फ्रांस की वो डिजाइनर जो पांच सितारा होटल में रहती थी
११ जनवरी २०२१10 जनवरी 1971 रविवार का दिन था. यूरोप में इस छुट्टी के दिन को बहुत संजीदगी से लिया जाता है. लोग काम से दूर रहते हैं. लेकिन कोको शनैल रविवार होने के बावजूद काम में लगी थीं. उन्हें अपनी नई कलेक्शन पूरी करनी थी. उस वक्त उनकी उम्र 87 साल थी. फैशन की चकाचौंध वाली दुनिया में बुजुर्गों के लिए कोई जगह नहीं होती. लेकिन कोको शनैल अपनी ऐसी जगह बना चुकी थीं जिसे कोई चुनौती नहीं दे सकता था.
अचानक रात को नौ बजे उनके गुजरने की खबर आई. शनैल पेरिस के पांच सितारा होटल में रहा करती थीं. रिट्स नाम के इस होटल में उनके नाम का स्वीट हमेश बुक रहता था. उनका कोई परिवार नहीं था. इसलिए अपनी आखिरी सांसें उन्होंने अकेले ही होटल के कमरे में लीं.
आखिरी बार उनके स्टाफ ने उन्हें एक दिन पहले देखा था जब वे देखने आई थीं कि उनके डिजाइन किए कपड़े ठीक से बने हैं या नहीं. शनेल परफेक्शनिस्ट थीं. कपड़े की क्वॉलिटी से लेकर बटन तक, वे हर चीज पर ध्यान देती थीं. जिस फैशन कलेक्शन पर वे काम कर रही थीं, उनकी मौत के दो हफ्ते बाद उसे दिखाया भी गया.
औरतों को पहनाई पैंट्स
आज की पीढ़ी शायद शनैल को सबसे ज्यादा सिर्फ परफ्यूम के लिए ही जानती है लेकिन शनैल वह शख्स थीं जिन्होंने पश्चिमी फैशन में क्रांति ला दी. उनकी सबसे बड़ी सफलता थी "लिटल ब्लैक ड्रेस" - एक सीधी शालीन सी काले रंग की ड्रेस जो आज के लिए बिलकुल भी खास नहीं है लेकिन जिस जमाने में शनैल ने इसे पेश किया था उस जमाने में यह फेमिनिस्ट मूवमेंट की निशानी बन गई थी.
पश्चिमी जगत में महिलाएं बड़ी बड़ी ड्रेस पहना करती थीं जिनमें वे तंग कॉर्सेट के अंदर कैद होती थीं. फ्रांस की शनैल ने उन्हें इस कैद से छुड़वाया और महिलाओं के लिए पुरुषों जैसे लिबास बनाए. शनैल की ही बदौलत आज महिलाएं पतलून पहनती हैं. सिर्फ कपड़े ही नहीं, जूतों से लेकर हैंडबैग और जूलरी तक, शनैल ने सब बदल कर रख दिया.
फैशन जगत में इतनी बड़ी क्रांति लाने वाली शनैल के जीवन में एक काला अध्याय भी था. फ्रांस में कई लोगों का मानना था कि दूसरे विश्व युद्ध के दौरान उन्होंने नाजियों का साथ दिया. फ्रांस में शनैल जितनी लोकप्रिय रहीं, उतनी ही विवादों में भी घिरी रहीं. इसी कारण वे फ्रांस छोड़ कर स्विट्जरलैंड में जा कर रहने लगीं. और इसी कारण उनके नाम से पेरिस में पहली प्रदर्शनी लगने में उनकी मौत के बाद भी पांच दशक लग गए.
अनाथालय से फाइव स्टार तक का सफर
शनैल ने 1937 में होटल रिट्स में रहना शुरू किया. होटल के दूसरे माले पर वह जिस स्वीट में रहती थीं वह 188 वर्ग मीटर का था. इसमें दो बैडरूम और एक हॉल था. आलीशान फर्नीचर और सोफे वाले इस स्वीट में इन्होंने जिंदगी के कुछ 35 साल बिताए. बीच में जब वे फ्रांस छोड़ कर स्विट्जरलैंड गईं, तब भी यह अपार्टमेंट उन्हीं के नाम पर रहा.
मौत से पहले वे कह गईं थी कि उनके कमरे में कोई ना आए. बस उनकी बहन के बच्चों को मृत शरीर को देखने की इजाजत दी गई. उनके स्टाफ का कहना था कि अपने आखिरी दिनों में उन्होंने इतनी जल्दबाजी में कलेक्शन का सारा काम कराया जैसे वे जानती हों कि उनका वक्त करीब ही है और जाने से पहले वे सारा काम खत्म करना चाहती थीं.
तीन दिन बाद 13 जनवरी को उनके अंतिम संस्कार के लिए पेरिस के चर्च के बाहर खूब भीड़ जमा हुई. उनके सभी 250 कर्मचारियों के अलावा, फैशन जगत के सभी बड़े नाम वहां मौजूद थे. उनके बाद मशहूर जर्मन डिजाइनर कार्ल लागरफेल्ड ने उनका काम संभाला और उनकी कंपनी को 100 अरब डॉलर की कंपनी में तब्दील किया.
कोको शनैल ने अपनी जिंदगी के शुरुआती साल अनाथालय में बिताए थे. वहां से फाइव स्टार तक का उनका सफर किसी परीकथा जैसा है. ना केवल उन्होंने महिलाओं को पतलून पहनना सिखाया, बल्कि बालों को छोटा काटना भी. फैशन में रिस्क लेने से और जिंदगी में बंदिशों को तोड़ने से वे कभी पीछे नहीं हटीं.
ईशा भाटिया (एएफपी)
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