इंसान के जुओं और पिस्सुओं से फैला प्लेग
१६ जनवरी २०१८नॉर्वे की ओस्लो यूनिवर्सिटी और इटली की फेरारा यूनिवर्सिटी की रिसर्च का दावा है कि प्लेग इंसान और उसके शरीर में रहने वाले परजीवियों की वजह से फैला. अब तक प्लेग के लिए चूहों को जिम्मेदार ठहराया जाता रहा है. नेशनल एकेडमी ऑफ साइंस में छपे लेख में कैथेरिन आर डीन ने कहा, "इस महामारी के प्रसार को लेकर कई तरह के सवाल हैं और यह भी कि आखिर ये इतनी तेजी से कैसे फैला." कैथेरिन आर डीन इस रिसर्च की प्रमुख हैं.
डीन और उनके साथियों ने 1348 से 1813 तक सामने आए प्लेग के नौ बड़े मामलों का अध्ययन किया. इस दौरान प्लेग की सबसे ज्यादा मार स्पेन के बार्सिलोना, इटली के फ्लोरेंस, यूके के लंदन, स्वीडन के स्टॉकहोम, रूस के मॉस्को और पोलैंड के ग्दांस्क शहर पर पड़ी. प्लेग ने करोड़ों लोगों की जान ली. हालत यह हो गई कि शव की अंतिम यात्रा तक के लिए लोग नहीं बचे. सारी मौतों के पीछे एक ही बैक्टीरिया जिम्मेदार था, येरसिनिया पेस्टिस. इसे प्लेग या ब्लैक डेथ भी कहा जाता है.
(प्लेग के रोगियों को भी अलग थलग कर दिया जाता था)
बीमारी इतनी तेजी से कैसे फैली, इसका पता लगाने के लिए वैज्ञानिकों ने तीन मॉडल बनाए. पहला शक था, चूहा. दूसरा शक था हवा के जरिये बीमारी का प्रसार और तीसरा कारण इंसानी परजीवी यानि इंसान के शरीर और उसके कपड़ों में रहने वाले पिस्सू और जुएं. नौ में से सात शहरों के प्लेग के महामारी बनने के पीछे इंसानी परजीवी मॉडल सामने आया. ओस्लो यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर निल्स स्टेनसेथ के मुताबिक, "नतीजा बहुत साफ था. अगर यह चूहों के जरिये फैला होता तो बीमारी इतनी तेजी से नहीं फैलती."
प्लेग का वायरस आज भी एशिया, अफ्रीका और अमेरिकी महाद्वीप के कुछ रोडेंट्स में पाया जाता है. चूहे, गिलहरी, शाही, बीबर, गिनिया पिग और कैपिबारा रोडेंट्स प्रजाति के जीव हैं. दुनिया में अब भी हर साल इंसानों में प्लेग के कुछ मामले सामने आ जाते हैं. वैज्ञानिक कहते हैं कि इस महामारी से बचाव का सबसे अच्छा तरीका एक ही है और वह है साफ सफाई.