एअर इंडिया से मुकाबला कैसे करें?
२ मार्च २०१८एल अल ने इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन से मदद मांगी है. हाल ही में भारत की सरकारी एयरलाइन कंपनी एअर इंडिया ने सऊदी अरब के ऊपर से उड़ते हुए इस्राएल और भारत के बीच सीधी उड़ान शुरू करने का एलान किया. एल अल भी इसी रूट पर विमान उड़ाना चाहती है, लेकिन मुश्किल सऊदी अरब का आसमान है.
फरवरी 2018 में सऊदी अरब ने एअर इंडिया को अपने एयर स्पेस में उड़ान भरते हुए हफ्ते में तीन बार तेल अवीव तक उड़ान भरने की अनुमति दी. एल अल का कहना है कि प्रतिस्पर्धा को निष्पक्ष बनाए रखने के लिए एल अल को भी ऐसी ही अनुमति मिलनी चाहिए. एल अल के पूर्व सीईओ एलेक्जेंडर दे जुनियाक अब इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के प्रमुख का पद भी संभाल रहे हैं. 120 देशों की 280 एयरलाइन कंपनियां एसोसिएशन में शामिल हैं. एल अल ने इस्राएल के प्रधानमंत्री बेन्यामिन नेतन्याहू से भी मदद मांगी है.
बीते 70 साल से एल अल समेत इस्राएल की किसी एयरलाइन कंपनी को सऊदी अरब के एयर स्पेस में उड़ने की इजाजत नहीं है. सऊदी अरब के ऊपर से उड़ान भरे बिना भारत पहुंचना इस्राएली एयरलाइंस के लिए बहुत ही महंगा साबित होता है. फिलहाल एल अल हफ्ते में चार बार मुंबई की उड़ान भरती है. तेल अवीव से मुंबई की फ्लाइट सात घंटे की है. सऊदी अरब के बैन के कारण विमान को पहले दक्षिण में इथियोपिया की ओर उड़ान भरनी पड़ती है, फिर वहां से पूर्व की दिशा लेते हुए मुंबई का रूट लिया जाता है. कंपनी का कहना है कि लंबे रूट की वजह से उसका खर्च ज्यादा आता है.
सऊदी अरब ने आज तक इस्राएल को देश के रूप में मान्यता नहीं दी है. अमेरिका और यूरोपीय देशों के साथ करीबी रिश्तों के बावजूद सऊदी अरब इस्राएल से दूरी बनाए रखता है. लेकिन अब मध्य पूर्व में ईरान के बढ़ते प्रभाव को कम करने के लिए सऊदी अरब और इस्राएल करीब आ सकते हैं. अगर सऊदी अरब ने इस्राएल की एयरलाइन कंपनी को अपने एयर स्पेस में उड़ने की इजाजत दी, तो यह 70 साल बाद आया एक बड़ा बदलाव होगा.
ओएसजे/आईबी (रॉयटर्स)