कौन खरीदेगा हुम्बोल्ट की डायरियां
२९ मई २०१३"यदि दुनिया को समझना है तो यात्रा करनी चाहिए और नए इलाकों को देखना चाहिए", अलेक्जांडर फॉन हुम्बोल्ट का यही लक्ष्य रहा और वह भी पूरे नतीजे के साथ. वे पहाड़ों और ज्वालामुखी के विशेषज्ञ के तौर पर इक्वाडोर में 6300 मीटर ऊंचे चिम्बोराजो पर चढ़े, प्रकृति के शोधकर्ता के रूप में गुयाना के जंगलों में कीड़ों के हमले सहे और उन्हें इकट्ठा किया. उन्होंने मेक्सिको, पेरू और कोलंबिया में समुद्र तटों की स्थिति और ऊंचाई नापी और जहां भी गए, वहां का तापमान भी रिकॉर्ड किया.
आंकड़ों को जुटाने की धुन में रहने वाली रूमानी तबीयत के हुम्बोल्ट जंगलों की शाम में पशु पक्षियों की आवाजों से पैदा होने वाले कंसर्ट का आनंद लेने से भी बाज नहीं आते. शोधकर्ता के रूप में हुम्बोल्ट 1799 में दक्षिण अमेरिका पहुंचे. पांच साल बाद 1804 में जब वे यूरोप के लिए विदा हुए तो दक्षिण अमेरिका के दोस्त बन चुके थे. वेनेजुएला के प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी सीमोन बोलिवार ने उन्हें उप महाद्वीप का असली खोजकर्ता कहा था. दोनों यूरोपीय उपनिवेशवाद की निंदा में एकमत थे.
कलाकृति डायरी
हुम्बोल्ट की खोजें किस तरह से आगे बढीं, वह डायरी में एक एक कर अंकित है. जब भी उन्हें समय मिलता, वे मापों को डायरी में लिखते. उस दिन हुए अनुभव लिखते. उन्होंने मौके पर किए गए रिसर्च के आधार पर 3342 पेज की डायरी लिखी, जिसमें वैज्ञानिक रिपोर्टें भी हैं. डायरी मुख्य रूप से फ्रांसीसी भाषा में लिखी गई है. लेकिन जर्मन और कभी कभी लैटिन में भी. इसके अलावा डायरी में उनके हाथों से किए गए स्केच तथा चिपकाई गई कलाकृतियां भी हैं.
नौ भागों में लिखी गई डायरियां यात्रा किए गए देशों के दस्तावेजों से कहीं अधिक हैं. बर्लिन ब्रांडेनबुर्ग साइंस अकादमी के हुम्बोल्ट रिसर्च सेंटर के प्रमुख एबरहार्ड क्नोब्लाउख के अनुसार वे "किसी विश्व यात्री द्वारा लिखी गई सिर्फ सबसे व्यापक ही नहीं हैं, बल्कि सबसे प्रसिद्ध डायरियां भी हैं." इसलिए जब पता चला कि हुम्बोल्ट की डायरियां बेची जाएंगी तो बड़ा हंगामा हुआ. हालात अनुकूल न होने पर उन्हें सबसे ज्यादा बोली लगाने वाले को बेचा जा सकता है. और तब वे किसी अनजान आदमी के निजी सेफ में गुम हो सकती हैं.
इन डायरियों का एक इतिहास भी है. द्वितीय विश्व युद्ध के बाद उन्हें पूर्वी जर्मनी की राष्ट्रीय लाइब्रेरी में सार्वजनिक रूप से रखा गया था. 2005 में उन्हें हुम्बोल्ट के उत्तराधिकारी हाइंस परिवार को वापस कर दिया गया. चूंकि उस समय परिवार ने डायरियों को आम लोगों के लिए उपलब्ध रखने का आश्वासन दिया था, उसे गलती से राष्ट्रीय सांस्कृतिक धरोहरों की सूची पर नहीं डाला गया. एक बड़ी गलती, क्योंकि उसकी वजह से उत्तराधिकारी डायरियों को बिना बाधा के विदेश ले गए, जहां अब उसकी बोली लगने वाली है.
इस समय हाइंस परिवार प्रशियन सांस्कृतिक धरोहर न्यास के साथ डायरियों की खरीद पर बात कर रहा है. लेकिन मांग बहुत ज्यादा है, दसियों लाख यूरो. जबकि धनी जर्मनी में भी सरकारी बजट असीमित नहीं है. यदि दोनों के बीच कोई समझौता नहीं होता है तो डायरियों में दिलचस्पी लेने वाले धनी बोली लगाने वालों की कमी नहीं है. ऐतिहासिक शख्सियतों के हस्तलिखित दस्तावेजों की नीलामी करवाने वाले वोल्फगांग मैक्लेनबुर्ग कहते हैं, "खास कर अलेक्जांडर फॉन हुम्बोल्ट जैसी हस्तियों के लिए, जिनकी दक्षिण अमेरिका में बहुत ख्याति है."
