इस्राएल की सीमाओं पर खूनी संघर्ष
१६ मई २०११इस्राएल का कहना है कि प्रदर्शनकारियों को सीमा पार करने से रोकने के लिए उन्होंने गोलियां चलाईं. हर साल इस दिन विरोध प्रदर्शन होते हैं लेकिन ऐसी हिंसा आम तौर पर नहीं होती. 1948 में इस्राएल का गठन हुआ था और इस दिन को फलीस्तीनी नकबा दिवस (आपदा दिवस) के तौर पर मनाते हैं.
लेबनान, सीरिया, जॉर्डन और गजा में इस्राएली सरहद पर प्रदर्शन हुए. इन सभी जगहों पर वैसे फलीस्तीनी रहते हैं, जो 1948 में इस्राएली इलाके से भाग गए थे या उन्हें भगा दिया गया था.
इस्राएल ने इस घटना की निंदा की है और ईरान को इसका जिम्मेदार बताया है. उसका कहना है कि ईरान के भड़काने पर फलीस्तीनी ऐसा कर रहे हैं. इस्राएली प्रधानमंत्री बेंयामिन नेतन्याहू ने उम्मीद जताई है कि हिंसा थम जाएगी. उन्होंने कहा, "हम उम्मीद करते हैं कि शांति जल्द ही लौट जाएगी. लेकिन किसी को गलतफहमी नहीं होनी चाहिए. हम अपनी संप्रभुता और सीमाओं की हिफाजत करने में सक्षम हैं."
फलीस्तीन के राष्ट्रपति महमूद अब्बास ने टेलीविजन प्रसारण में मारे गए लोगों को फलीस्तीन के शहीद बताया. अब्बास ने कहा, "उनका खून व्यर्थ नहीं जाएगा. यह हमारी राष्ट्रीय आजादी के लिए बिखरा है."
हमास की चेतावनी
दूसरी तरफ गजा पट्टी पर नियंत्रण रखने वाले हमास ने चेतावनी दी है कि फलीस्तीन के लोग 1948 में खोई अपनी जमीन वापस पाने के अलावा किसी और बात पर राजी नहीं होंगे. हमास ने पिछले महीने आश्चर्यजनक तरीके से फतह के साथ संधि कर ली है. हिंसा के बाद इस्राएली सेना को सतर्क कर दिया गया है.
लेबनान की सेना का कहना है कि पत्थर चला रहे लोगों पर अचानक इस्राएल की सेना ने गोलियां बरसानी शुरू कर दीं, जिसमें 10 लोग मारे गए. ये लोग लेबनान की तरफ से इस्राएली सीमा में प्रवेश की कोशिश कर रहे थे.
सीरिया की मीडिया में रिपोर्ट दी गई है कि इस्राएली सेना की कार्रवाई में दो लोगों की मौत हो गई. सीरिया ने इस कार्रवाई की निंदा की है. इस्राएल के एक अधिकारी ने कहा, "यह बताता है कि सीरिया की सरकार हमारी सीमा पर संकट खड़ा करना चाहती है ताकि वहां जो हो रहा है, उससे लोगों का ध्यान भटकाया जा सके."
इस्राएली सेना का कहना है कि उन्होंने "घुसपैठ" रोकने के लिए कार्रवाई की. सेना के मुख्य प्रवक्ता ब्रिगेडियर जनरल योआव मोर्देचाई ने कहा, "हम देख रहे हैं कि ईरान लोगों को भड़का रहा है. वह लेबनान और सीरिया की सीमा पर ऐसा कर रहा है." सीरिया में लगभग पौने पांच लाख फलीस्तीनी शरणार्थी रहते हैं.
रिपोर्टः एजेंसियां/ए जमाल
संपादनः ओ सिंह