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कैसे बचाएं पशु पक्षी

६ मार्च २०१३

विलुप्त होने का खतरा झेल रहे जानवरों और पौधों को बचाए रखने का एक रास्ता है इनके संरक्षण की खास संधि बनाना. इसके जरिए खतरे में पड़े पौधों और पशु पक्षियों पर नियंत्रण रखा जा सकता है.

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तस्वीर: picture alliance/dpa

विलुप्त होने की कगार पर आ चुके पेड़ पौधों और जानवरों को बचाने के लिए एक खास संधि की गई है, सीटेस. अब तक 177 देशों ने इस संधि पर हस्ताक्षर किए हैं. और इन सभी देशों में परंपराएं अलग हैं, इन सब की सोच अलग है. इन्हें इस बात पर एकमत होना होगा कि वे किन जानवरों और पौधों को संरक्षित करना चाहते हैं. अगर किसी एक जीव को कनवेंशन की सूची में शामिल करने का प्रस्ताव आता है तो दो तिहाई सदस्यों को इसपर अपनी सहमति देनी होती है. इस सूची में गोरिल्ला, व्हेल, कछुए, मूंगे और ऑर्किड शामिल हैं. अब तक 50,000 जानवर और करीब 29,000 पौधे संरक्षित सूची में आते हैं.

मछली उद्योग की ताकत

3 से लेकर 14 मार्च तक बैंकॉक में सीटेस बैठक चल रही है. इस बार मुद्दा है समुद्र में मछली पकड़ना. बड़े मछुआरे अपने जहाजों से बड़े जाल फेंकते हैं जिससे कुछ ही मिनटों में मछलियों के बड़े झुंड को पकड़ा जा सकता है. रोजाना बड़ी संख्या में मछलियां पकड़े जाने से उनकी संख्या लगातार कम होती जा रही है. मिसाल के तौर पर नीले परों वाली टूना मछली. शोध के मुताबिक अब पहले के मुकाबले इन मछलियों का केवल दस प्रतिशत बचा है. इसमें से ज्यादातर मछलियां जापान में लोगों के मेजों पर पहुंचती हैं और सूशी बनाकर खाई जाती हैं.

2010 के सीटेस समारोह में इन टूना मछलियों के पकड़ने पर रोक लगाने के लिए एक प्रस्ताव को जारी किया गया. लेकिन जापान और चीन के विरोध ने इस पर अड़ंगा डाल दिया. जर्मन पर्यावरण मंत्रालय में विलुप्त होते जानवरों पर काम कर रहे गेरहार्ड आडम्स कहते हैं कि जापान ने इस प्रस्ताव को रोकने के लिए अपने कूटनीतिक तरीकों का खूब इस्तेमाल किया.

हरा भरा व्यापार

डब्ल्यूडब्ल्यूएफ में काम कर रहे फोल्कर होमेस को सीटेस से बड़ी उम्मीदें हैं. वो कहते हैं कि यह एकमात्र ऐसा अंतरराष्ट्रीय समझौता है जिसके जरिए प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं. सीटेस विलुप्त हो रही नस्लों के आयात पर प्रतिबंध लगा सकता है और विलुप्त हो रहे पशु पक्षियों में व्यापार कर रहे देशों पर रोक लगा सकता है. खास तौर पर जापान के देशों पर, जो आयात पर निर्भर हैं. "इस वजह से जापानी बड़े संवेदनशील रहते हैं अगर कोई उन्हें बताने की कोशिश करे कि वे क्या पकड़ सकते हैं और कितना आयात कर सकते हैं."

Volker Homes vom WWF
डबल्यू डबल्यू एफ के वोल्कर होमेसतस्वीर: Rosa Merk/WWF

विवाद सिर्फ केवल देशों के साथ नहीं होता है. कई बार पर्यावरण संरक्षण पर प्रस्ताव विश्व व्यापार संगठन में भी रुक जाते हैं, जहां खुले व्यापार को बढ़ावा दिया जाता है. लेकिन बर्लिन विश्वविद्यालय में पर्यावरण शोध कर रहीं मिरांडा श्रॉयर्स कहती हैं कि पिछले सालों में डब्ल्यूटीओ का भी रवैया बदला है और वह भी "हरे व्यापार" को बढ़ावा दे रहा है. लेकिन अब भी इसमें बेहतरी की क्षमता है.

