कुदरत में घुल जाने वाली बॉडीपेंटिंग
११ अक्टूबर २०१३कैमोफ्लाज बॉडीपेंटिंग ऐसी पेंटिंग है जो चीजों में छिप जाए. शरीर पर की जाने वाली पेंटिंग की यही खासियत है कि कभी पत्थर, कभी फूल, तो कभी पत्तियां, सब कुछ इंसानों पर पेंट किया जा सकता है. लोगों के शरीरों पर बनाई गई तस्वीरों ने योहानेस श्टोएटर को कई पुरस्कार भी दिलाए हैं. पिछले साल वह बॉडीपेंटिंग में वर्ल्ड चैंपियन भी बन चुके हैं.
गंजे लोग ज्यादा सही
बॉडीपेंटिंग शुरू करने से पहले योहानेस कैनवस पर तस्वीरें बनाया करते थे. वह बताते हैं, "अचानक मुझे आइडिया आया कि क्यों न मैं लोगों के शरीर पर भी तस्वीरें बनाऊं. मेरे लिए यह अनुभव इतना खास था कि मैंने तुरंत तय किया कि मैं यह दोबारा करना चाहता हूं. अलग रंगों के साथ, अलग मॉडल्स के साथ, अलग तस्वीरें बना कर." और इसी तरह वह बॉडीपेंटर बन गए. पेंटिंग की प्रेरणा इन्हें कहीं से भी मिल सकती है. कभी कुदरत से तो कभी लोगों से, कभी कला से और कभी रोजमर्रा की आम जिंदगी से. पेंटिंग बनाने के बारे में वह बताते हैं, "कैमोफ्लाज बॉडीपेंटिंग में अक्सर ऐसा होता है कि पहले मैं बैकग्राउंड देखता हूं, फिर सोचता हूं कि कौन सा आदमी यहां फिट होगा. गंजे लोग ज्यादा सही रहते हैं क्योंकि बालों को गायब करना बहुत मुश्किल होता है."
बिना हिले डुले
योहानेस कुछ डिजाइन पहले कागज पर बनाते हैं. घूमते फिरते लकड़ी का एक पैटर्न उनके मन को भा गया है. वह मॉडल को लकड़ी के झोपड़े के सामने बिठाते हैं और उसे वैसे ही रंगने लगते हैं जैसे कि लकड़ी के रंग हैं. वे ऐसे रंगों का इस्तेमाल करते हैं, जो पानी से धुल सकें. योहानेस को बीच बीच में पीछे भाग कर देखना पड़ता है कि सब ठीक चल रहा है या नहीं. वह बताते हैं, "सबसे मुश्किल काम है लकड़ी की पट्टियों वाली काली लाइनें बनाना और लकड़ी के चितकबरे धब्बे. इसके बाद मुझे शरीर के ऊपरी हिस्से में लकड़ी के रेशे तैयार करने होते हैं."
इस तरह की पेंटिंग तैयार करने के लिए मॉडल को दो घंटे बिना हिले डुले बैठे रहना पड़ता है, भले ही जमा देने वाली ठंडी हवा ही क्यों ना चल रही हो. इस तरह की तस्वीरों के साथ योहानेस अगले साल का कैलेंडर लाने वाले हैं. उन्हें उम्मीद है कि यह हिट रहेगा.
रिपोर्टः फ्रांसिस्का कुइडिस/आभा मोंढे
संपादनः ईशा भाटिया