इतिहास में आज: 12 फरवरी
१४ जनवरी २०१४बेहद गरीब परिवार में पैदा हुए अब्राहम लिंकन को बचपन से ही पढ़ाई लिखाई का शौक था. उन्होंने अपने बलबूते वकालत की पढ़ाई की. 20 साल तक वो गरीबों और बेबस लोगों के मुकदमे मुफ्त या बहुत ही कम दाम में लड़ते रहे. इस दौरान अमेरिका में होने वाले भेदभाव, सामाजिक अन्याय, उत्पीड़न और दास प्रथा से वो ऐसे विचलित हुए कि उन्होंने पहले गृह युद्ध में सशस्त्र विद्रोह का रास्ता चुना और फिर राजनीति की राह पकड़ी.
छह फुट चार इंच की लंबी कद कांठी वाले लिंकन ने पहला स्थानीय चुनाव बुलंदी के साथ जीता. वो मेहनत और अच्छाई का ही नारा देकर दिल जीतते रहे. उन्होंने मुखर होकर दास प्रथा के खिलाफ आवाज उठायी. जनता से कहा कि अमेरिका को कोई बाहरी देश कभी तबाह नहीं कर सकता, लेकिन अमेरिका अगर तबाह होगा तो अपने लोगों की गलतियों की वजह से.
1861 में अब्राहम लिंकन अमेरिका के 16वें राष्ट्रपति बने. राष्ट्रपति बनते ही उन्होंने नस्लभेद के खिलाफ और मुखर ढंग से आवाज उठानी शुरू की. लिंकन ने अश्वेत अमेरिकियों को मतदान का अधिकार देने की वकालत की. अमेरिका को खड़ा करने के बावजूद वो लगातार कहते रहे कि मेहनत से कमाया एक डॉलर सड़क पर मिले पांच डॉलरों से ज्यादा कीमती होता है. अश्वेतों से चिढ़ने वाले लिंकन के इन कदमों से बौखला उठे, 15 अप्रैल 1865 को लिंकन को गोली मार दी गई, लेकिन विचारों की शक्ल में वो आज भी जीवित हैं.