केन्या संविधान बदलने की ओर
५ अगस्त २०१०पूर्वी अफ्रीका की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था केन्या. नए संविधान से इसकी राजनीति में बड़ा बदलाव आ सकता है. गुरुवार को संविधान बदलने के लिए लोगों ने वोट दिए. गुरुवार सुबह आए नतीजों में बदलाव का समर्थन करने वालों को बढ़त मिली है.
बुधवार सुबह छह बजे ही राजधानी नैरोबी और दूसरे शहरों में लोग लाइन लगा कर खड़े हो गए. वोटिंग में ज्यादा झंझट नहीं थी. हरे रंग का कार्ड यस का और लाल रंग का नो का था. बस एक कार्ड डाल कर बताना था कि वे संविधान बदलने के हक में हैं या नहीं. केन्या के आजाद हुए 47 साल हो गए लेकिन भ्रष्टाचार, राजनीतिक संरक्षण, जमीन कब्जाने के मुद्दे और कबीलावाद के मामलों पर अंकुश लगाना है. राष्ट्रपति म्वाई किबाकी ने लोगों से बढ़ चढ़ कर वोटिंग की अपील की.
राष्ट्रपति चुनाव के बाद 2008 में केन्या में जम कर हिंसा हुई, जिसमें एक हजार तीन सौ से ज्यादा लोग मारे गए. किबाकी और उनके प्रतिद्वंद्वी रायला ओडिंगा दो अलग अलग कबीलों के हैं. आजादी के बाद से केन्या पर किकीयू और कालेनजिन कबीलों ने ही सत्ता संभाला है. पांच साल पहले संविधान बदलने की कोशिश नाकाम हो गई थी. इसे बदलने के लिए 50 फीसदी लोगों को इसके पक्ष में यस में वोटिंग करनी होगी. इसके अलावा देश के सभी आठ प्रांतों में से पांच में पच्चीस फीसदी से ज्यादा की वोटिंग जरूरी है. वोट डालने आई एक केन्याई महिला ने कहा कि चाहे जो भी हो, नतीजा कुछ भी निकले, हमें शांति बनाए रखनी है. मेरे लिए यही सबसे जरूरी है.
रिपोर्टः एजेंसियां/ए जमाल
संपादनः आभा एम