ओलंपिक में डोपिंग के खिलाफ युद्ध
२० जुलाई २०१२डोपिंग पुलिस ब्रिटेन की सीमाओं से लेकर लंदन के आसपास गांवों और खिलाड़ियों के कमरों पर कड़ी नजर रख रही है. उनका मकसद ड्रग्स बेचने वालों को खिलाड़ियों तक पहुंचने से रोकना और अगर खिलाड़ियों पर इसके बाद भी डोपिंग का शक होता है, तो उन्हें जांच से गुजरना होगा.
अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) के जाक रोगे कहते हैं कि ड्रग्स नापसंद करने वाले खिलाड़ियों के लिए यह अच्छा साबित होगा, "हम जितने धोखेबाजों को पकड़ सकेंगे, साफ खिलाड़ियों के लिए उतना ही अच्छा होगा." लंदन ओलंपिक के आयोजक और आईओसी खिलाड़ियों के खून और मूत्र के 5,000 नमूने जांचेंगे. 40 फीसदी टेस्ट 27 जुलाई को खेलों के शुरू होने से पहले कर दिए जाएंगे.
हर प्रतियोगिता के टॉप पांच खिलाड़ियों के साथ अन्य दो खिलाडियों के टेस्ट किए जाएंगे. खिलाड़ियों की जांच कभी भी और कहीं भी की जा सकती है और इनके खून के सैंपल अगले आठ साल तक सुरक्षित रखे जाएंगे ताकि भविष्य में आरोप लगने पर टेस्ट किए जा सकें. आईओसी के मुताबिक यह ओलंपिक इतिहास में सबसे कड़ी जांच होंगी. इस हफ्ते सोमवार से ही जांचों की शुरुआत हो चुकी है.
लंदन के उत्तरी इलाके हार्लो में एक घर डोपिंग टेस्ट केंद्र बन गया है. खिलाड़ियों का भविष्य यहीं तय होगा. दवाओं और कॉस्मेटिक्स की कंपनी ग्लैक्सो स्मिथक्लाइन इसे चला रही है. यह हफ्ते में सात दिन और 24 घंटे खुला रहेगा. टेस्ट कभी भी किए जा सकेंगे. रोजाना इसमें 400 सैंपल को जांचा जाएगा और 240 प्रतिबंधित ड्रग्स को खोजने की कोशिश होगी.
अगर कोई टेस्ट पॉजिटिव होता है, यानी खिलाड़ी के शरीर में प्रतिबंधित दवाओं का पता चलता है तो आईओसी तुरंत कार्रवाई शुरू कर देगी. एक अनुशासन समिति मामले की तहकीकात करेगी और सुनवाई होगी. अगर खिलाड़ी डोपिंग का दोषी पाया जाता है, तो उसे खेलों से प्रतिबंधित किया जा सकता है.
2004 के एथेंस ओलंपिक खेलों में 26 ऐसे मामले सामने आए. इससे पहले इतने खिलाड़ियों पर कभी भी डोपिंग का आरोप नहीं लगा. इन 26 खिलाड़ियों में से छह को पदक मिले थे. दो तो स्वर्ण पदक विजेता थे. बीजिंग में 14 खिलाड़ी डोपिंग के दोषी पाए गए. खेलों के बाद बहरीन के राशिज रमजी के खून में ईपीओ पाया गया. ईपीओ से लाल रक्त कणिकाएं बढ़ जाती है. रमजी से फिर उनका स्वर्ण पदक छीन लिया गया.
डोपिंग को रोकने के लिए और ड्रग्स का इस्तेमाल न करने वाले खिलाड़ियों को देखते हुए ओलंपिक आयोजक पुलिस के साथ खुफिया एजेंसियों की भी मदद ले रहे हैं. ब्रिटेन में सरकारी डोपिंग निरोधी संगठन ने एक हॉटलाइन भी शुरू की है जहां किसी भी वक्त डोपिंग को लेकर जानकारी दी जा सकती है.
एमजी/ओएसजे(एपी)