कचरा ठिकाने लगाने में मददगार मक्खियां
इंडोनेशिया के एक बायोकनवर्जन विशेषज्ञ आगुस पकपाहन अपने फार्म में कुछ खास मक्खियों की मदद से कचरे को उच्च गुणवत्ता युक्त खाद में तब्दील कर रहे हैं. डीडब्लयू ने इंडोनेशिया स्थित इस फार्म का दौरा किया.
कचरा बनते संसाधन
इंडोनेशिया में कृषि उद्योग के उपमंत्री पद से सेवानिवृत्ति होने के बाद अर्थशास्त्री आगुस पकपाहन प्राकृतिक संसाधनों से जुड़े अर्थशास्त्र को और अधिक जानना चाहते थे. तभी उनका सामना कचरा प्रबंधन जैसे विषयों से हुआ और उन्होंने जैविक कचरे, स्वास्थ्य, पर्यावरण और सामाजिक अर्थशास्त्र का अध्ययन करना तय किया.
मक्खियां और जैविक पदार्थ
आगुस के मुताबिक, वैज्ञानिक डॉरमोनो टैनिविरयोनो की रिसर्च पढ़ने के बाद उन्हें काली सोल्जर मक्खियों का रिसाइक्लिंग में इस्तेमाल करने का आयडिया आया. इन काली सोल्जर (सैनिक) मक्खियों को लैटिन में हरमेटिया इलुंएस भी कहा जाता है. इन्हें अब तक कीट नहीं माना जाता था. इनसे मनुष्यों या जानवरों को किसी बीमारी का खतरा नहीं होता. लेकिन इनके लारवा का प्रयोग कर कचरे से खाद बनायी जा सकती है.
सस्ता खाना
आगुस, पोल्ट्री उद्योग और मछली पालन जैसे दोनों क्षेत्रों में प्रोटीन का एक स्रोत मुहैया कराना चाहते हैं ताकि इंडोनेशिया के मछली आयात को कम किया जा सके. काली सोल्जर मक्खी के लारवा में तमाम पोषक तत्व होते हैं. साथ ही यह प्रोटीन, वसा, अमोनियो एसिड और पोषक तत्वों का बड़ा स्रोत है जिस पर अब आगुस काम कर रहे हैं.
मक्खियों का पालन
तस्वीर में नजर आ रहा यह क्षेत्र इन मक्खियों के लिए बतौर प्रजनन केंद्र काम करता है. यह बिल्डिंग आम बिल्डिंगों की तरह ही है, बस इसमें कीट रोकने वाले जाल लगाये गये हैं. आगुस ने स्थानीय लोगों को बताया है कि कैसे इन मक्खियों का इस्तेमाल उच्च गुणवत्ता युक्त जैविक खाद और चाय की खेती में किया जा सकता है.
कचरा छांटना
आगुस कहते हैं कि अगर इंडोनेशिया के पास जैविक और अजैविक कचरा अलग-अलग करने से जुड़ी कोई प्रणाली होती, तो कचरे प्रबंधन से जुड़े समाधान मक्खियों के लारवा के साथ ज्यादा प्रभावी हो सकते थे. इस बायोकनवर्जन प्रक्रिया में लारवा के लिये बड़ी मात्रा में जैविक कचरे की आवश्यकता होती है.
24 घंटे में भोजन
काली सोल्जर मक्खियां अपनी जिंदगी के शुरुआती दिनों में ही खाती हैं. इन शुरुआती दिनों को लारवा स्टेज भी कहा जाता है. इसके बाद मक्खियां खाद्य स्रोतों से दूर भागती हैं. तस्वीर में जैविक कचरा नजर आ रहा है, जिन्हें इन मक्खियों के लिए रखा गया है. लक्ष्य है कि ये मक्खियां इसे 24 घंटे में पूरा खत्म कर लें.
मैगोट फर्टिलाइजर
कचरा इस प्रक्रिया से गुजरकर "मैगोट स्टूल" में बदल जाता है. आगुस इसे "मैगोट स्टूल फर्टिलाइजर" कहते हैं. इन फर्टिलाइजर को वेयरहाउस में स्टोर कर रखा जाता है. तस्वीर में नजर आ रहे इस तरल मैगौट फर्टिलाइजर को रोजाना तैयार किया जाता है.
काली मक्खियों की बारी
काली मक्खी के प्यूपा का इस्तेमाल पशुओं के लिए प्रोटीन युक्त चारे तैयार करने के लिए किया जाता है. तस्वीर में नजर आ रही इन प्यूपा की लंबाई 3 सेंटीमीटर तक है. इसके अलावा इसमें मीलवर्म और जापानी बीटल का इस्तेमाल भी होता है. (वीडी लिगोवो)