उत्तर कोरिया से खतरा देख जापान भी मिसाइल खरीदेगा
८ दिसम्बर २०१७रक्षा मंत्री इत्सुनोरी ओनोदेरा ने जब इस योजना का एलान किया तब उन्होंने उत्तर कोरिया का नाम नहीं लिया. उन्होंने कहा कि नई मिसाइल देश की रक्षा के लिए होगी, जिसमें जापान अभी भी किसी दुश्मन देश के ठिकाने पर हमला करने के लिए अमेरिका पर निर्भर है. रक्षा मंत्री ने एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा, "हम ज्वाइंट स्ट्राइक मिसाइल जेएसएम को लाने की योजना बना रहे हैं जो एफ 35ए लड़ाकू विमानों पर लगाये जाएंगे. इन्हें दुश्मन के खतरे की सीमा में आये बगैर दागा जा सकता है."
इसके साथ ही जापान एफ 15 लड़ाकू विमान पर लगाने के लिए लॉकहीड मार्टिन कॉर्पोरेशंस की उन्नत श्रेणी की ज्वाइंट एयर टू सर्फेस स्टैंट ऑफ मिसाइल (जेएसएसएम ईआर) को भी देख परख रहा है. नॉर्वे की कोन्ग्सबर्ग डिफेंस एंड एयरोस्पेस कंपनी की बनाई जेएसण मिसाइल की रेंज 500 किलोमीटर है जबकि जेएसएम ईआर 1000 किलोमीटर की दूरी तक मार कर सकती है.
हथियारों की खरीदारी की इस योजना को विपक्षी पार्टियों की आलोचना सहनी पड़ सकती है. जिन नेताओं को यह डर सताता है कि कहीं जापान के संविधान में शामिल युद्ध नहीं छेड़ने का अधिकार कमजोर ना पड़ जाए, वो इसकी जरूर आलोचना करेंगे. दूसरे विश्व युद्ध के बाद जापान के संविधान में यह अधिकार शामिल किया गया.
हालांकि उत्तर कोरिया की बैलिस्टिक मिसाइलों से उभरे खतरे ने राजनेताओं की ओर से देश के लिए एक ज्यादा मजबूत सेना की मांग भी पैदा कर दी है ताकि उत्तर कोरिया को हमला करने से रोका जा सके. जापान के पास फिलहाज जो मिसाइल हैं उनमें केवल एंटी एयरक्राफ्ट और एंटी शिप मिसाइलें हैं जिनकी रेंज 300 किलोमीटर से कम है.
जापान की नीति में इस बदलाव से यह आशंका उभर रही है कि उत्तर कोरिया के खतरे ने उसके प्रतिद्वंद्वियों की सैन्य योजना में मारक क्षमता बढ़ाने का मौका दे दिया है. उत्तर कोरिया ने हाल ही में कई बैलिस्टिक मिसाइलों का परीक्षण किया जिसमें एक नई तरह की आईसीबीएम भी है जो जापान के ऊपर से उड़ कर 4000 किलोमीटर की ऊंचाई तक गयी.
एनआर/एके (रॉ़यटर्स)