहा जाता है. इसके बेसिन देश के एक चौथाई पानी की सप्लाई करते हैं. इन्हीं बेसिन में 40 करोड़ यानी देश की एक तिहाई जनसंख्या रहती है. लेकिन गंगा को दुनिया की सबसे प्रदूषित नदियों में गिना जाता है.
भारत सरकार ने गंगा की सफाई के लिए 2009 में बड़ा अभियान शुरू किया था. इसेक तहत एनजीआरबीए स्थापित किया गया और बड़ी योजनाएं बनाई गईं. सरकार ने अरबों रुपये भी दिए हैं. लेकिन गंगा वैसी की वैसी है. सवाल यह है कि क्या पैसा बहाने से गंगा का पानी साफ हो सकता है.
रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार
संपादनः आभा एम