इराक में 21 लोगों को फांसी, मानवाधिकार संस्थाओं ने उठाए सवाल
१७ नवम्बर २०२०इराक के गृह मंत्रालय की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि देश के उत्तरी हिस्से में स्थित बदनाम नासिरियाह जेल में सोमवार को 21 लोगों को फांसी पर चढ़ा दिया गया. इन लोगों को 2005 के आतंकवाद रोधी कानून के तहत दोषी करार दिया गया था.
अधिकारियों ने विस्तार से इस बारे में ब्यौरा नहीं दिया है कि इन लोगों के अपराध क्या क्या थे. लेकिन मंत्रालय के बयान में यह जरूर कहा गया है कि इनमें से कुछ लोग उत्तरी शहर तल अफार में हुए दो आत्मघाती हमलों में शामिल थे जिनमें दर्जनों लोग मारे गए थे.
इराक ने 2017 में तथाकथित इस्लामिक स्टेट पर जीत का एलान किया. तब से वहां सैकड़ों संदिग्ध जिहादियों के खिलाफ मुकदमे चलाए गए हैं और कई बार लोगों को सामूहिक तौर पर फांसी पर चढ़ाया गया है.
आईएस ने 2014 में इराक के एक तिहाई हिस्से पर कब्जा कर लिया था. लेकिन इसके बाद आने वाले तीन सालों में अमेरिकी सैन्य अभियान की मदद से इस्लामिक स्टेट को ना सिर्फ इराक में बल्कि सीरिया में भी हरा दिया गया.
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न्याय व्यवस्था की खामियां
इराक में सैकड़ों लोगों को आतंकवाद से जुड़े मामलों में दोषी करार दिया गया है. लेकिन अधिकारियों ने उनमें से सिर्फ कुछ ही सजाओं पर अमल किया है, क्योंकि इसके लिए देश के राष्ट्रपति की मंजूरी लेनी पड़ती है.
इराकी अदालतों में दर्जनों विदेशी नागरिकों के खिलाफ भी आईएस से जुड़े होने के आरोप में मुकदमे चले हैं. इनमें से फ्रांस के 11 और बेल्जियम के एक नागरिक को फांसी की सजा सुनाई गई है. लेकिन उनकी सजा पर अभी अमल नहीं हुआ है.
इराक की सरकार ने इस बारे में जानकारी देने से इनकार कर दिया है कि संदिग्ध आतंकवादियों को कहां रखा गया है या फिर कितने लोगों के खिलाफ ऐसे मामलों में मुकदमे चल रहे हैं. कुछ अध्ययन बताते हैं कि लगभग बीस हजार लोगों को आईएस के साथ संबंध रखने के आरोप में हिरासत में रखा गया है.
आईएस के लिए हिरासत केंद्र
कुछ हिरासत केंद्रों को हाल के सालों में बंद किया गया है जिनमें बगदाद की अबू गरेब जेल भी शामिल है. इसी जेल से अमेरिकी अधिकारियों के हाथों शोषण का शिकार होने वाले कैदियों की तस्वीरें सामने आई थीं, जिसके बाद दुनिया भर में अमेरिका की आलोचना हुई थी.
एमनेस्टी इंटरनेशनल और अन्य मानवाधिकार समूहों का कहना है कि इराक की न्याय व्यवस्था में बहुत भ्रष्टाचार है और जज परिस्थितिजन्य सबूतों के आधार पर तुरत फुरत फैसले सुना रहे हैं. मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के अनुसार अभियुक्तों को अपना बचाव करने के लिए वकील भी नहीं मुहैया कराए जा रहे हैं. इराकी अधिकारी इस तरह के दावों को खारिज करते हैं.
एमनेस्टी इंटरनेशनल के मुताबिक, दुनिया भर में सबसे ज्यादा मौत की सजा देने वाले देशों में इराक पांचवें पायदान पर है. संगठन के अनुसार 2019 में वहां 100 लोगों को फांसी पर चढ़ाया गया. इसका मतलब है कि जितने भी लोगों को पिछले साल मौत की सजा दी गई, उनमें हर सातवां व्यक्ति इराक में फांसी के तख्ते पर झूला था.
एके/एमजे (रॉयटर्स, एएफपी)
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