कई बड़े नाम शामिल हैं असम के प्रश्नपत्र घोटाले में
२८ सितम्बर २०२०असम में पुलिस अफसरों की नियुक्ति की परीक्षा के पेपर लीक होने के मुद्दे पर अब राजनीतिक दलों के बीच भी बहस शुरू हो गई है. 20 सितंबर को शुरू होने के कुछ देर बाद ही इस परीक्षा को रद्द कर दिया गया था. लगभग 66 हजार परीक्षार्थी इसमें शामिल हुए थे. विपक्षी कांग्रेस का आरोप है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने पर्चा लीक कराया था ताकि अपने लोगों को पुलिस में भर सके. इस मामले के तार असम पुलिस के एक पूर्व डीआईजी के अलावा बीजेपी नेताओं से जुड़े होने की खबरें सामने आई हैं. इसे मध्यप्रदेश के व्यापम से भी बड़ा घोटाला बताया जा रहा है. मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने हालांकि मामले की पूरी तहकीकात कर दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का भरोसा दिया है. लेकिन बावजूद इस मामले में पूरी सरकार कठघरे में खड़ी नजर आ रही है.
असम में 20 सितंबर को राज्य पुलिस में 597 पदों पर सब-इंस्पेक्टरों की भर्ती की परीक्षा का प्रश्नपत्र लीक हो गया था. इसके चलते असम राज्य स्तर पुलिस भर्ती बोर्ड (एसएलपीआरबी) ने परीक्षा शुरू होने के बाद उसे रद्द कर दिया. परीक्षा 20 सितंबर को होनी थी. लेकिन उससे एक दिन पहले यानी 19 सितंबर को ही सरकार की नाक के नीचे असम विधानसभा और सचिवालय के पास एक लॉज में 50 परीक्षार्थियों यह परीक्षा दे दी थी. बाद में खुफिया विभाग की एक टीम ने जब उस लॉज पर छापा मारा तो वहां से हाथ से लिखे प्रश्नपत्र बरामद किए गए. इसके अलावा कंप्यूटर की हार्ड डिस्क और परीक्षा से संबंधित अन्य सामग्री भी जब्त की गई. सोशल मीडिया पर इस खबर के वायरल होने के बाद मुख्यमंत्री सोनोवाल ने 20 सितंबर को इस मामले की जांच का एलान किया. उसके बाद छापेमारी का जो सिलसिला हुआ उसमें कई चौंकाने वाले नाम और तथ्य सामने आए हैं. इनमें राज्य पुलिस के पूर्व डीआईजी पीके दत्त के अलावा बीजेपी के वरिष्ठ नेता दिबान डेका और एक तांत्रिक के नाम सामने आए हैं. अब तक कुछ पुलिसवालों समेत 13 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. छापे के दौरान पूर्व डीआईजी दत्त की करोड़ों की अवैध संपत्ति का भी पता चला है.
उधर, बीजेपी नेता दिबान डेका फिलहाल फरार हैं. उन्होंने सोशल मीडिया पर अपनी एक पोस्ट में कहा है कि कुछ प्रभावशाली लोग उनकी हत्या का प्रयास कर सकते हैं. उनका दावा है कि इस घोटाले में असम पुलिस के कई बड़े और भ्रष्ट अधिकारी शामिल हैं. डेका का कहना है कि वह बीते 24 साल से बीजेपी में हैं और उनकी वजह से पार्टी या सरकार को कभी शर्मनाक स्थिति का सामना नहीं करना पड़ा है. डेका ने खुद को बेकसूर बताते हुए दावा किया है कि उनको 20 सितंबर को सुबह 11.28 बजे व्हाट्सऐप पर प्रश्नपत्र मिला और उन्होंने तत्काल एसएलपीआरबी अध्यक्ष प्रदीप कुमार को इसकी सूचना दे दी थी. परीक्षा दोपहर 12 बजे शुरू होनी थी. डेका ने सरकार से अपने परिवार को सुरक्षा मुहैया कराने की मांग की है. उन्होंने कहा है कि हालात सामान्य होने पर वह मीडिया के सामने आकर पूरे मामले का खुलासा करेंगे.
