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एड्स दिवसः अभी लंबी है जंग

१ दिसम्बर २००९

दुनिया भर में आज एड्स दिवस मनाया जा रहा है. यह कोशिश है इस लाइलाज बीमारी के प्रति जागरुकता फैलाने की जिससे न सिर्फ़ लोग इससे बच सकें बल्कि बीमारी का शिकार बन चुके लोगों के प्रति भी भेदभाव को कम किया जा सके.

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मुहिम जागरुकता फैलाने कीतस्वीर: AP

विश्व स्वास्थ्य संगठन और संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के मुताबिक़ दुनिया में एड्स के मरीजों की संख्या तीन करोड़ 34 लाख तक हो गई है, जिसमें 21 लाख बच्चे हैं. जबकि 2008 में तक़रीबन 27 लाख नए लोग एचआईवी और एड्स से पीड़ित हुए. वायरस के शिकार ज़्यादातर लोग निम्न और मध्यम आय वाले देशों से हैं लेकिन आज एड्स दुनिया भर के सभी देशों के पुरुषों, महिलाओं और बच्चों के लिए ख़तरा बना हुआ है. इस रोग का पहली बार 1981 में पता चला और अब तक ढाई करोड़ लोग बीमारी से मर चुके हैं और तकरीबन हर दिन साढ़े सात हज़ार लोगों को नया संक्रमण होता है.

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एड्स से निपटने के लिए दुनिया भर में ख़ास कार्यक्रम चल रहे हैं.तस्वीर: AP

दुनिया भर के देशों में एड्स के खिलाफ़ काम कर रही अंतरराष्ट्रीय संस्था यूएन एड्स के प्रोग्राम सहायक उपहार सिंह भारत के बारे में कहते हैं, "भारत में एचआईवी. का सबसे ज़्यादा प्रभाव छह राज्यों में है. दक्षिण भारत में तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक, पश्चिम में महाराष्ट्र और पूर्वोत्तर में नागालैण्ड और मणिपुर. असुरक्षित यौन संबंध एचआईवी संक्रमण का सबसे बड़ा कारण है. जो आबादी एचआईवी संक्रमण के मामले में सबसे ज़्यादा असुरक्षित है वो है व्यवसायिक यौन कर्मी, समलैंगिक, नशा करने वाले और एचआईवी पॉजिटिव मांओं के नवजात शिशु."

यूएन एड्स का कहना है कि साल 2008 के अंत तक आठ सालों में बचाव के उपायों और दवाइयों की मदद से संक्रमण में 17 प्रतिशत की कमी हुई है. अफ़्रीका का सब सहारा क्षेत्र सबसे अधिक प्रभावित बना हुआ है, क्योंकि यहां 67 फ़ीसदी लोग इस वायरस से पीड़ित हैं जबकि दक्षिण एशिया और दक्षिण पूर्वी एशिया में 38 लाख लोग संक्रमण से ग्रस्त हैं. माना जाता है कि दक्षिण अफ़्रीका और नाइजीरिया के बाद एड्स से बीमार लोगों के मामले में भारत का स्थान तीसरा है. लेकिन हाल के वर्षों में देश में एड्स के फैलाव में कमी आने का दावा किया गया है.

Weltaidstag / Aids / Taiwan
ताइवान में इस तरह मन रहा है वर्ल्ड एड्स दिवसतस्वीर: AP

भारत में एड्स के ख़िलाफ़ कई राज्यों में कार्यरत स्वयंसेवी संस्था ममता के निदेशक डॉ. सुनील मेहरा कहते हैं, "हमारा नैशनल फ़ैमिली हेल्थ सर्वे बताता है कि देश में 80 से 90 प्रतिशत लोगों को इस बात की जानकारी है कि एड्स कैसे फैलता है. लेकिन लोग जानते हुए भी एड्स से बचने के व्यवहारिक उपाय नहीं अपनाते हैं. नए संक्रमण में 30 से 35 प्रतिशत युवा ज़िम्मेदार हैं. इसलिए युवाओं को भी इस बारे में सजग होना जरूरी हैं."

एड्स से बचाव के लिए बनाए गए अब तक पचास टीकों का मनुष्यों पर परीक्षण हो चुका है हालांकि थाईलैंड के वैज्ञानिकों ने एक ऐसा टीका बनाया है जो एड्स फैलाने वाले वायरस एचआईवी के ख़तरे को तीस प्रतिशत तक कम करता है. लेकिन यह टीका पूरी तरह कारगर नहीं है.

रिपोर्ट: एजेंसियां/ सरिता झा

संपादन: एस जोशी