आइवरी कोस्टः बिगड़ते हालात, बेपरवाह राज
२२ दिसम्बर २०१०आइवरी कोस्ट में लगभग 15 हजार फ्रांसीसी नागरिक रहते हैं. पेरिस में सरकारी प्रवक्ता फ्रांकॉइस बैरोइन ने कहा, "सभी नागरिक अस्थायी तौर पर आइवरी कोस्ट छोड़ सकते हैं." उन्होंने कहा कि यह सिर्फ एक मशविरा है. जर्मन सरकार ने भी इसी तरह का कदम उठाया है. बर्लिन में विदेश मंत्रालय के बयान में कहा गया है कि सभी जर्मन नागरिक आइवरी कोस्ट छोड़ सकते हैं. साथ ही दूसरे लोगों से आइवरी कोस्ट न जाने को कहा गया है.
पश्चिम अफ्रीकी देश आइवरी कोस्ट गंभीर राजनीतिक संकट में घिरा है. 28 नवंबर को हुए राष्ट्रपति चु्नाव के दूसरे दौर में राष्ट्रपति लौरे ग्बैग्बो और विपक्षी उम्मीदवार अलासाने ओटारा, दोनों ने ही जीत का दावा किया है. चुनाव आयोग के नतीजों के मुताबिक ओटारा को विजेता घोषित किया गया है लेकिन ग्बैग्बो के समर्थकों वाली संवैधानिक परिषद ने चुनाव नतीजों को खारिज कर दिया. समूचा विश्व समुदाय ओटारा का समर्थन कर रहा है और ग्बैग्बो से पद छोड़ देने की अपील की जा रही है.
वहीं ग्बैग्बो इस बात पर अड़े हैं कि वही आइवरी कोस्ट के राष्ट्रपति हैं. उन्होंने संयुक्त राष्ट्र से देश की जनता पर युद्ध थोपने का आरोप लगाया. वह चाहते हैं कि फ्रांसीसी नागरिक और संयुक्त राष्ट्र के शांति सैनिक देश छोड़ दें. लेकिन संयुक्त राष्ट्र ने आइवरी में अपने शांति सैनिकों की तैनाती छह महीने के लिए बढ़ा दी है. ग्बैग्बो विदेशी ताकतों पर आइवरी कोस्ट के अंदरूनी मामलों में दखल का आरोप लगा रहे हैं और दुनिया भर के नेताओं की तरफ से पद छोड़ने की अपील को उन्होंने खारिज किया है.
यूरोपीय संघ ने सोमवार को ग्बैग्बो और उनके 18 साथियों के यूरोपीय संघ में आने पर पाबंदी लगा दी. अमेरिका ने भी उनके दर्जनों सहयोगियों को अपने यहां नहीं आने देने का फैसला किया है. संयुक्त राष्ट्र सुरक्ष परिषद ने कहा है कि अगर ग्बैग्बो पद नहीं छोड़ते हैं तो उन पर प्रतिबंध लगा दिए जाएंगे. विश्व बैंक ने आइवरी कोस्ट को दी जाने वाली मदद और उसके साथ होने वाली आर्थिक गतिविधियों पर रोक लगा दी है.
देश में तनावपूर्ण माहौल को देखते हुए संयुक्त राष्ट्र के महासचिव बान की मून ने 2002 के गृह युद्ध जैसी स्थिति पैदा होने की आशंका जाहिर की है.
रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार
संपादनः आभा एम