एक भी मर्डर न होने से देश हैरान
१३ जनवरी २०१७मध्य अमेरिकी देश अल सल्वाडोर की गिनती सबसे जानलेवा मुल्कों में होती है. आम तौर पर ऐसा कोई दिन नहीं गुजरता, जब हत्याएं न होती हों. 2016 में हर दिन औसतन 14.4 लोग मारे गए. 60 लाख की आबादी वाले देश के लिए 2015 सबसे बुरा साल रहा. 2015 में 6,657 लोगों की मौत हुई. उस साल अगस्त में तीन दिन के भीतर 125 लोगों की हत्या हुई. बुरी तरह ड्रग्स की चपेट में आए अल सल्वाडोर में गैंगवॉर और पुलिस मुठभेड़ आम हैं.
लेकिन जनवरी 2017 का दूसरा हफ्ता देश के लिए हैरत लेकर आया. नेशनल सिविल पुलिस कमिश्नर हॉवर्ड कोटो के मुताबिक 11 जनवरी 2017 के दिन देश भर में हत्या का एक भी मामला सामने नहीं आया. इससे पहले 22 जनवरी 2015 के दिन भी कोई हत्या नहीं हुई थी. गैंगवॉर से जूझ रहे देश ने आखिरी बार क्षणिक शांति का अनुभव 2013 में किया था, तब दो दिन तक कोई भी मर्डर का मामला दर्ज नहीं हुआ.
देखिये ड्रग तस्करों का फाइव स्टार कब्रिस्तान
अल सल्वाडोर में मारा सल्वाट्रुचा (MS-13) और M-18 गुट की तूती बोलती है. दोनों गैंग ड्रग्स की तस्करी, संगठित अपराध, अपहरण और वसूली के लिए बदनाम हैं. एक अनुमान के मुताबिक 70 हजार लोग इन गैंग्स से जुड़े हैं. इनमें से 10 हजार लोग जेलों में बंद हैं.
असल में यह गुट 1980 के दशक में अमेरिकी शहर लॉस एजेंलिस की लैटिनो बस्ती में पनपे. गृह युद्ध के चलते अपने देश से भागकर अमेरिका पहुंचे लोगों के बच्चों ने ये गुट बनाए. 1992 में जब अल सल्वाडोर में गृह युद्ध खत्म हुआ तो अमेरिका ने बड़ी संख्या में इन लोगों को वापस भेज दिया.
आज अल सल्वाडोर की गिनती दुनिया के सबसे खतरनाक देशों में होती है. दक्षिण अमेरिका से आने वाली ड्रग्स कोलंबिया, मेक्सिको और अल सल्वाडोर के रास्ते अमेरिका भेजी जाती है. ड्रग्स के चलते इन तीनों ही देशों की हालत खस्ता है. तस्करों के गैंग आए दिन वर्चस्व की लड़ाई में उलझे रहते हैं. मेक्सिको और अल सल्वाडोर में पुलिस ने भी सख्त अभियान छेड़ा हुआ है.
ओएसजे/वीके (एपी)