क्लिंटन पाकिस्तान में, एजेंडे में हक्कानी नेटवर्क
२० अक्टूबर २०११अपनी राजनयिक ताकत का प्रदर्शन करने के लिए अमेरिका ने राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े अपने ज्यादातर वरिष्ठ अधिकारियों को पाकिस्तान भेजा है ताकि एकजुटता के साथ यह भी संदेश दिया जा सके कि पाकिस्तान पर दबाव किसी भी तरह कम नहीं हुआ है.
पेट्रेयस और नए अमेरिकी सेना प्रमुख मार्टिन डेम्पसे भी क्लिंटन के साथ पाकिस्तान दौरे पर होंगे. वॉशिंगटन और क्षेत्र में मौजूद कई अधिकारियों ने यह बात कही है. इस दौरे में क्लिंटन के साथ मौजूद अन्य अधिकारियों में अफगानिस्तान और पाकिस्तान के लिए अमेरिकी विदेश मंत्रालय के विशेष दूत मार्क ग्रोसमैन और राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद से जुड़े डग ल्यूट भी शामिल हैं.
एजेंडे में हक्कानी नेटवर्क
जानकार कहते हैं कि इतने सारे अधिकारियों को पाकिस्तान भेजने का मकसद यह दिखाना है कि अमेरिकी एजेंसियों में पूरी तरह तालमेल है और उन्हें पाकिस्तान में अपने हितों की चिंता है. एक पूर्व अमेरिकी सैन्य अधिकारी के मुताबिक खास कर इस वक्त हक्कानी नेटवर्क की तरफ से पेश चुनौती के मद्देनजर एकजुट हो कर संदेश देना बेहद जरूरी है क्योंकि यह उग्रवादी गुट अफगान-पाकिस्तान सीमा के दोनों तरफ से काम कर रहा है.
सुरक्षा चिंताओं को देखते हुए किसी भी सरकार की तरफ से इस तरह की बैठक की घोषणा नहीं की गई, लेकिन इसमें इस अमेरिकी मांग पर ही मुख्य रूप से ध्यान दिया जाएगा कि पाकिस्तान हक्कानी नेटवर्क के खिलाफ कार्रवाई करे.
लगभग तीन दशकों से हक्कानी नेटवर्क ने पाकिस्तान के उत्तरी वजीरिस्तान जिले के मीरान शाह में अपना मुख्यालय बना रखा है. हाल में ड्रोन हमलों में अमेरिका ने हक्कानी नेटवर्क के कुछ कमांडरों को मारने में कामयाबी हासिल की है. नाटो और अमेरिका तालिबान से जुड़े इस गुट को अफगानिस्तान में सबसे बड़ा दुश्मन समझते हैं और पाकिस्तान पर इसकी मदद करने का आरोप लगाते हैं. हाल में इस तरह के आरोप लगे कि पाकिस्तान ने अफगानिस्तान की सीमा पर रॉकेट दागे ताकि ये उग्रवादी सीमापार कर सकें.
कार्रवाई का दबाव
पाकिस्तान हक्कानी नेटवर्क का साथ देने के आरोपों को ठुकराता है. अमेरिकी इल्जामों से नाराज पाकिस्तानी सेना उत्तरी वजीरिस्तान में कोई भी अभियान शुरू करने से इनकार कर रही है. उसका कहना है कि इससे कबायली युद्ध शुरू हो जाएगा जिसे काबू करना पाकिस्तान के बस में नहीं होगा.
वॉशिंगटन में तीन वरिष्ठ अमेरिकी अधिकारियों के मुताबिक पाकिस्तान को यह संदेश दिया जाएगा कि अमेरिका अब भी उसके साथ रणनीतिक संबंध चाहता है और इसी बात का भरोसा दिलाने के लिए यह बैठक हो रही है. लेकिन कई दूसरे अधिकारी कहते हैं कि सहयोग के संदेश के साथ अमेरिका की उस गहरी चिंता और हताशा को भी जाहिर किया जाएगा जो हक्कानी नेटवर्क के खिलाफ कार्रवाई करने के पाकिस्तान के इनकार से पैदा हुई है.
अमेरिकी अधिकारी पहले ही पाकिस्तान से कह चुके हैं कि अगर उसने हक्कानी नेटवर्क के खिलाफ कार्रवाई नहीं की तो अमेरिका ऐसा करेगा. वहीं पाकिस्तान का रुख भी इस बारे में सख्त है. सेना प्रमुख अश्फाक कयानी का कहना है कि अमेरिका को कोई भी एकतरफा कार्रवाई करने से पहले '10 बार' सोचना होगा. 2 मई को अमेरिका ने पाकिस्तान के एबटाबाद में एकतरफा कार्रवाई कर अल कायदा नेता ओसामा बिन लादेन को मार गिराया. पाकिस्तान ने इसे अपनी संप्रभुता का उल्लंघन माना और तभी से दोनों देशों के रिश्तों में स्पष्ट दरार आ गई है.
रिपोर्ट: रॉयटर्स/पीटीआई/ए कुमार
सपादन: ईशा भाटिया