कहानी में सपने बेचने वाले भाई
२० दिसम्बर २०१२19वीं सदी की शुरुआत में जर्मनी खून और जंग के आगोश में डूब चुका था. संस्कृति को बचाकर रखने की तमन्ना से शुरू हुआ एक खास अभ्यास, जर्मनी में ग्रिम भाइयों का, जिन्होंने देश के अलग अलग कोनों से कहानियां जमा कीं.
ग्रिम भाई जर्मनी में युद्ध से त्रस्त लोगों को उम्मीद दिलाना चाहते थे और एक जर्मन आत्मा बनाना चाहते थे लेकिन इस बड़े काम के लिए उनका साथ देने वाला कोई नहीं था और देश की गलियों और नुक्कड़ों से नानी-दादी वाली कहानियों में उस वक्त भी प्रकाशक और विश्वविद्यालयों को कोई दिलचस्पी नहीं थी. जैसा कि ग्रिम भाइयों पर शोध कर रहे प्रोफेसर श्टेफेन मार्कुस कहते हैं, "उस वक्त ग्रिम भाइयों ने जिस तरह भाषा पर शोध किया, वह अपने आप में हैरान करने वाली बात है. ग्रिम भाइयों की खोज का फायदा बहुत हुआ, उन बच्चों को जो आज तक उनकी कहानियां पढ़ते हैं और इस तरह ग्रिम भाई खुद जर्मन साहित्य के शुरुआती शोधकर्ता बने."
अपना सपना, अपना लक्ष्य
पहले तो उन्हें अपने काम के लिए कोई पहचान नहीं मिली. वे हमेशा अपनी तरह काम करना चाहते थे. याकोब और विल्हेल्म 10 और 11 साल के थे जब उनके पिता की मौत हुई और तभी से वे अपने परिवारों के लिए जिम्मेदार हो गए. 17 साल की उम्र में याकोब घर से बाहर निकले और मार्बुर्ग में कानून की पढ़ाई शुरू की.
एक साल बाद उनके भाई विल्हेल्म भी उनके साथ हो गए. कुछ महीनों बाद याकोब ने अपनी पढ़ाई रोक दी और अपना शोध शुरू किया. लेकिन उन्हें कभी किसी चीज की कमी महसूस नहीं हुई. उन्होंने कभी पुस्तकालय में काम किया तो कभी पत्रकार रहे और कूटनीति में भी अपनी किस्मत आजमाई. फिर वे प्रोफेसर बन गए. लेकिन उनका दिल केवल एक ही चीज के लिए धड़कता रहा- पुराने गीतों और कहानियों को जमा करना. 25 और 26 साल की उम्र में दोनों ने अपनी पहली किताबें लिखीं. याकोब ने प्राचीन डेनमार्क के गीतों और कहानियों की और विल्हेल्म ने पुराने जर्मन काव्यों की.
सनकी शोधकर्ता
लेकिन इस जुनून को अपनी पूरी जिंदगी समर्पित करने वाले भाइयों का व्यक्तित्व कैसा था. जर्मन शहर गोटिंगेन में युवा थियेटर के प्रमुख आंद्रेआस डोएरिंग ने खुद से यह सवाल किया. इस साल उनके थियेटर में ग्रिम भाइयों के नाटक दिखाए जा रहे हैं. इसके लिए डोएरिंग ने ऐतिहासिक दस्तावेज और चिट्ठियों का शोध किया और दोनों के चरित्र की एक छवि बनाई, "दोनों बड़े भड़काऊ किस्म के थे, काम के पीछे पागल, नैतिकतावादी और सनकी थे."
लोगों का मानना था कि दोनों अड़ियल और सख्त थे, खास तौर पर जहां तक शोध की बात थी. उन्हें लोगों को भड़काने में मजा आता था और बुद्धिजीवी की आंखों में एक कांटे की तरह थे, दोनों भाई खूब बहस करते थे और लोगों को उनपर गुस्सा आता था. इसकी वजह यह थी कि वह कुछ नया कर रहे थे और पुराने ख्यालों वाले बुद्धिजीवी इसे बहुत शक से देख रहे थे.
एक शानदार टीम
लेकिन दोनों भाइयों ने अपना काम जारी रखा. वे एक जबरदस्त टीम थे. विल्हेल्म खुशमिजाज थे और याकोब सख्त और चुपचाप रहने वाले. लेकिन दोनों एक दूसरे के लिए हमेशा थे. डोएरिंग कहते हैं कि दोनों भाई एक दूसरे को समझते थे और एक साथ रहते थे. उन्होंने जिंदगी भर अपना काम किया. 73 साल की उम्र में 1859 में विल्हेल्म की मौत हुई और चार साल बाद याकोब 78 साल की उम्र में चल बसे.
लेकिन उनका सबसे बड़ा काम अधूरा रह गया. वे जर्मन शब्दकोश बनाने की कोशिश कर रहे थे और यह 100 साल बाद जाकर पूरी तरह बना. इसमें 100 से ज्यादा विशेषज्ञों ने अपना योगदान दिया है. ग्रिम भाइयों की यह ऐतिहासिक कोशिश थी- उतनी ही ऐतिहासिक जितना कि वे खुद थे.
रिपोर्टः आनंदा ग्राडे/एमजी
संपादनः महेश झा