कमलनाथ सरकार के सौ दिन कितने असरदार
४ अप्रैल २०१९राज्य में डेढ़ दशक बाद सत्ता में आई कांग्रेस के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने 25 दिसंबर को कमान संभाली थी. सत्ता में आने के बाद से ही कमलनाथ और उनकी सरकार वे सारे वादे पूरे करने में लगी है, जो उसने विधानसभा चुनाव से पहले किए थे. मुख्यमंत्री कमलनाथ किसान कर्जमाफी के फैसले का जोर-शोर से प्रचार कर रहे हैं. उनका दावा है कि राज्य के 50 लाख किसानों में से 22 लाख किसानों का दो लाख रुपये तक का कर्ज माफ हो चुका है, लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लागू होने के कारण शेष किसानों का कर्ज माफ नहीं हो पाया है. लोकसभा चुनाव होते ही बाकी किसानों का कर्ज माफ हो जाएगा.
दूसरी ओर भाजपा के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान लगातार एक ही बात कह रहे हैं कि कमलनाथ सरकार ने किसानों का कर्ज माफ करने का वादा किया था, मगर अब तक किसानों का कर्ज माफ नहीं हुआ है. वह लगातार आंकड़े दे कर कह रहे हैं कि चुनाव भले ही आ गए हों, मगर किसानों का कर्ज माफ होने का सिलसिला तो जारी रहना चाहिए.
सत्ता में आने के बाद कमलनाथ ने सबसे बड़ा दांव किसानों और युवा लोगों पर खेला. कांग्रेस ने नौजवानों का लिए 'युवा स्वाभिमान रोजगार योजना' को अमली जामा पहनाया. इस योजना के तहत युवाओं को साल में 100 दिन उनकी पसंद का प्रशिक्षण दिया जाना है और इस दौरान उन्हें 4,000 रुपये मासिक स्टाइपेंड दिया जाएगा. इस योजना के तहत जानवरों को चराने से लेकर बैंड बजाने तक का प्रशिक्षण देने की बात कही गई है. आलोचना का जवाब देते हुए कमलनाथ का कहना है, "कम पढ़े-लिखे लोग जिनके परिजन पीढ़ियों से बैंड बाजा बजाते आए हैं, उन्हें इसका प्रशिक्षण दिया जाए ताकि वे देश के अन्य हिस्सों में जाकर जीविकोपार्जन करें."
कमलनाथ ने किसानों और नौजवानो के जरिए बड़े वोट बैंक पर सेंधमारी की है, क्योंकि राज्य में कुल पांच करोड़ चार लाख मतदाता हैं. इनमें 18 से 29 वर्ष आयु के युवा मतदाता डेढ़ करोड़ से ज्यादा हैं. वहीं किसानों की संख्या जिनका कर्ज माफ होने वाला है, वे 55 लाख के आसपास हैं. इस तरह किसान और नौजवान ही राज्य में लगभग 40 फीसदी मतदाता हैं.
राजनीतिक विश्लेषक साजी थॉमस कहते हैं कि कमलनाथ ने राज्य की सत्ता संभालते ही उन वर्गो के लिए पूर्व में किए गए वादों को पूरा करने का अभियान चलाया, जो चुनाव को सीधे प्रभावित करने वाले हैं. विधानसभा चुनाव में किसानों की कर्जमाफी के वादे का असर दिखा और कांग्रेस को सत्ता मिली, यही कारण है कि लोकसभा चुनाव से पहले भी कांग्रेस ने किसान और नौजवान से किए वादे सबसे पहले पूरे किए.
कमलनाथ के 100 दिन के कार्यकाल पर नजर दौड़ाई जाए तो एक बात तो साफ होती है कि उन्होंने हर वर्ग को अपने वादों के जाल में फंसाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है. पुलिस जवानों को साप्ताहिक अवकाश का प्रावधान किया है, तो गायों के लिए ग्राम पंचायत स्तर पर गोशाला खोलने का अभियान चलाया है. इतना ही नहीं, बुजुर्गो को धार्मिक स्थलों की यात्रा कराई है. पुजारियों का मानदेय 1,000 से बढ़ाकर 3,000 रुपये मासिक किया है.
राज्य में कांग्रेस की सरकार ने उद्योग संवर्धन नीति में बड़ा बदलाव करते हुए स्थापित होने वाले उद्योग में 70 फीसदी भर्ती में स्थानीय लोगों को प्राथमिकता का वादा किया है. पिछड़ा वर्ग का आरक्षण 14 प्रतिशत से बढ़कर 27 प्रतिशत किया तो गरीब सामान्य के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया. सामाजिक सुरक्षा पेंशन की राशि में बढ़ोतरी की. भाजपा की प्रदेश इकाई के महामंत्री वीडी शर्मा का कहना है कि कमलनाथ सरकार ने वादे पूरे करने के नाम पर सिर्फ गाल बजाने का काम किया है. किसानों की कर्जमाफी के वादे के नाम पर छला गया है, किसानों से तरह तरह के फार्म भराए गए और उनका कर्ज माफ नहीं हुआ है. नौजवानों को रोजगार देने के नाम पर ठगा गया है.
रिपोर्ट: संदीप पौराणिक, आईएएनएस