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ऑटिज्म के लिए माहौल भी जिम्मेदार

६ मई २०१४

स्वीडन में बहुत बड़े स्तर पर हुए एक शोध में पाया गया है कि ऑटिज्म के लिए केवल जीन ही पूरी तरह जिम्मेदार नहीं होते बल्कि माता पिता के आसपास का माहौल और उनकी सामाजिक स्थिति भी उतना ही असर डालती है.

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बहुत समय से ये माना जाता रहा है कि बच्चों में ऑटिज्म के लिए माता-पिता के जीन ही जिम्मेदार होते हैं. पहले हुई बहुत सी स्टडीज में कहा गया कि माता-पिता की आनुवंशिक संरचना इसके लिए 80 से 90 प्रतिशत तक जिम्मेदार होती है. पहली बार स्वीडेन में किए गए इस इतने बड़े शोध में देखा गया है कि जीन्स महत्वपूर्ण तो हैं लेकिन उतने नहीं. रिसर्चरों ने पाया कि जीन्स का असर केवल 50 फीसदी रहा जबकि बाकी कई कारकों ने ऑटिज्म के मामलों को प्रभावित किया.

'जर्नल ऑफ दि अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन' में प्रकाशित इस स्टडी के नतीजों से रिसर्चर भी हैरान रह गए. उन्होंने पाया कि तंत्रिका तंत्र के विकास में गड़बड़ी के कारण होने वाली अवस्था, ऑटिज्म, किन किन बाहरी कारणों से प्रभावित होती है. वैज्ञानिकों ने देखा कि बच्चे के जन्म के समय होने वाली किसी तरह की परेशानी, उसके परिवार के सामाजिक और आर्थिक हालात, गर्भावस्था के समय या उसके पहले मां को हुए किसी तरह के संक्रमण या फिर उसके लिए ली गई कोई दवा भी बच्चे में ऑटिज्म का कारण बन सकती है.

इस स्टडी में नतीजों पर पहुंचने के लिए स्वीडन के करीब 20 लाख लोगों के डाटा इकट्ठे किए गए. साल 1982 से लेकर 2006 तक इन लाखों लोगों से जुड़ी जानकारियों का एक विशाल डाटाबेस बनाया गया. जानकारियों के इस अंबार के विश्लेषण से रिसर्चर इस नतीजे पर पहुंचे कि माता-पिता की आनुवंशिक संरचना के साथ साथ उनसे जुड़ी हुई बाहरी चीजें बच्चें में ऑटिज्म के मामले में कितने असरदार हो सकती हैं.

विश्व में 100 में से एक बच्चा ऑटिज्म के साथ पैदा होता है. अमेरिका में तो यह तादाद औसतन हर 68 में से एक के करीब है. इस स्डटी के लेखक आवि राइषेनबैर्ग बताते हैं, "हम खुद इन नतीजों से हैरान थे. हमें उम्मीद नहीं थी कि ऑटिज्म पर बाहर के कारक इतना ज्यादा असर डाल सकते हैं." राइषेनबैर्ग न्यूयॉर्क के 'दि माउंट सिनाइ सीवर सेंटर फॉर ऑटिज्म रिसर्च' में काम करते हैं जबकि इस स्टडी के सह-लेखकों के तौर पर लंदन के किंग्स कॉलेज और स्वीडन के कारोलिंस्का इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों ने हिस्सा लिया.

वैज्ञानिकों ने यह जरूर कहा है कि ऑटिज्म के कारणों को समझने के लिए और ज्यादा रिसर्च की जरूरत है. हाल ही में आई रिसर्चों से इस तरफ संकेत मिले हैं कि असल में ऑटिज्म की अवस्था बच्चों में उनके जन्म के पहले से ही होती है. यह भी हो सकता है कि इस समस्या की जड़ें मां के गर्भ में भ्रूण के बढ़ने के समय आकार लेती हों.

आरआर/एएम (एएफपी)