एशिया के बच्चों को बीमार कर रहा है इंस्टेंट नूडल
१५ अक्टूबर २०१९फिलीपींस, इंडोनेशिया और मलेशिया जैसे देशों की अर्थव्यवस्था में सुधार के साथ ही लोगों का जीवन स्तर भी बढ़ रहा है. बावजूद इसके ऐसे मां-बाप की संख्या बढ़ रही है जो समय, पैसे और जागरुकता के अभाव में इस तरह के खाने से अपने बच्चों को दूर नहीं रख पा रहे हैं. संयुक्त राष्ट्र की बाल एजेंसी यूनीसेफ की एक रिपोर्ट के मुताबिक सिर्फ इन तीन देशों में ही औसतन 40 फीसदी बच्चे कुपोषित हैं. इंडोनेशिया में सार्वजनिक स्वास्थ्य के एक विशेषज्ञ ने कहा, "मां बाप को लगता है कि बच्चे का पेट भरना सबसे जरूरी है. वो प्रोटीन, कैल्शियम और फाइबर के बारे में सचमुच नहीं सोचते."
यूनीसेफ का कहना है कि बच्चों के स्वास्थ्य में नुकसान उनकी पहले की कमियों के साथ ही इस बात का भी संकेत है कि भविष्य में उन्हें परेशानी होगी. आयरन जैसे तत्वों की कमी बच्चों की सीखने की क्षमता को प्रभावित करेगी तो महिलाओं के लिए यह गर्भधारण और बच्चे के जन्म के तुरंत बाद मौत का कारण भी बन सकती है.
समस्या कितनी गंभीर है इसका आकलने करने के लिए यूनिसेफ ने जो आंकड़े दिए हैं उसके मुताबिक पांच साल से कम उम्र के करीब 2.42 करोड़ ऐसे बच्चे केवल इंडोनेशिया में ही हैं. फिलीपींस में ऐसे बच्चों की तादाद 1.1 करोड़ है और मलेशिया में 26 लाख. यूनिसेफ की एशिया पोषण प्रमुख मुएनी मुटुंगा ने इसके पीछे परिवारों का पारंपरिक भोजन की जगह सस्ते और आसानी से मिलने या पकने वाले "आधुनिक" भोजन को अपनाना कारण बताया है. उन्होंने कहा, "नूडल्स आसान और सस्ते हैं. नूडल्स संतुलित भोजन की जगह जल्दी और आसानी से तैयार होने वाले विकल्प के रूप में सामने आ रहे हैं."
नूडल्स का एक पैकेट मनीला में केवल 23 अमेरिकी सेंट में आता है. इसमें जरूरी पोषण तत्वों जैसे आयरन और प्रोटीन की कमी होती है जबकि इसमें नमक और वसा अधिक होता है. वर्ल्ड इंस्टेंट नूडल्स एसोसिएशन के मुताबिक इंडोनेशिया दुनिया में नूडल्स का दूसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता देश है. पहले नंबर पर चीन है. इंडोनेशिया में 2018 में करीब 12.5 अरब नूडल्स की प्लेट परोसी गईं. यह संख्या कितनी बड़ी है इसे ऐसे समझिए कि भारत और जापान दोनों मिला कर भी इतना नूडल्स नहीं खाते. हालांकि भारत में भी बीते दशकों में नूडल्स खाने का चलन बढ़ा है खासतौर से बच्चों में. स्वास्थ्य पर इसके बुरे असर के बारे में भी आए दिन खबरें आती रहती हैं.
यूनिसेफ की रिपोर्ट बताती है कि फल, सब्जियां, अंडे, दूध और उससे बनी चीजें, मछली और मांस लोगों की प्लेट से गायब हो रही हैं. इसकी एक वजह यह बताई गई है कि लोग काम की तलाश में गांव छोड़ शहरों का रुख कर रहे हैं. विश्व बैंक के आंकड़ों में फिलीपींस, इंडोनेशिया और मलेशिया को मध्य आय वाल देशों में गिना जाता है. यहां करोड़ों लोग ऐसे हैं जो मुश्किल से गुजारे लायक कमाई कर पाते हैं. मलेशिया के सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ टी जयाबालन कहते हैं, "गरीबी सबसे प्रमुख मसला है."
मलेशिया के कम आये वाले परिवार अपने खाने के लिए मुख्य रूप से नूडल्स, मोटे आलू और सोयाबीन से बनी चीजों पर निर्भर हैं. जानकारों का कहना है कि चीनी वाले बिस्किट, पेय पदार्थ और फास्ट फूड भी इन देशों में समस्या बन रहे हैं. आमतौर पर इन नूडल्स का प्रचार भी बड़े स्तर पर होता है और ये हर जगह उपलब्ध हैं. जानकारों का यह भी कहना है कि लोगों के जीवन पर इंस्टेंट नूडल्स का प्रभाव कम करने के लिए दक्षिण पूर्व एशिया के देशों में सरकारों को दखल देना होगा.
एनआर/एमजे(एएफपी)
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