1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

कंधार मामले पर प्रियंका ने उठाया सवाल

२५ अप्रैल २००९

84 के दंगे हों या विमान यात्रियों को छुड़ाने के लिए आतंकियों को रिहा करने का मामला, कांग्रेस और बीजेपी एक दूसरे पर वार पलटवार करने से नहीं चूक रहे हैं. जसवंत सिंह ने आडवाणी का बचाव किया तो प्रियंका ने सवाल उठा दिए.

https://p.dw.com/p/Hdw6
प्रियंका ने उठाया सवालतस्वीर: UNI

"चुनाव के समय ये सब बातें उभर रही हैं कि हमें पता नहीं था, हमें बताया नहीं गया था. मज़बूत नेता अपनी गलतियों की ज़िम्मेदारी भी लेता है." प्रियंका गाँधी की यह टिप्पणी उस विवाद पर है जो 1999 में तत्कालीन एनडीए सरकार द्वारा इंडियन एयरलाइन्स के अपहृत विमान के बंधक यात्रियों को छुडाने के लिए आतंकवादी नेताओं को रिहा करने पर उठा है.

Manmohan Singh und LK Advani
वार पलटवारतस्वीर: Fotoagentur UNI

इन आतंकवादियों को तत्कालीन विदेशमंत्री जसवंत सिंह स्वयं कंदहार पहुंचा कर आये थे. उस समय के केंद्रीय गृहमंत्री लालकृष्ण आडवाणी ने अपने संस्मरणों में लिखा है कि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं थी कि जसवंत सिंह आतंकवादियों को छोड़ने कंदहार जा रहे हैं. संस्मरणों के प्रकाशित होने के बाद तत्कालीन रक्षामंत्री जॉर्ज फर्नांडिस ने इस बात की पुष्टि की थी कि आडवाणी मंत्रिमंडल की सभी बैठकों में उपस्थित थे इसलिए उन्हें जानकारी होनी चाहिए थी.

कंदहार प्रकरण यूं ही बीजेपी का पीछा नहीं छोड़ रहा था, उस पर जसवंत सिंह ने एक अंग्रेजी दैनिक से यह कह कर उसे और हवा दे दी कि आडवाणी आतंकवादियों को छोड़े जाने के पक्ष में नहीं थे, लेकिन समझाने-बुझाने के बाद वह मान गए थे. जसवंत सिंह ने कहा है कि उन्हें यह याद नहीं कि आडवाणी उस बैठक में मौजूद थे या नहीं जिसमें यह तय किया गया था कि वह यानी जसवंत सिंह आतंकवादियों को विमान में लेकर कंदहार जायेंगे.

चूंकि बीजेपी आडवाणी को "लौहपुरुष" के रूप में प्रस्तुत करती है और उन्हें मज़बूत नेता तथा मनमोहन सिंह को अब तक का सबसे कमज़ोर प्रधानमंत्री बताती है, इसलिए उसकी छीछालेदर हो रही है.

Rajnath Singh
गले की हड्डी बना कंधार मुद्दातस्वीर: Fotoagentur UNI

बीजेपी प्रवक्ता रविशंकर प्रसाद का कहना है कि कांग्रेस ढोंग कर रही है क्योंकि उस समय वह स्वयं बंधकों को छुडाये जाने की मांग कर रही थी. उधर कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने जसवंत सिंह द्वार चुनाव प्रचार के दौरान दस साल बाद स्पष्टीकरण देने के औचित्य पर सवाल खडा किया है और कहा है कि यह आडवाणी का बचाव करने के लिए दिया गया बयान है.
कांग्रेस के हाथ में कंदहार का हथियार है तो बीजेपी के पास संसद पर हुए आतंकवादी हमले के दोषी अफज़ल गुरु को सुप्रीम कोर्ट द्वारा मृत्युदंड दिए जाने के बाद भी अब तक फांसी पर न लटकाने का मुद्दा है. उसका आरोप है कि कांग्रेस मुस्लिम वोटों की खातिर अफज़ल गुरु को फांसी नहीं होने दे रही है. कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने शुक्रवार को कहा कि कांग्रेस ने कभी नहीं कहा कि अफज़ल गुरु को फांसी न दी जाए. इस पर बीजेपी प्रवक्ता रविशंकर प्रसाद ने कहा कि यदि दिग्विजय सिंह की पार्टी में दम है तो गुरु को फांसी पर चढा कर दिखाए.
इस पूरे विवाद से स्पष्ट है कि देश की दो सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टियाँ भविष्य की ओर कम, अतीत की ओर अधिक देख रही हैं.

रिपोर्ट- कुलदीप कुमार, नई दिल्ली