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ओलंपिक से पहले पेरिस में सेन के गंदे पानी ने बढ़ाई चिंता

२३ अप्रैल २०२४

यूरोप में पर्यावरण और खेल से जुड़े घोटालों की कड़ी में अब पेरिस में होने वाले ओलंपिक खेलों से पहले सेन नदी के पानी की गंदगी पर चिंताएं जताई जा रही हैं. क्या ट्राइथलॉन, मैराथन, तैराकी और नौकायन जैसी स्पर्धाएं हो पाएंगी?

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सेन नदी के किनारे नोत्रे दाम कथीड्रल की मरम्मत का काम चल रहा है
सेन नदी का प्रदूषण ओलंपिक खेलों से पहले एक बड़ा मुद्दा बन गया हैतस्वीर: Blondet Eliot/abaca/picture alliance

सेन नदी के पानी की गुणवत्ता को लेकर व्यक्त की जा रही आशंकाओं के बावजूद, पेरिस ओलंपिक खेलों के आयोजकों ने ऐतिहासिक नदी पर ट्राइथलॉन और मैराथन तैराकी के मुकाबलों की महत्वाकांक्षी योजना बनाई है.

हालांकि जल प्रदूषण को लेकर जारी विवादों की वजह से इन मुकाबलों पर संकट मंडरा रहा है. पानी की कुछ स्पर्धाएं क्लोरीन युक्त स्विमिंग पुल की अपेक्षा खुले पानी मे ही कराई जा सकती हैं जैसे नौकायन, ट्राइथलॉन, सेलिंग, सर्फिंग और मैराथन तैराकी.

वॉर्मअप मुकाबलों के दौरान सीवेज के संभावित स्तरों को लेकर तैराकों की शिकायतों के बाद, पेरिस का स्थानीय प्रशासन नदी की सफाई में 1.4 अरब यूरो खर्च कर रहा है. कुछ टेस्ट मुकाबले तो रद्द भी करने पड़े.

लगातार होती भारी बारिश से स्थानीय नहरों में पानी उफनते हुए बहने लगता है. उसके साथ गंदा पानी भी नदी में चला आता है जिससे पानी में बैक्टीरिया का जमाव बढ़ जाता है. सेन नदी में सीवेज को बहने से रोकने के लिए, विशेष पंपो और तथाकथित कैच बेसिनों पर पैसा खर्च किया जा रहा है.

 ऑक्सफोर्ड और कैंब्रिज की टीम के बीच टेम्स नदी में मुकाबला
नौकायन और तैराकी के कुछ मुकाबले खुले में होते हैं इनके लिए साफ पानी जरूरी हैतस्वीर: AP

ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में एक प्रमुख विशेषज्ञ ने डीडब्ल्यू को बताया कि तैराकी के लिए पानी को सुरक्षित बनाने के लिए नदी में सीवेज को बहने से रोकना ही काफी नहीं होगा.

ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के भूगोल और पर्यावरण स्कूल में एसोसिएट प्रोफेसर और सीनियर रिसर्च फैलो डॉ कैटरीना चार्ल्स का कहना है, "व्यापक सलाह यही दी जाती है कि उस पानी में कोई तैरे नहीं. भारी बारिश के बाद कई दिन तक वह पानी तैरने लायक नहीं होता. सीवर बह कर जाता है और जानवरों के मल-मूत्र के बह आने का खतरा भी बढ़ जाता है. उसमें कुत्ते और बिल्ली का मल-मूत्र भी शामिल है."

चार्ल्स कहती हैं, "पानी में सीवर का ओवरफ्लो ना भी हो तो भी भारी बारिश के बाद पानी में संक्रमण और स्वास्थ्य पर खतरा तो बना ही रहता है."

डुएथलॉन तक सिमट सकती है स्पर्धा

पेरिस में भारी बारिश आमतौर पर साल में चार या पांच बार होती है. ओलंपिक आयोजकों को उम्मीद है कि जुलाई और अगस्त की स्पर्धा के दौरान गर्मियों का मौसम बाधा नहीं बनेगा.

अगर बारिश हो गई तो मैराथन तैराकी और ट्राइथलॉन मुकाबले या तो स्थगित करने पड़ेंगे या रद्द. पेरिस 2024 के अध्यक्ष टोनी एस्तानगुए ने कहा है कि अगर हालात बदतर हुए तो ट्राइथलॉन की जगह सिर्फ डुएथलॉन रखा जा सकता है जिसमें सिर्फ साइकिल चलाने और दौड़ वाले हिस्से ही रहेंगे.

पेरिस ओलंपिक की तैयारियां ही इतनी खूबसूरत लग रही हैं!

उन्होंने हाल में पत्रकारों को बताया कि "बारिश की स्थितियों में हम उन स्पर्धाओं की तारीख आगे बढ़ा सकते हैं. क्योंकि ये वाले मुकाबले, ओलंपिक खेलों की शुरुआत में ही रखे गए हैं, तो हम बेहतर स्थिति का इंतजार कर सकते हैं. हमें विश्वास है कि सेन नदी का हम उपयोग कर पाएंगे. फिर तैराकी कहां नहीं की जा सकती है इस बारे में निर्णय अंतिम है. अंतरराष्ट्रीय फेडरेशन के नियमों का यह हिस्सा है. जाहिर है हम इससे बचना चाहेंगे."

