इतिहास में आज: 30 जून
२९ जून २०१७1842 से 1898 के बीच तीन संधियों के जरिए ब्रिटेन के कब्जे में आया हांगकांग और उसके आस पास का इलाका करीब डेढ़ सौ सालों तक अंग्रेजी राज के अधीन रहा. मार्च 1979 में हांगकांग के गवर्नर मर्रे मैक्लेहोज पहली बार आधिकारिक दौरे पर चीन गए और वहां डेंग जियाओपिंग के साथ हांगकांग की संप्रभुता के मामले पर चर्चा की. तब हांगकांग को अपने देश में बड़े निर्माण के लिए कर्ज हासिल करने में दिक्कत हो रही थी. डेंग ने मौका अच्छा देख कर हांगकांग को वापस चीन के साथ आने का प्रस्ताव दिया और उसके लिए विशेष दर्जे की बात की.
मैक्लोहेज के चीन दौरे ने उसकी संप्रभुता के सवाल पर पड़ा पर्दा हटा दिया. ब्रिटेन उसकी इच्छाओं को जान सक्रिय हो गया उसने इलाके में अपने हितों की रक्षा के लिेए कदम उठाने शुरू कर दिए साथ ही आपातकाल में वहां से निकलने के लिए भी इंतजाम किए जाने लगे. तीन साल बाद ब्रिटेन की प्रधानमंत्री मार्गरेट थैचर ने एडवर्ड हीथ को अपना दूत बना कर चीन भेजा और हांगकांग के मुद्दे पर चीन के विचार के बारे में एक समझ बनाने की कोशिश की. इस बातचीत में डेंग ने पहली बार साफ साफ कहा कि उनका देश ब्रिटेन के साथ औपचारिक बातचीत के जरिए संप्रभुता के मसले को सुलझाना चाहता है.
इसके साथ ही लंबी बातचीत और समझौता की कोशिश का एक लंबा दौर शुरू हुआ और आखिरकार 19 दिसंबर 1984 को बीजिंग में ब्रिटेन और चीन ने इस हांगकांग की संप्रभुता के बारे में एक संयुक्त घोषणा पत्र पर दस्तखत किए. इसके जरिए यह फैसला लिया गया कि हांगकांग में चीन जैसी सोशलिस्ट सरकार नहीं बनेगी और यहां अगले 50 साल तक शासन का वही पूंजीवादी तौर तरीका रहेगा जो फिलहाल चल रहा है. यह घोषणापत्र भी इलाके के लोगों के मन से अनिश्चितता को दूर नहीं कर सका और बड़े पैमाने पर लोगों ने यहां से जाने में अपनी भलाई समझी. ब्रिटेन, कनाडा, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया से लेकर जांबिया और इक्वेडोर जैसे देशों तक में भी बड़ी संख्या में लोग यहां से गए.
इसके बाद करीब 13 साल तक कई और स्तरों पर लंबी बातचीत और कूटनीतिक प्रयासों के बाद आखिरकार हांगकांग को 30 जून 1997 की आधी रात को संप्रभुता मिली और 1 जुलाई से वह ब्रिटिश हुकूमत की कैद से पूरी तरह आजाद हो गया. हैंडओवर के जलसे में ब्रिटेन की ओर से प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर, प्रिंस चार्ल्स और तमाम दूसरे बड़े अधिकारी थे तो चीन की ओर से राष्ट्रपति जियांग जेमीन और हांगकांग में चीन के पहले चीफ एग्जिक्यूटिव तुंग ची-ह्वा मौजूद थे.