कर्नाटक की राजनीति में तूफान लौटने के संकेत
१४ मई २०११सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद राज्य की राजनीति में पुराना तूफान लौटने के संकेत मिल रहे हैं. जिन 16 बागी विधायकों को स्पीकर केजी बोपैया ने अयोग्य ठहराकर विश्वास मत में वोटिंग से रोक दिया था, उनमें से चार की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि स्पीकर का फैसला संविधान की मूल भावना के खिलाफ था. इस फैसले को भारद्वाज अपनी जीत मान रहे हैं. उन्होंने इस बारे में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मुलाकात की.
क्या होगा सरकार का?
पत्रकारों ने जब भारद्वाज से पूछा कि क्या वह येदियुरप्पा को दोबारा विश्वास मत हासिल करने के लिए कह सकते हैं, तो उन्होंने कहा, "अभी यह कहना बहुत जल्दी होगा." लेकिन उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला स्पीकर और मुख्यमंत्री के फैसलों को गलत साबित करता है.
प्रधानमंत्री के साथ अपनी मुलाकात को भारद्वाज ने अनौपचारिक बताया. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले और उसके बाद की स्थिति पर पीएम से कोई चर्चा नहीं हुई. लेकिन वह फैसले को बेहद महत्वपूर्ण मानते हैं. उन्होंने कहा, "सुप्रीम कोर्ट ने यथास्थिति लागू कर दी है. अब मुझे मामले के कानूनी पहलू और फैसले को पढ़ना है और इसे सरकार पर लागू करना है." उन्होंने कहा कि वह बैंगलोर पहुंचकर सरकार को इस बारे में पत्र लिखेंगे.
भारद्वाज के मुताबिक शक्ति परीक्षण एक पवित्र काम है और उसे संविधान के मुताबिक ही कराया जाना चाहिए न कि लोगों की गिनती करके.
बागियों के सुर बदले
बीजेपी के बागी विधायक इस पूरे मामले को अलग दिशा दे सकते हैं. उनमें से एक, पूर्व मछलीपालन मंत्री आनंद असनोटिकर ने कहा कि बागी विधायक पार्टी से अलग नहीं हुए थे. उन्होंने कहा, "हम कभी पार्टी से अलग नहीं हुए. ना ही हमने कभी ऐसा कहा. हम तो बस नेतृत्व के खिलाफ थे. हमें न्याय मिल गया है."
भविष्य में उठाए जाने वाले कदमों के बारे में असनोटिकर ने कहा, "हमें अपने समर्थकों से बात करनी होगी और राज्य की बेहतरी के बारे में सोचना होगा. हम मीटिंग करेंगे, लेकिन हमारी एकता बनी हुई है."
रिपोर्टः पीटीआई/वी कुमार
संपादनः एन रंजन