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कांग्रेस और राहुल को महात्मा गांधी की सख्त जरूरत है

२९ जनवरी २०१८

जनता से संवाद स्थापित करना और लोगों को उनके एजेंडे पर सोचने पर मजबूर करने की कला महात्मा गांधी को आती थी. आज गांधी के सत्तर साल गुजरने के बाद भी राहुल गांधी और कांग्रेस को उनकी सख्त जररूरत है.

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AP Iconic Images Indien Gandhi Nehru
तस्वीर: AP

महात्मा गांधी के विचार और कार्यशैली आज की कांग्रेस के लिए भी एक आदर्श हो सकते हैं. गांधी की कामयाबी और बड़प्पन के पीछे उनकी सोच और जनहित मामलों की पकड़ ही सबसे बड़ी उपलब्धी थी. बात यदि हम धर्मनिरपेक्षता की करें तो आज के परिप्रेक्ष्य में यह साफ नजर आएगा कि गांधी की धर्म के प्रति आस्था और राजनीति को मूल्यों से जोड़ना भारतीय मिजाज व सभ्यता से मेल खाता था. जवाहरलाल नेहरू ने, जो महात्मा गांधी के शिष्य थे, धर्मनिरपेक्षता की दूसरी और पश्चिमी देशों से मिलती जुलती परिभाषा पेश की और प्रधानमंत्री के रूप में उसका पालन भी किया.

नेहरू के बाद उनकी पुत्री इंदिरा गांधी ने धर्म और धर्मनिरपेक्षता पर अवसरवादी दृष्टिकोण अपनाया जिसने अस्थाई रूप में कांग्रेस को सत्ता में टिके रहने में मदद अवश्य की लेकिन दूरगामी परिणाम घातक साबित हुए. पंजाब में अलगाववाद और असम, पूर्वोत्तर में राजनीतिक समस्या ने भारत की अखंडता और प्रभुसत्ता को नुकसान पहुंचाया. नरसिंहा राव, सोनिया गांधी और राहुल गांधी के समय स्थितियां इतनी खराब हो गईं कि कांग्रेस पर अल्पसंख्यकों के तुष्टिकरण के इल्जाम लगे और दूसरी तरफ अल्पसंख्यक विशेष रूप से मुसलमान रोजगार, शिक्षा और विकास के क्षेत्र में पीछे रह गए.

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तस्वीर: picture-alliance/united archives

गांधी की विचारधारा की विरोधी रही पार्टी ने गांधीवाद को अपना कर, बहुसंख्यकों को मुस्लिम तुष्टिकरण के विरोध के नाम पर अपनी तरफ खींच लिया और 2014 में कांग्रेस सत्ता से ऐसे बाहर हुई कि उसकी वापसी की राह मुश्किल ही नहीं असंभव सी प्रतीत हो रही है और भारत की 132 साल पुरानी पार्टी अपने अस्तित्व को लेकर चिंतित है.

गांधी जी की सबसे बड़ी खूबी जनता की नब्ज पकड़ने की थी. हिन्द स्वराज में उनहोंने लिखा था की जब भी दुविधा हो तो जनता के समक्ष जा कर सच बोलना चाहिए. स्वतंत्रता संग्राम और स्वतंत्रता के बाद भी अनेक अवसर आए जब गांधीजी ने विषम परिस्थितयों का ईमानदारी और दृढ़ता से मुकाबला किया. चौरीचौरा कांड और नोआखलि में गांधी ने जिस नैतिक साहस का परिचय दिया उसकी मानव इतिहास में कम मिसालें हैं, गांधी ने अपनी कमी और विफलताओं पर कभी पर्दा डालने और बचने का प्रयास नहीं किया. आज चाहे भ्रष्टाचार का मुद्दा हो या धर्मनिरपेक्षता का, कांग्रेस बचती और रक्षात्मक मुद्रा में रहती है.

क्या कारण है कि राहुल गांधी ने इन दिनों दिग्विजय सिंह को करणी सेना का समर्थन करने से नहीं रोका. क्या कारण है कि जब मुजफ्फरनगर में दंगे हो रहे थे तब कांग्रेस लीडरशिप मूक दर्शक बनी रही. यदि कांग्रेस समाज से जुड़ी होती तो असम, कश्मीर और अन्य जगहों पर हिंसा को रोक पाती या अपने कार्यकर्ताओं का बलिदान करती.

Indien Gujarat -  Rahul Gandhi
तस्वीर: IANS

आज किसानों से जुड़े मुद्दे भी गांधी की याद दिलाते हैं. दरअसल नेहरू ने गांधी की आर्थिक सोच को पूर्ण रूप से दरकिनार किर दिया था. आज सत्तर साल बाद किसान और गांव में रहने वाले भारतीय सबसे ज़्यादा त्रस्त है यदि किसान और गांव को ध्यान में रख करनीति बनाई जाती तो आज भारत दूसरा ही होता.

केवल एक प्रतिशत लोगों के पास 74 फीसदी धन और साधन होना यह दर्शाता है की कांग्रेस की आर्थिक नीतियां कम से कम गांधी की सोच का प्रतिनिधित्व तो नहीं करती हैं. गांधीजी के समय सोशल मीडिया बेशक न रहा हो लेकिन जनता से उनका संपर्क और संवाद देश के तब से अब तक के सभी राजनेताओं से श्रेष्ठ रहा है. राहुल को गांधी जी की तरह सत्ता नहीं मर्यादा और इंसानियत की फिक्र करनी चाहिए. इसमें ही देश और समाज का भला है
 

रशीद किदवई, राजनीतिक विश्लेषक