कमाई से ज्यादा जायदाद
जांच दल ने डेका का लैपटॉप, बैंक पासबुक और अन्य दस्तावेज कब्जे में ले लिए हैं. डेका की पत्नी से आवास पर ही कई घंटे तक पूछताछ की गई. इस बीच जेल में बंद किसान नेता अखिल गोगोई ने कहा है कि प्रश्नपत्र लीक घोटाला मध्य प्रदेश में हुए व्यापम घोटाले से भी ज्यादा बड़ा है. इस मामले में एक अभियुक्त हीरक ज्योति बरुआ ने पुलिस की पूछताछ में बताया है कि उसने नौकरी के लिए पूर्व डीआईजी दत्त को पांच लाख रुपये दिए थे. जांच एजेंसियों का कहना है कि पूर्व डीआईजी दत्त के आवास और दूसरे परिसरों में छापेमारी के दौरान पांच किलो सोने के अलावा करोड़ों की अवैध संपत्ति के बारे में पता चला है जो उनकी वैध आय से मेल नहीं खाती. दत्ता के गुवाहाटी में कई लक्जरी होटल और अन्य शहरों में कई अपार्टमेंट हैं. फिलहाल दत्त भी फरार हैं.
इस बीच, प्रश्नपत्र लीक होने की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए (एसएलपीआरबी) के अध्यक्ष प्रदीप कुमार ने रविवार को इस्तीफा दे दिया. कुमार ने इसके लिए परीक्षार्थियों व उनके परिवारों से माफी भी मांगी है. यह आरोप लग रहे हैं कि वह प्रश्नपत्र प्रदीप कुमार की पत्नी ने ही तैयार किया था. लेकिन प्रदीप ने इसका खंडन किया है. असम पुलिस के महानिदेशक भास्कर ज्योति महंत बताते हैं, "जांच में तमाम पहलुओं को ध्यान में रखा जा रहा है. सीआईडी और अपराध शाखा के साथ ही जिला पुलिस के अधिकारी भी जांच में शामिल हैं." उन्होंने बताया कि इस मामले में 13 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है. उनमें राज्य सिंचाई विभाग की एक महिला कर्मचारी और असम पुलिस के विशेष कार्यबल (एसटीएफ) का एक कर्मी शामिल हैं.
लीक पर राजनीतिक घमासान
दूसरी ओर, विपक्षी दल कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि असम पुलिस भर्ती परीक्षा के प्रश्नपत्र लीक घोटाले में बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता शामिल हैं और इसके पीछे आरएसएस का हाथ है. पार्टी ने आरोप लगाया है कि आरएसएस अपने काडर को राज्य पुलिस बल में प्रवेश दिलाने की योजना बना रहा है. पार्टी ने हाई कोर्ट के किसी मौजूदा न्यायाधीश से इस मामले की पूरी तहकीकात कराने की मांग की है. राज्यसभा सदस्य और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रिपुन बोरा कहते हैं, "असम पुलिस मुख्यमंत्री के अधीन आती है. पुलिस के खिलाफ पुलिस विभाग की जांच निष्पक्ष कैसे हो सकती है? हम हाई कोर्ट के किसी मौजूदा न्यायाधीश से निष्पक्ष जांच की मांग करते हैं. यह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की पुलिस बल में अपने काडर को प्रवेश कराने की योजना थी. इसलिए बीजेपी के नेता इस प्रक्रिया में शामिल हैं." उधर, ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (आसू) ने भी जगह-जगह प्रदर्शन करते हुए मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल के पुतले जलाए हैं.
मुख्यमंत्री सोनोवाल ने भरोसा दिया है कि इस मामले की जांच में पारदर्शिता बरतते हुए दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी. उनकी दलील है कि असम में पहले की सरकारों के कार्यकाल से ही भ्रष्टाचार की गंगा बह रही थी. मौजूदा सरकार ने भ्रष्टाचार-विरोधी अभियान चला कर इस पर काफी हद तक अंकुश लगाया है. सरकार पारदर्शी प्रक्रिया के जरिए राज्य के युवकों की बहाली करती रही है. राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि इस मामले की जांच बढ़ने के साथ ही कई और प्रभावशाली लोग इसके दायरे में आएंगे. एक विश्लेषक सीके हजारिका कहते हैं, "इस मामले से साफ है कि राज्य में भ्रष्टाचार की जड़ें कितनी गहरी हैं और पुलिस के आला अधिकारी से लेकर सत्ताधारी पार्टी के लोग तक इसमें शामिल हैं. इससे पहले की तमाम नियुक्तियों पर भी सवाल खड़ा हो गया है."
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