क्यों करवा रहा है अमेरिका बच्चों का डीएनए टेस्ट?
६ जुलाई २०१८अवैध आप्रवासियों को लेकर "जीरो टॉलरेंस" की नीति अपनाने वाले अमेरिका की सीमा पर बच्चों को बंदी बनाए जाने के फैसले की दुनिया भर में आलोचना हुई. इसके बाद अमेरिकी प्रशासन ने आप्रवासी बच्चों को परिवार से अलग ना करने का आदेश दिया. लेकिन अब अधिकारियों के सामने इन बच्चों को उनके मां-बाप से मिलवाने की चुनौती है. इसी काम को पूरा करने के लिए अमेरिका डीएनए टेस्ट का सहारा ले रहा है. स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि यह टेस्ट इसलिए जरूरी है ताकि कोर्ट की तय समय सीमा में ही बच्चों को उनके परिवार से मिलाया जा सके.
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अमेरिका के स्वास्थ्य मंत्री एलेक्स अजार ने कहा, "डीएनए टेस्ट इसलिए हो रहा है ताकि मां-बाप की पहचान जल्दी और सही ढंग से की जा सके. अदालत ने चार साल से कम उम्र के बच्चों को उनके माता-पिता से 10 जुलाई तक और 5 से 17 साल के बच्चों को 26 जुलाई तक मिलवाने की सयमसीमा तय की है.
अजार ने बताया कि अभी तकरीबन 11,800 बच्चे अमेरिकी कस्टडी में रह रहे हैं. इसमें से 80 फीसदी टीनएजर हैं, जिसमें से अधिकतर किशोर लड़के हैं जो खुद अमेरिका आ गए. हालांकि स्वास्थ्य मंत्री ने कोई भी ठोस आंकड़ा देने से इनकार कर दिया. लेकिन ये जरूर कहा कि यहां रह रहे 3000 से भी कम बच्चे नाबालिग हैं. इससे पहले ट्रंप प्रशासन ने कहा था कि सिर्फ 2000 हजार बच्चे ही उनके पास रह रहे हैं.
आलोचकों को एतराज
दूसरी तरफ, आलोचक अमेरिकी सरकार के इस कदम को सही नहीं मानते. उनके मुताबिक डीएनए टेस्ट के लिहाज से बच्चों की उम्र काफी कम है. आलोचक कहते हैं कि इससे साफ है कि सरकार ने कभी लोगों का ब्यौरा अच्छे से नहीं रखा.
आप्रवासी परिवारों के लिए काम करने वाली सामाजिक कार्यकर्ता जेनिफर फेलकॉन इसे गलत मानती हैं. वे कहती हैं, "परिवारों से मिलवाने के इस नाटक में वह इन बच्चों से जुड़ी और भी संवेदनशील जानकारी जुटा लेंगे."
इस बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप का एक बार फिर आप्रवासी मुद्दे पर गुबार फूट पड़ा. लगातार ट्वीट करते हुए ट्रंप ने देश के कानून निर्माताओं से अच्छा, स्मार्ट, तेज और उचित आप्रवासन कानून पारित करने को कहा है.
एए/एके (एएफपी)