ओबामा ने लीबिया पर प्रतिबंध लगाए
२६ फ़रवरी २०११प्रतिबंधों के तहत गद्दाफी परिवार की अमेरिका में किसी भी तरह की संपत्ति को सील करने के आदेश दिए गए हैं. अमेरिकी राष्ट्रपति ने एक बयान जारी कर कहा ''किसी भी तरह से देखें, मुअम्मर गद्दाफी की सरकार ने अंतरराष्ट्रीय नियमों और सामान्य शिष्टाचार का उल्लंघन किया है. उन्हें इसके लिए जबावदेह ठहराया जाना होगा. यह प्रतिबंध गद्दाफी सरकार के खिलाफ लगाए गए हैं, क्योंकि उनकी संपत्ति असल में लीबिया के लोगों की है.''
लीबिया में हो रही हिंसा की कड़े शब्दों में निंदा करते हुए ओबामा ने पहली बार बेहद सख्त लहजा अपनाया. अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा, ''लीबिया की सरकार लगातार मानवाधिकारों का उल्लंघन कर रही है. लोगों पर बर्बरता कर रही है. हम लीबिया के लोगों और उनके अधिकारों के साथ खड़े हैं. वहां की सरकार ही इन हालातों की जिम्मेदार है. इंसान की प्रतिष्ठा को नकारा नहीं जा सकता है.''
विशेषाधिकार के तहत किए गए फैसले में अमेरिकी राष्ट्रपति ने यह भी कहा कि लीबिया की सरकारी संपत्ति को गद्दाफी से खतरा बना हुआ है. गद्दाफी और उनकी सरकार सरकारी संपत्ति का गलत इस्तेमाल कर सकते हैं. लीबिया से अमेरिकी नागरिकों को वापस ला रही एक फ्लाइट के उड़ान भरने के बाद ओबामा ने यह प्रतिबंध लगाए हैं. इस बीच त्रिपोली से 300 अमेरिकी और विदेशी नागरिकों को लेकर एक बड़ी नाव माल्टा पहुंच चुकी है.
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद पर दवाब
अब संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद पर भी लीबिया में दाखिल होने का दबाव बढ़ने लगा है. संयुक्त राष्ट्र में लीबिया के दूत मोहम्मद शालगम ने सुरक्षा परिषद से फौरन हस्तक्षेप की मांग की है. शालगम ने कहा कि लीबिया में आम लोगों पर हो रहे क्रूर अत्याचार को फौरन रोकने की कोशिश होनी चाहिए. संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून और कनाडा के प्रधानमंत्री स्टीफन हार्पर ने भी सुरक्षा परिषद से लीबिया के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है.
हार्पर ने कहा, "हम संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से मांग करते हैं कि वह लीबिया के मामले को अंतरराष्ट्रीय अपराध अदालत में ले जाए. जो भी लोग लीबिया के लोगों के खिलाफ क्रूर कार्य कर रहे हैं और ऐसा करवाने के आदेश दे रहे हैं, उन्हें जवाबदेह ठहराना होगा."
यूरोपीय संघ भी सख्त
यूरोपीय संघ के देश लीबिया को हथियारों की सप्लाई रोकने पर राजी हो गए हैं. संघ ने लीबिया पर कई तरह के प्रतिबंध लगाने की तैयारी कर ली है, जिनमें वीजा बैन और सत्ताधारी लोगों की संपत्ति फ्रीज करना भी शामिल है. जर्मनी के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि सैन्य सामान और हथियारों की बिक्री रोकी जाएगी क्योंकि इनका इस्तेमाल लोकतंत्र समर्थक प्रदर्शनकारियों पर किया जा सकता है. हालांकि इस फैसले पर औपचारिक मुहर अगले हफ्ते लगाई जाएगी.
रिपोर्ट: एजेंसियां/ओ सिंह
संपादन: ईशा भाटिया