हुम्बोल्ट किंवदंती
सचमुच दक्षिण अमेरिका में हुम्बोल्ट नाम की चमक जारी है. वहां लोग उनकी वैज्ञानिक उपलब्धियों को ही याद नहीं करते बल्कि उपनिवेशवाद और दासता के खिलाफ उनके समर्थन को भी. हुम्बोल्ट विशेषज्ञ एबरहार्ड क्नोब्लाउख कहते हैं, "वहां रेड इंडियंस दोयम दर्जे के इंसान थे, जबकि कैथोलिक मिशनरी राजा की तरह पेश आते थे और स्थानीय लोगों से बच्चों जैसे बर्ताव करते थे. उन्होंने खुले आम दासता का विरोध किया, क्योंकि उनके लिए सभी बराबर थे, चाहे वे किसी नस्ल के हों."
फिर भी उनके राजनीतिक विचारों की सीमा थी. उन्हें उस समय के शासकों के साथ समझौता करना पड़ता था. प्रशिया के सामंती परिवार और प्रशिया के राजनीतिक वर्ग का हिस्सा होने के कारण वे राजा को निष्ठा दिखाने को बाध्य थे. और वे फ्रांसीसी क्रांति के समता के सिद्धांत को बेकार समझते थे. स्पेनी सम्राट ने उन्हें धन और यात्रा की अनुमति दी थी और बदले में भूगर्भ में छिपे खनिज के बारे में जानकारी चाहते थे. क्नोब्लाउख कहते हैं, "उन्हें इस खतरे का पता था कि उनकी जानकारी का ऐसा इस्तेमाल किया जा सकता है, जो वह नहीं चाहते. लेकिन वे इसे अपना कर्तव्य समझते थे."
क्नोब्लाउख का मानना है कि इन सीमाओं के बावजूद उस समय की और हुम्बोल्ट की राजनैतिक हैसियत को देखते हुए उनके राजनीतिक विचार बहुत प्रगतिवादी थे. उनके वैज्ञानिक शोध में भी उनकी शैक्षणिक भावना की झलक मिलती है. सेक्सटेंट, बैरोमीटर और थर्मामीटर से लैस हुम्बोल्ट ने दुनिया के उस इलाके को ऐसे नापा जैसा उनसे पहले खगोलविज्ञानी करते थे. उन्होंने दूरबीनों से तारों की गतिविधियों को मापा था और इस तरह दुनिया की नई व्याख्या तक पहुंचे थे.
आम शिक्षा के कारण हुम्बोल्ट को गणित, ज्वालामुखी, जीवाश्म और मौसम विज्ञानों की जानकारी थी, उन्होंने जमा किए गए आंकड़ों को इस तरह जोड़ा जो आज इंटरडिसीप्लिनरी अध्ययन माना जाता है. क्नोब्लाउख कहते हैं कि यह बात उनके द्वारा स्थापित प्लांट ज्योग्राफी में दिखती है. "उनका कहना था कि यह काफी नहीं कि मैं भूगोलवेत्ता हूं और मेरी दिलचस्पी पहाड़ों के आकार में है, मुझे साथ ही देखना होगा कि यहां के पेड़ पौधे कैसे दिखते हैं." और तब पता चला कि चीजें एक दूसरे से जुड़ी हुई हैं, खास जगह पर और खास ऊंचाई पर सिर्फ खास पौधे ही होते हैं.
दक्षिण अमेरिका से वापस यूरोप लौटने के बाद ये डायरियां हुम्बोल्ट के लिए जीवन भर के प्रोजेक्ट की तरह हो गईं, जिनका वे सालों तक इस्तेमाल करते रहे. आज भी उस डायरी में दर्ज ठोस आंकड़े हुम्बोल्ट पर रिसर्च करने वालों के अलावा दूसरों के लिए भी दिलचस्प हैं. मसलन मौसम पर शोध करने वालों के लिए जिन्हें उनसे उस समय बर्फबारी के इलाकों का पता चलता है या फिर पानी के तापमान का. और इन सूचनाओं को सभी शोधकर्ताओं के लिए उपलब्ध कराने के लिए उनका आज के तरीकों से संपादन जरूरी है. इस समय वे सिर्फ माइक्रो फिल्मों पर उपलब्ध हैं. ये डायरियां आम लोगों के लिए उपलब्ध होंगी या नहीं ये उसकी खरीद के लिए चल रही बातचीत पर निर्भर है.
रिपोर्ट: निल्स मिषाएलिस/एमजे
संपादन: ए जमाल