जल प्रदूषण से जुड़ी एक कल्याणकारी संस्था सर्फराइडर यूरोप के मुताबिक, इंसानी कचरे में मिलने वाले बैक्टीरिया ई-कोलाइ सेन नदी की एक बड़ी समस्या है. खुले पानी की ओलंपिक स्पर्धाओं के लिए यह कोई नई समस्या नहीं है.

रोइंग और कनोइंग में अक्सर निर्धारित रास्ते होते हैं जहां प्रदूषण से ज्यादा आसानी से निपटा जा सकता है. हालांकि ट्राइथलॉन, मैराथन तैराकी और कुछ हद तक सेलिंग और सर्फिंग में चुनौतियां हैं. सर्फिग का मुकाबला शहर से 15,700 किलोमीटर दूर ताहिती में होगा और सेलिंग का मुकाबला मारसेल में.

2016 में रियो ओलंपिक के दौरान एसोसिएटड प्रेस के एक अध्ययन से पता चला कि कोपाकबाना तट जैसे जलमार्ग मानव मल-मूत्र से दूषित हो गए थे. वहां खतरनाक वायरस और बैक्टीरिया पनप गए थे. बीमारी से बचने के लिए तैराकों को एंटीबायोटिक लेनी पड़ी थी. खेल पूरे होने के बाद वास्तविक बीमारी का प्रमाण बामुश्किल ही देखने को मिला. सिर्फ बेल्जियम के एक खिलाड़ी ने खराब स्वास्थ्य की शिकायत की थी. पेरिस में जैसा दिख रहा है, वह मुद्दा ब्राजील जैसा नहीं है. यहां परिपक्व विकसित पश्चिमी देश इससे जुड़े हैं.

भारी बारिश का डर

ब्रिटेन में ऑक्सफोर्ड और कैंब्रिज यूनिवर्सिटियों के बीच होने वाली विहंगम यूनिवर्सिटी नाव दौड़, लंदन की टेम्स नदी पर देखने लायक मुकाबला होता है. हालांकि इस साल इस दौड़ पर बीमारी का संकट मंडराता रहा. शोध के मुताबिक नदी में ई-कोलाइ बैक्टीरिया उच्च स्तर पर मौजूद था.

लेनी जेनकिंस कहते हैं कि वो और हारने वाली ऑक्सफोर्ड टीम के कई सदस्य मुकाबले की सुबह बीमार थे. उन्होंने टेम्स में ट्रेनिंग सेशन किए थे. उन्होंने पत्रकारों को बताया, "कैंब्रिज से हम हारने वाले नहीं थे लेकिन हमारे कुछ खिलाड़ी ई-कोलाई के संक्रमण की वजह से बुरी तरह पस्त हो गए थे. मैं भी उल्टी कर रहा था और पक्का नहीं था कि नाव में बैठ भी पाऊंगा या नहीं लेकिन आखिरकार मैं चुप ही रहा तो ये जिम्मेदारी भी मेरी है."

कैंब्रिज टीम के खिलाड़ियों को ताकीद कर दी गई थी कि जीत के बाद रस्म के मुताबिक साथी खिलाड़ी एक दूसरे को टेम्स के पानी में ना फेंके. ब्रिटिश मीडिया में स्थानीय जल कंपनी टेम्स वॉटर की जमकर छीछालेदर हुई. ऐसी खबरें आई कि कंपनी 2020 से करीब 72 अरब लीटर सीवेज नदी मे बहा चुकी है.

पेरिस से गुजरती सेन नदी
सेन नदी की सफाई पर पेरिस का नगर प्रशासन बहुत पैसा खर्च कर रहा हैतस्वीर: Blondet Eliot/ABACA/abaca/picture alliance

ओलंपिक के लिए सेन नदी की सफाई में जुटा है पेरिस

वित्तीय मुश्किलों से जूझ रही कंपनी ने लंदन के खराब पानी के लिए भारी बारिश को जिम्मेदार ठहराया. रोइंग और सेलिंग करने वाले खिलाड़ी विशेष दस्ताने पहनकर, दूषित पानी के छींटो से खुद को बचा सकते हैं. हालांकि गंदे पानी में देर तक खुले मुंह के साथ तैरते रहना बिल्कुल अलग ही लड़ाई है.

इंग्लैंड की सबसे बड़ी झील विंडरमेर, खेलों का एक लोकप्रिय ठिकाना है. हर साल जून में वहां सालाना ट्राइथलॉन होती है. विंडरमेर में भी प्रदूषित सीवेज की समस्या है. स्थानीय जल कंपनी यूनाइटेड यूटिलिटीज के खिलाफ हाल मे हुए विरोध प्रदर्शन में हॉलीवुड अभिनेता स्टीव कुगन भी शामिल हुए थे.

यूनाइटेड यूटिलिटीज के क्रिस मैथ्यूज ने ब्रिटेन के आईटीवी को बताया, "एक विशाल निवेश कार्यक्रम के एक हिस्से के रूप में, हम लोग अत्यधिक गंभीरता के साथ इस समस्या से निपटने की कोशिश कर रहे हैं."

पेरिस ने भी खुले पानी में तैराकी स्पर्धाओं को सुरक्षित बनाने के लिए बड़े पैमाने पर निवेश किया है, लेकिन वो शायद काफी नहीं. ऑक्सफोर्ड की डॉ चार्ल्स कहती हैं, "बारिश के बाद नदी के पानी में हमेशा ही रोगाणुओं की संख्या बढ़ती रहेगी."