आपसे बात करेगी कार
१९ मार्च २०१४जर्मनी की कार्ल्सरूहे यूनिवर्सिटी ने इस तरह की कार तैयार कर ली है. जाहिर सी बात है कि यह इंटरनेट से जुड़ी है और इशारों पर चल सकती है. कार के कैमरे आस पास की चीजें देख सकते हैं और कंप्यूटर खुद स्टीयरिंग घुमाने लगता है. सेंसर इतने कड़े हैं कि अगर पास से ट्रक गुजर रहा हो, तो कार का सेंसर इसे पकड़ लेता है. कार रुक जाती है, या रास्ता बदल लेती है.
कार विकसित करने वाले कार्ल्सरूहे यूनिवर्सिटी के क्रिस्टोफ श्टिलर कहते हैं कि इससे हादसे कम होंगे, "भविष्य की गाड़ी में 100 मेगाबाइट जितना डाटा प्रॉसेस करना होगा. इस वक्त तो यह इतना ज्यादा डाटा है, कि हम इसके बारे में सोच भी नहीं सकते. लेकिन कंप्यूटर तकनीक तेजी से बेहतर हो रही है और जल्द ही आप डाटा प्रॉसेस करके गाड़ी को कमांड दे सकेंगे."
कार बदलेगी तो सड़क पर चलने वाले ट्रैफिक का बर्ताव भी बदल जाएगा. सॉफ्टवेयर कंपनियां इस ताक में हैं कि कब नई गाड़ी बाजार में आए और वे कैसे नए सॉफ्टवेयर तैयार कर लें. इंटरनेट पर भविष्य की ट्रैफिक व्यवस्था की बानगी दिख सकती है. कारें आपस में संपर्क करेंगी, एक दूसरे से जुड़ी होंगी, आपस में सूचनाएं बांटते हुए आगे बढ़ेंगी, ताकि किसी तरह का हादसा न हो.
लेकिन सभी गाड़ियां एक दूसरे से तभी जुड़ेंगी, जब उनके बीच इंटरनेट कनेक्टिविटी हो. इंटरनेट से चलने वाली गाड़ियों का सपना बहुत जल्दी पूरा हो सकता है. जर्मन टेलिकॉम कंपनी के एक्सपर्ट हॉर्स्ट लेओनबर्गर का कहना है, "भविष्य में अलग तरह की कंपनियां भी इस उद्योग में आएंगी. गूगल तो अभी से शामिल है और यह उद्योग और सेवाएं उपलब्ध कराएगा. मेरे हिसाब से क्रांति आती दिख रही है, किस तरह कार उद्योग ऑनलाइन और इंटरनेट जगत में अपने को शामिल करेगा और अपने लिए जगह बनाएगा."
लेकिन सिर्फ सॉफ्टवेयर गाड़ी नहीं चला सकते. उसके लिए एक गाड़ी भी होनी चाहिए. यानी दोनों क्षेत्रों को ज्यादा सहयोग करने की जरूरत है. अगर ऐसा हुआ तो हो सकता है कि सड़कों पर कार अपने आप चलती जाए, और आप पिछली सीट पर बैठ कर दफ्तर के काम निपटा दें या फिर लूडो खेल लें.
रिपोर्टः मारियन ह्यूटर/एजेए
संपादनः ओंकार सिंह जनौटी