खतरनाक खुशबू
मनमोहक खुशबू कई बार खतरनाक साबित हो सकती हैं, खासकर उन लोगों के लिए जिन्हें इनसे एलर्जी है. देखें तस्वीरों में...
विशेष खुशबू
बलूत के पेड़ पर उगने वाली इस काई का इस्तेमाल कई कॉस्मेटिक उत्पादों और परफ्यूम में होता है. यूरोपीय संघ का कहना है कि इस पर और अन्य तेलों पर रोक लगा दी जानी चाहिए, क्योंकि इसका इस्तेमाल करने पर उपभोक्ताओं को गंभीर एलर्जी हो रही है.
प्राकृतिक लेकिन अवांछित
पेड़ की काई से लिए गए पदार्थों से तेज गंध आती है. कुछ इस गंध को पौरुष से जोड़ते हैं. इस उत्पाद को कई लोग बहुत पसंद करते हैं. लेकिन इसमें पाए जाने वाले रसायन गंभीर एलर्जी पैदा कर सकते हैं.
नुकसान की आशंका
यूरोपीय संघ दलील देता है कि मुद्दा अपने नागरिकों की सुरक्षा का है. पेड़ों से निकलने वाले इन द्रवों से कई लोगों को परेशानी होती है. फुंसियां, त्वचा के लाल होने की शिकायत या रैश पड़ने की परेशानी हो सकती है.
लैवेंडर
हो सकता है कि आने वाले दिनों में परफ्यूम के डिब्बे पर लिखना पड़े कि 127 एलर्जी पैदा करने वाले पदार्थों में से कुछ इस्तेमाल तो नहीं किया गया है. इसका मतलब है कि लैवेंडर, गुलाब या लौंग के रस का बहुत कम मात्रा में परफ्यूम्स में इस्तेमाल हो सकेगा.
अंदर क्या है
जिन लोगों को अक्सर एलर्जी होती है, वे इनके कारणों को जानते हैं. इसलिए कॉस्मेटिक उत्पादों पर इस्तेमाल वस्तुओं के बारे में लिखना फायदेमंद हो सकता है. फिर कोई भी तय कर सकता है कि नहाते समय वह मोगरे की खुशबू वाला साबुन इस्तेमाल करे या नहीं.
इंडस्ट्री को नुकसान
कॉस्मेटिक उद्योग और परफ्यूम बनाने वाले ईयू के इस प्लान को बहुत ध्यान से देख रहे हैं. क्योंकि पेड़ों से लिए गए पदार्थ कई उत्पादों में होते हैं. शनेल नंबर 5 नाम के परफ्यूम में मोगरा और ओकमॉस की बहुत ज्यादा मात्रा है. हो सकता है ईयू इस पर रोक लगा दे.
अनजान खतरे
गुलाब के तेल की खुशबू इतनी मोहक इसलिए होती है क्योंकि इसमें 400 अलग अलग अणु होते हैं. इसलिए इसे अक्सर परफ्यूम में इस्तेमाल किया जाता है. लेकिन इतने सारे अणुओं के कारण इस पर ईयू की तलवार मंडरा रही है.
उद्योग का खात्मा
नए ईयू कानून 2014 से लागू होंगे. तब इत्र उद्योग को अपने फॉर्मूला पूरी तरह बदलने होंगे और कई उत्पादों को बाजार से हटाना होगा. इत्र उद्योग परफ्यूम की तरह सिथेंटिक सेंट्स का इस्तेमाल नहीं कर सकता.
किसानों को नुकसान
इन ईयू नियमों से अगर किसी और को नुकसान होगा तो वह हैं इन पौधों और फूलों को उगाने वाले किसान. वो किसान जो गुलाब, मोगरा, लैवेंडर की खेती करते हैं या फिर चंदन बेचते हैं. ये काम ट्यूनीशिया, मिस्र और अफगानिस्तान में बहुत होता है.