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एशिया में किशोर उम्र के बलात्कारी

१० सितम्बर २०१३

भारत के पड़ोसी बांग्लादेश सहित छह देशों में बलात्कार करने वालों में किशोर उम्र के लड़के भी शामिल हैं. संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट बताती है कि इन देशों के लोग सेक्स को अपना अधिकार मानते हैं, जबरन ही सही.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa

एशिया प्रशांत देशों में 10,000 लोगों से पूछताछ के आधार पर तैयार की गई यूएन की रिपोर्ट उसी दिन जारी की गई, जिस दिन भारत की एक अदालत ने दिल्ली गैंग रेप में चार आरोपियों को दोषी करार दिया है. सर्वे में महिलाओं के खिलाफ हिंसा के बारे में पुरुषों की सोच पूछी गई. सर्वेक्षण के नतीजे चौंकाने वाले हैं. इन पुरुषों की उम्र 50 साल से कम है. सर्वे में पता चला है कि लगभग 50 प्रतिशत पुरुषों ने अपने करीब किसी महिला के खिलाफ हिंसा की, जिसमें कई बार यौन हिंसा भी शामिल थी.

संयुक्त राष्ट्र ने इस रिपोर्ट को सार्वजनिक करते हुए बताया कि बांग्लादेश, कंबोडिया, चीन, इंडोनेशिया, श्रीलंका और पापुआ न्यू गिनी में करीब 10,000 पुरुषों से सवाल किए गए. शोध का विषय है, "कुछ पुरुष महिलाओं के खिलाफ हिंसा का इस्तेमाल क्यों करते हैं और इससे कैसे बचा जा सकता है."

31.08.2013 Gruppenvergewaltigung Proteste Urteil gegen Teenager in Neu Delhi Indien
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo

हैरान करने वाले आंकड़े

शोध किया है पार्टनर्स फॉर प्रिवेंशन नाम के संगठन ने, जो संयुक्त राष्ट्र के जनसंख्या फंड यूएनएफपीए, विकास कार्यक्रम यूएनडीपी, यूएन महिला संस्था और यूएन स्वयंसेवी संगठन यूएनवी का साझा संगठन है. शोध में पूछा गया कि पुरुषों का हिंसा के प्रति कैसा रवैया है. वह महिलाओं के बारे में क्या सोचते हैं, उनका बचपन कैसा था, उनकी यौन जानकारी कैसी है और पारिवारिक जीवन और स्वास्थ्य में उनकी क्या हालत है.

दिल्ली बलात्कार कांड ने भले ही भारत और पूरी दुनिया को सन्न कर दिया हो, लेकिन इस स्टडी की रिपोर्ट भी परेशान करने वाले आंकड़े पेश करती है. इसके मुताबिक छह देशों के करीब 24 फीसदी मर्दों ने माना है कि उन्होंने कभी न कभी बलात्कार किया है. हालांकि इस आंकड़े में पत्नी या पार्टनर के साथ जबरन सेक्स को भी शामिल किया गया है.

Indien Gerichtsprozess gegen Vergewaltiger
तस्वीर: Reuters

सर्वेक्षण वाले सारे देशों में पुरुषों का मानना है कि उनको यौन संबंध रखने का अधिकार है, चाहे महिला की इच्छा हो या नहीं. बलात्कार करने की बात स्वीकार करने वाले पुरुषों में से 80 प्रतिशत बांग्लादेश के ग्रामीण इलाकों और चीन से थे. चार प्रतिशत लोगों ने बताया कि उन्होंने एक महिला के खिलाफ सामूहिक बलात्कार में हिस्सा लिया है. कुछ इलाकों में यह संख्या 14 प्रतिशत थी.

पार्टनर्स फॉर प्रिवेंशन के जेम्स लांग कहते हैं, "इस शोध से पता चलता है कि महिलाओं के खिलाफ हिंसा को रोका जा सकता है. यह अहम है क्योंकि जिन जगहों में हमने यह शोध किया वहां पुरुष महिलाओं के खिलाफ हिंसा का इस्तेमाल करते हैं. इसे रोका जा सकता है क्योंकि हिंसा की जो वजहें हैं, वह बदली जा सकती हैं."

शोध में पता चला कि पहले जैसा सोचा जाता था, उसके मुकाबले पुरुष काफी छोटी उम्र में इस तरह के अपराध करते हैं. जिन लोगों ने माना कि उन्होंने बलात्कार किया है, उन्होंने बताया कि वह तब किशोर उम्र में थे, यानी 19 साल से कम. पापुआ न्यू गिनी में 23 प्रतिशत और कंबोडिया में 16 प्रतिशत लोगों ने स्वीकार किया कि बलात्कार करते वक्त उनकी उम्र 14 साल या उससे कम थी. जिन लोगों ने बलात्कार किया, उनमें से 72 से लेकर 97 प्रतिशत पुरुषों पर कोई कानूनी कार्रवाई नहीं हुई.

समाज और परिवार का असर

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तस्वीर: picture-alliance/AP

शोध से पता चला है कि महिलाओं के खिलाफ हिंसा इस बात को दिखाती है कि सामाजिक और निजी जीवन में उन्हें पुरुषों से कमतर माना जाता है. भारत में महिलाओं के प्रति रवैये पर किताब "इंडिया डिसॉन्ड" के लेखक सनी हंडल कहते हैं, "जब वह कहते हैं कि महिलाओं का सम्मान करना चाहिए तो उनका मतलब है कि महिलाओं के व्यवहार को सीमित तरीके से देखना चाहिए. ऐसे मुद्दे हैं, जैसे अगर वे पश्चिमी कपड़े पहनती हैं तो वह अपवित्र हैं और उनका फायदा उठाया जा सकता है. "

सर्वेक्षण में यह भी पता चला कि महिलाओं के खिलाफ हिंसा का ऐतिहासिक पहलू भी है. साथ ही बचपन में पुरुषों के अपने अनुभवों का भी असर पड़ता है. पापुआ न्यू गिनी और चीन के पुरुषों ने बताया कि बचपन में उन्हें भावनात्मक परेशानियां हुईं और उनके मां बाप लापरवाह थे.

इस तरह के पुरुष सामान्य स्वस्थ परिवारों के मुकाबले महिलाओं के खिलाफ दोगुने हिंसक होते हैं. अगर उनकी मां उनके खिलाफ हिंसा का इस्तेमाल करती हैं तो पुरुषों में महिलाओं के खिलाफ हिंसक भावनाएं पैदा हो सकती हैं. कई देशों में लड़कों से कहा जाता है कि वह सख्त रहें और उनकी मर्दानगी को अच्छा माना जाता है. यौन संबंधों में उनकी सफलता भी उनकी मर्दानगी को साबित करना का बड़ा हिस्सा है.

पार्टनर्स फॉन प्रिवेंशन में शोधकर्ता एमा फुलू कहती हैं, "हम उम्मीद करते हैं कि इस जानकारी का इस्तेमाल महिलाओं के खिलाफ हिंसा को रोकने के कार्यक्रमों और नीतियों में होगा. ऐसे अपराध करने वाले पुरुषों की उम्र कम होती जा रही है और हमें और कम उम्र की लड़कियों और लड़कों के साथ काम शुरू करना चाहिए. हमें ऐसी नीतियां और कानूनों की जरूरत है जो साफ कहते हों कि महिलाओं के खिलाफ हिंसा को स्वीकार नहीं किया जाएगा."

रिपोर्टः मानसी गोपालकृष्णन

संपादनः अनवर जे अशरफ

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