कार के धुएं का इंसानों पर परीक्षण!
२९ जनवरी २०१८बंदरों पर परीक्षण की खबर देने वाले श्टुटगार्टर और ज्यूडडॉएचे अखबारों ने ही इंसानों पर परीक्षण की भी खबर छापी है. यह परीक्षण यूरोपियन रिसर्च ग्रुप ऑन एनवायरन्मेंट एंड हेल्थ इन ट्रासपोर्ट सेक्टर(ईयूजीटी) के अनुरोध पर किए गए. अब निष्क्रिय हो चुके इस संगठन को फोल्क्सवागेन, डाइमलर और बीएमडब्ल्यू ने शुरू किया था.
इस संगठन ने "स्वस्थ लोगों पर कम समय के लिए नाइट्रोजन डाइऑक्साइड को सांस के जरिए खींचने" के परीक्षण का अनुरोध किया था. अखबारों के मुताबिक यह अनुरोध 2012 से 2015 के बीच किए गए. अखबारों का दावा है कि उन्होंने इससे संबंधित दस्तावेज देखे हैं.
आखेन यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल के एक इंस्टीट्यूट ने इसके बाद 25 लोगों की जांच की जिन्होंने कई घंटों तक नाइट्रोजन डाइऑक्साइड की अलग अलग मात्रा सांस के जरिए खींची थी. 2015 में ही यह पता चला था कि फोल्क्सवागेन ने अमेरिका में अपनी कारों में नाइट्रोजन डाइऑक्साइड की रीडिंग में कई सालों तक हेरफेर किया था. इसका मकसद कारों के डीजल उत्सर्जन के नियमों को पास करना था.
मर्सिडिज बेंज और स्मार्ट नाम वाली कार बेचने वाली कंपनी डाइमलर ने रविवार को इंसान पर और ईयूजीटी के परीक्षणों से खुद को अलग कर लिया है. डाइमलर ने अपने बयान में कहा है, "हम इस स्तर तक अध्ययन और उसके तरीके के बारे में जान कर हैरान हैं, हम इन परीक्षणों की कड़ी निंदा करते हैं." इसके साथ ही कंपनी ने यह भी कहा है कि ईयूजीटी के परीक्षणों में उसकी कोई भूमिका नहीं थी.
पिछले हफ्ते न्यू यॉर्क टाइम्स ने अमेरिकी रिसर्च संस्थान के बारे में खबर दी थी कि वहां 10 बंदरों को एक हवाबंद कंटेनर में रख दिया गया और ध्यान बंटाने के लिए उन्हें कार्टून दिखाया गया इसी बीच उन पर फोल्क्सवागेन कार से निकला धुआं छोड़ा गया. जो सांस के साथ उनके भीतर जाता रहा.
शनिवार को फोल्क्सवागेन और डाइमलर ने बंदरों पर हुए परीक्षणों के बारे में अपनी मिलीभगत पर जवाब दिया. फोल्क्सवागेन ने अपने बयान में कहा, "हम मानते हैं कि उस वक्त जो वैज्ञानिक तरीका चुना गया था वह गलत था. अच्छा होता अगर इस तरह के परीक्षण शुरुआत में ही रोक दिए गए होते." हालांकि डाइमलर ने इस पर माफी नहीं मांगी है और बस इतना कहा है कि वह इस मामले में जांच शुरू कर रहा है.
एनआर/एमजे (डीपीए)