टोक्यो ओलंपिक में मस्जिद ऑन व्हील्स
६ फ़रवरी २०२०जापान की राजधानी टोक्यो में जुलाई से ओलंपिक खेल शुरू हो रहे हैं. ऐसे में मुस्लिम खिलाड़ियों, अधिकारियों और फैन्स के लिए सड़क पर चलने वाली मस्जिद तैयार की गई है. टोक्यो की सड़कों पर मस्जिद ऑन व्हील्स चलती हुई दिख जाएगी. इसके अलावा, खेल गांव में प्रार्थना के लिए खास कमरों का निर्माण कार्य चल रहा है. हालांकि, कुछ स्थलों पर प्रार्थना के लिए निर्धारित जगह नहीं हो सकती है.
जापान की राजधानी में होटलों और सार्वजनिक क्षेत्रों में प्रार्थना स्थलों की कमी है. इसी कमी को देखते हुए एक ट्रक पर मस्जिद बनाई गई है. इसमें नमाज पढ़ने के लिए 48 वर्ग मीटर की जगह के साथ हर सुविधा मौजूद है. ट्रक को ऐसे तैयार किया गया है कि पार्किंग के बाद वह एक मस्जिद में तब्दील हो जाता है. ट्रक का पिछला हिस्सा कुछ ही सेकंड में खुलकर चौड़ा हो जाता है और ट्रक पर अरबी भाषा में निर्देश लिखे हुए हैं. ट्रक के बाहरी हिस्से में नमाज के पहले वजू करने के लिए नल भी लगाए गए हैं.
यह चलती फिरती मस्जिद यासु प्रोजेक्ट नाम के एक प्रोजेक्ट ने तैयार की है. टोक्यो में 24 जुलाई से 9 अगस्त के बीच ओलंपिक खेल होंगे. संगठन के सीईओ यासुहारु इनौ को उम्मीद है कि खिलाड़ी और समर्थक इस ट्रक का इस्तेमाल करेंगे. वह कहते हैं, "मैं चाहता हूं कि एथलीट पूरी प्रेरणा के साथ प्रतिस्पर्धा में भाग लें और दर्शक भी उसी प्रेरणा के साथ खिलाड़ियों का प्रोत्साहन करें. इसी के लिए मैंने यह तैयार किया है. मुझे उम्मीद है कि इससे जागरूकता आएगी कि दुनिया में अलग-अलग तरह के लोग हैं और इससे भेदभाव मुक्त और शांतिपूर्ण ओलंपिक और पैरा ओलंपिक को बढ़ावा मिलेगा."
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टोक्यो में आयोजकों का कहना है कि वह सभी धार्मिक समूहों के लिए उचित सुविधाएं मुहैया कराने के लिए कई रास्ते तलाश रहे हैं. टोक्यो ओलंपिक ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स को ईमेल के जरिए बताया, "आयोजन समिति ऐसे धार्मिक या आस्था केंद्रों की सूची तैयार कर रही है, जहां खेल गांव में रहने वाले लोग जरूरत पड़ने पर जा सकते हैं या उनसे संपर्क कर सकते हैं."
वासेदा यूनिवर्सिटी के मुताबिक साल 2018 के अंत तक जापान में 105 मस्जिदें थीं, लेकिन ये मस्जिदें देश में फैला हुईं हैं और अधिकतर छोटी हैं. कई टोक्यो के बाहर मौजूद हैं. ऐसे में उन मुसलमानों के लिए दिक्कत हो सकती है जो दिन में पांच बार नमाज पढ़ते हैं. यासुहारु इनौ कहते हैं उन्होंने कई ओलंपिक समितियों से इस बारे में बात की है. हाल ही में उन्होंने इंडोनेशिया की समिति से उनके खिलाड़ियों की मदद के लिए बात की थी.
पिछले 12 साल से जापान में रह रहे इंडोनेशिया के तोपन रिज्की उत्रादेन पहली बार मोबाइल मस्जिद में अपनी बेटी के साथ आए हैं. वह कहते हैं, "जहां आप रहते हैं वहां मस्जिद ढूंढ पाना बहुत मुश्किल काम है. अगर आप शहर में हैं तो कोई समस्या नहीं है लेकिन जब आप शहर से बाहर रोड ट्रिप के लिए जाते हैं तो समस्या हो जाती हैं."
नमाज पढ़ने को लेकर रिज्की कहते हैं, "कई बार मैं पार्क में नमाज पढ़ता हूं लेकिन जापानी मुझे ऐसे देखते हैं कि मैं क्या कर रहा हूं?"
एए/एके (रॉयटर्स)
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