गोवा में कैसे आए बीफ
२४ दिसम्बर २०२०गोवा में बीफ खाने का चलन आम है. पर्यटन पर केंद्रित इस राज्य के लाखों होटलों में बीफ के व्यंजन काफी लोकप्रिय हैं. एक अनुमान के अनुसार राज्य में रोजाना 25 टन से भी ज्यादा बीफ की खपत होती है. लेकिन आजकल राज्य में बीफ की आपूर्ति संकट में पड़ गई है.
इसका कारण है पड़ोसी राज्य कर्नाटक में हाल ही में पास हुआ गो-हत्या प्रतिबंधित करने वाला कानून. गोवा में खाए जाने वाले बीफ का अधिकांश हिस्सा कर्नाटक से ही आता था, लेकिन वहां अब गो-हत्या के साथ साथ मवेशियों को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने पर भी इतने कड़े प्रतिबंध लग गए हैं कि गोवा में बीफ की सप्लाई लगभग बंद ही हो गई है.
सैद्धांतिक रूप से बीजेपी गौ-रक्षा के प्रति प्रतिबद्ध है और जहां-जहां पार्टी की सरकारें बनी हैं वहां गो-हत्या के खिलाफ कानून बनाए गए हैं. लेकिन गोवा में बीजेपी बीफ की सप्लाई ठप होने से चिंतित है. ऐसा इसलिए क्योंकि राज्य की कुल आबादी में लगभग 26 प्रतिशत ईसाई हैं जिनका समर्थन मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत की सरकार चलते रहने के लिए जरूरी है. उनकी कैबिनेट में भी कई मंत्री ईसाई हैं.
मुसलमानों को मिला कर राज्य में अल्पसंख्यकों की आबादी 30 प्रतिशत के आस-पास है. क्रिसमस के मौके पर राज्य में बीफ की आपूर्ति ठप होने से ईसाई समुदाय के लोग निराश हैं और इस बात से सावंत चिंतित हैं. एक बयान में उन्हें यहां तक कहना पड़ा, "मैं भी गोमाता की पूजा करता हूं, लेकिन हमारे राज्य की 30 प्रतिशत अल्पसंख्यक आबादी का ख्याल रखना भी मेरा फर्ज है."
लिहाजा राज्य सरकार तुरंत राज्य में बीफ लाने के अलग अलग तरीके तलाश रही है. एक विकल्प है दिल्ली से बीफ मंगाना. पहले भी गोवा में दिल्ली से बीफ के कुछ हिस्से जाते थे लेकिन अब संभव है कि दिल्ली से बर्फ में जमे बीफ के बड़े बड़े टुकड़े भी मंगाने पड़ें. गोवा में मीट उद्योग से जुड़े लोगों का कहना है कि इससे भी सिर्फ फ्रोजेन बीफ खाने वालों की मांग पूरी की जा सकेगी और ताजा बीफ खाने वालों के लिए कमी बनी रहेगी.
मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए हैं कि दूसरे राज्यों से भी जिंदा मवेशी गोवा लाने के रास्ते तलाशे जाएं. ताजा खबरों में बताया जा रहा है कि क्रिसमस को देखते हुए कर्नाटक सरकार ने गोवा की मदद करने का फैसला कर लिया है और सिर्फ इसी अवधि के लिए मांस और मवेशी दोनों गोवा भेजे जाने के निर्देश दिए हैं. देखना होगा कि क्रिसमस के बाद समस्या बनी रहती है या नहीं.
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