सीटेस के भीतर

संरक्षण विशेषज्ञ गेरहार्ड आडाम्स के मुताबिक सीटेस में बेहतरी होनी चाहिए. "कई देशों में निरंतर विकास पर जानकारी कम है." उनके मुताबिक कई देशों में जंगलों को काटने या कानून तोड़ने वालों पर नियंत्रण रखने के लिए उपाय नहीं है. लेकिन फिर भी 40 साल से सीटेस अपना काम अच्छा कर रहा है. फोल्कर होमेस भी कहते हैं कि इस संधि की वजह से कई नस्लों को विलुप्त होने से बचाया जा सका है, "व्हेल व्यापार अब पहले से काफी कम हुआ है. सीटेस और अंतरराष्ट्रीय व्हेल शिकार पर मोरेटोरियम से अब व्हेल की बड़ी सारी नस्लों की संख्या बढ़ रही है." नील नदी में मगरमच्छ और तेंदुए को भी इससे फायदा हुआ है.

(ACHTUNG Sperrfrist 23. Juli 0201) ARCHIV - Kenianische Ranger bereiten die Verbrennung von 4,6 Tonnen Elfenbein im Tsavo West National Park vor (Archivfoto vom 20.07.2011). Beim Schutz von Elefanten, Tigern und Nashörnern versagen entscheidende Länder einem neuen Report des WWF zufolge. Der WWF hatte für den Report «Wildlife Crime Scorecard» die Situation in 23 afrikanischen und asiatischen Ländern erfasst, in denen Wilderei oder illegaler Handel mit Elfenbein, Rhino-Hörnern und Tigerteilen eine große Rolle spielen. Bewertet wurde, in welchem Umfang in jüngerer Zeit Fortschritte beim Schutz von Elefanten, Tigern und Nashörnern gemacht wurden. Foto: Dai Kurokawa (ACHTUNG Sperrfrist 23. Juli 0201) +++(c) dpa - Bildfunk+++
हाथी दांत का अवैध व्यापारतस्वीर: picture-alliance/dpa

कैसे पकड़ेंगे मछली

16वें सीटेस सम्मेलन में खाई जाने वाली मछलियों के भी संरक्षण की बात हो रही है. इसकी वजह है कि खाने के लिए पकड़े जाने की वजह से इन मछलियों की संख्या बहुत कम हो गई है. होमेस कहते हैं, "मछलियों के बिना आप मछली पकड़ भी नहीं सकेंगे. और आपको कुछ नस्लों को अपनी संख्या बढ़ाने का मौका देना होगा ताकि इन मछलियों को खाया भी जा सके और मछली व्यापार में काम कर रहे लोगों की नौकरियां भी बची रहें." आडम्स भी कहते हैं कि मछली पकड़ने के खिलाफ कोई प्रतिबंध नहीं होनी चाहिए लेकिन मछलियों को अपनी संख्या बढ़ाने का मौका मिलना चाहिए.

लकड़ी, हाथी और भालू

बैंकॉक में अफ्रीका के जंतु भी एक बड़ी भूमिका निभाएंगे. आडम्स के मुताबिक वहां आयोजित तौर पर हथियारों के साथ लोग पशुओं को मारते हैं. हाथी और गैंडे इनके लिए अच्छा शिकार हैं. "इस बीच हाथी दांत व्यापार ड्रग्स या मनुष्यों की तस्करी जितना बड़ा मुद्दा बन गया है." अमेरिका भी चाहता है कि ध्रुवीय भालू की खाल का व्यापार रोका जाए. वैसे भी पृथ्वी में बढ़ते तापमान से ध्रुव में रहने वाले जीव विलुप्त हो रहे हैं. शिकार से इनके अस्तित्व को और खतरा हो सकता है.

रिपोर्टः जेनिफर फ्राचेक/एमजी

संपादनः आभा मोंढे