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समाज

किसानों की मुसीबत बनीं आवारा और भूखी गायें

फैसल फरीद
१९ जनवरी २०१८

बीजेपी की सरकारें बनने के बाद उत्तर भारत में गाय और गोवंश का मुद्दा प्राथमिकता पर है. गायों को लेकर इंसान मारे जा चुके हैं, लेकिन जब आवारा गायों की आती है तो हंगामा करने वाले गायब नजर आते हैं.

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Frederik Bruening kümmert sich um alte Kühe in Indien
तस्वीर: DW/S.Mishra

उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड इलाके में हजारों जानवर जिसमें गाय, बछड़े और बैल हैं, उन्हें सडकों पर आवारा छोड़ दिया गया है. उनके खाने, रहने और सुरक्षा-देखरेख का कोई जिम्मेदार नहीं है. बुंदेलखंड में अन्ना पशु प्रथा शुरू हो गई है. इस प्रथा में किसान और दूसरे अन्य लोग अपने जानवरों को आजाद कर देते हैं. ऐसा वो तब करते हैं जब वो किसी लायक नहीं रहते यानि कि उनसे दूध नहीं मिलता और वो अन्य कार्य में उपयोग नहीं आ सकते. कहने को तो ये पशु आजाद होते हैं लेकिन ये आवारा पशु की श्रेणी में आ जाते हैं. जब इनका कोई ठिकाना नहीं रहता तो ये इधर उधर घूमते हैं, किसानों की फसल चर जाते हैं. अक्सर किसान लगातार सूखे की वजह से फसल के नष्ट होने के कारण भी इस स्थिति में नहीं रह पाते कि पशुओं की देखभाल कर सकें तो वो भी अपने पशुओं को अन्ना पशु कर देते हैं. वैसे कानून के मुताबिक यह पशुओं पर क्रूरता है.

भारतीय किसान यूनियन ने बुंदेलखंड में अन्ना पशु प्रथा को लेकर काफी आन्दोलन किए. भाकियू के बुंदेलखंड के प्रवक्ता देवेन्द्र सिंह के मुताबिक अन्ना पशुओं के चलते किसान अब रात भर अपने खेतों पर पहरा कर रहे हैं. अब हम लोग खुद अन्ना जानवरों को एक जगह पर इकठ्ठा कर रहे हैं. प्रशासन से मदद बहुत ही कम है. पहले पांच ब्लॉकों में गौशाला का आश्वासन दिया था लेकिन अभी एक भी नहीं बनी है. हम लोग टीम बना कर इन जानवरों के चारे पानी की व्यवस्था कर रहे हैं.

वहीं हमीरपुर के किसान अरविन्द कुशवाहा के मुताबिक, अन्ना पशु की समस्या इस तरह हल नहीं होगी. इनकी संख्या बहुत ज्यादा है और बिना सरकार के इनका समाधान नहीं निकाला जा सकता. जिला स्तर पर स्थानीय अधिकारियों को पहल करने के लिए कह दिया गया है. चित्रकूट जनपद जो सर्वाधिक इस परेशानी से दो चार हो रहा है वहां के मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ. अविनाश सचान को इसका जिम्मा सौपा गया है. डॉ सचान के अनुसार शासन स्तर से इस मामले में कार्रवाई हो रही है. लगभग एक हजार गायों के लिए आश्रय बनाने का प्रस्ताव भेजा गया है. भूमि चिन्हित कर ली गई है. समाजसेवी और पंचायत प्रधिनिधियों से सहभागिता के आधार पर सहयोग करने के लिए कहा जा रहा है. स्थानीय जनप्रतिनिधि जैसे सांसद और विधायक भी मदद के लिए आगे आ रहे हैं. प्रदेश सरकार ने 10 जनवरी को एक आदेश कर प्रदेश की पंजीकृत गौशाला में पशुओं की भरण पोषण राशि बढ़ा दी है. अब बड़े जानवर पर 50 रुपये प्रतिदिन जो पहले 30 रुपये थी, दी जाएगी. उन्होंने बताया कि किसानों को भी आपसी सहभागिता से फसल के बचाव के लिए प्रेरित किया जा रहा है.

बुंदेलखंड में सबसे ज्यादा प्रभावित चित्रकूट मंडल में 2007 में हुई पशु गणना में 28,343 अन्ना पशु थे. ये संख्या 2012 की गणना में 74,713 हो गई. 2017 में संख्या 213,658 हो गयी है. ये तो आधिकारिक आंकड़े हैं. लेकिन सूत्रों की मानें तो ये संख्या अधिक भी हो सकती है.

कुछ किसानों ने अपने खेतों में नंगे तार मेड़ों पर लगा दिए हैं. उसमें करंट दौड़ा देते हैं. लेकिन इससे बहुत हादसे हो रहे हैं. पिछले रविवार को अलीगढ जनपद के अतरौली क्षेत्र के गांव नहल में ऐसे ही तार से चिपक कर भाई-बहन मौत हो गई. अलीगढ़ के एसएसपी राजेश पाण्डेय के मुताबिक इस समस्या से निपटने के लिए सभी थाना प्रभारी को आदेश दे दिए गए हैं कि ऐसे किसानों की सूची तैयार करें जो तार से अपने खेत की बाड़बंदी करते हैं और उसमें करंट दौड़ा देते हैं. ऐसे लोगों को पांच पांच लाख रुपये के मुचलके से पाबंद किया जाएगा और आबादी के पास के खेतों में करंट नहीं लगाने दिया जाएगा.

इस मुद्दे की गूंज लखनऊ तक हुई. स्थानीय पत्रकारों को बताते हुए कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने बताया कि ये समस्या कई वर्षों की है और सरकार इस मामले में गंभीर है. शीघ्र ही पशुओं के लिए ऐसी चारा नीति की व्यवस्था करने जा रही है कि साल भर उनके चारे का प्रबंध रहे. गायों की उत्पादकता बढ़ाने पर भी जोर दिया जाएगा.