असम में पुलिस की कार्रवाई पर क्यों भड़के लोग
२४ सितम्बर २०२१शुक्रवार को बंद के दौरान पथराव और पुलिस के वाहनों पर हमले की छिटपुट घटनाओं की खबरें मिलीं. राज्य सरकार ने इस घटना की न्यायिक जांच के आदेश दे दिए हैं. बीजेपी ने इस हिंसा के पीछे इस्लामी संगठन पॉपुलर फ्रंट आफ इंडिया (पीएफआई) समेत कुछ अन्य राजनीतिक ताकतों का हाथ होने का संदेह जताया है. प्रभावित क्षेत्र में भारी तादाद में सुरक्षाबलों को तैनात किया गया है. इलाके का दौरा करने जा रहे कांग्रेस के एक प्रतिनिधिमंडल को भी रोक दिया गया है.
क्या है मामला
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने बीती 10 मई को सत्ता संभालने के बाद ही राज्य में सरकारी जमीन पर अवैध अतिक्रमण हटाने का एलान किया था. उसी के तहत राज्य के विभिन्न हिस्सों में ऐसी कार्रवाई की जा रही है. पहले भी कुछ इलाकों में इस दौरान हिंसक झड़पें हुई थी. इसी कवायद के तहत गुरुवार को भारी पुलिस बल के साथ दरंग जिले के सिपाझार इलाके में अवैध अतिक्रण हटाने की कार्रवाई शुरू की गई थी. प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक अतिक्रमणकारियों ने पुलिस की टीम पर पथराव किया और लाठियों और दूसरे धारदार हथियारों के साथ हमला बोल दिया. इसके जवाब में पुलिस ने फायरिंग की जिसमें दो लोगों की मौके पर ही मौत हो गई और कम से कम दो दर्जन लोग घायल हो गए. इनमें आठ पुलिस वाले भी शामिल हैं. बाद में एक घायल ने अस्पताल में दम तोड़ दिया.
हिंसक झड़प के दौरान एक मृतक के शरीर पर कूदने के आरोप में पुलिस के एक फोटोग्राफर विजय बनिया को भी गिरफ्तार कर लिया गया है. इस घटना का वीडियो और तस्वीरें कल शाम सोशल मीडिया पर वायरल हो गई थीं. इस वीडियो में एक व्यक्ति पुलिसवाले के पीछे लाठी लेकर दौड़ता नजर आ रहा है. लेकिन उसे घेर कर जब बाकी पुलिसवाले उस पर लाठी बरसाते हैं तो वह अधमरा हो जाता है. उसके बाद पुलिस का फोटोग्राफर उसके शरीर पर कई बार कूदता नजर आता है.
स्थानीय पत्रकार अभिजीत मजूमदार बताते हैं, "पुलिस की टीम जब अतिक्रमण हटाने पहुंची तो गांव वाले लाठी लेकर उनके सामने डट गए थे. उन्होंने पुलिस पर पथराव भी किया. बाद में सैकड़ों लोग वहां आ गए और पुलिस वालों पर हमला कर दिया. उसके बाद पुलिस ने जवाबी कार्रवाई शुरू की.”
स्थानीय लोगों का कहना है कि पुलिस के अभियान के दौरान उस व्यक्ति की बेटी की बांह में फ्रैक्चर हो गया था. इसी से नाराज होकर उसने लाठी लेकर पुलिसवाले को दौड़ा लिया था. बाद में उसे गोली मार दी गई और लाठी से पीटा गया जिससे उसकी मौत हो गई.
कैसे बढ़ा विवाद
घटनास्थल पर मौजूद सुकुर अली बताते हैं, "पुलिस वालों के मौके पर पहुंचने के बाद स्थानीय लोगों से उनकी कहासुनी हुई. विवाद बढ़ने पर गांव वालों ने पुलिस पर हमला कर दिया. उसके बाद पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े और फिर फायरिंग की.”
विशेष पुलिस महानिदेशक जी.पी.सिंह ने बताया, "दरंग जिले की घटना में दो लोगों की मौके पर मौत हो गई और कम से कम आठ पुलिस वाले घायल हो गए. घायल पुलिसवालों में एक की हालत गंभीर है. उनको गुवाहाटी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में दाखिल कराया गया है.” दरंग जिले के पुलिस अधीक्षक और मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा के भाई सुशांत बिस्वा सरमा बताते हैं, "हम अतिक्रमण हटाने के लिए मौके पर गए थे. लेकिन स्थानीय लोगों ने इसका विरोध किया. बाद में लोगों ने पथराव शुरू कर दिया. पुलिस ने आत्मरक्षा में जवाबी कार्रवाई की.”
एक पुलिस अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया, "पुलिस वालों पर हमला सुनियोजित था. यह जानकारी लोगों को पहले से थी कि इलाके में अतिक्रमण हटाओ अभियान चलाया जाएगा. इसलिए उन्होंने हमले की पूरी तैयारी कर ली थी.”
इससे पहले सरकार ने सोमवार को उसी इलाके में अतिक्रण हटाओ अभियान चलाया था जिसमें आठ सौ परिवारों के पांच हजार लोग बेघर हो गए थे. बीजेपी सरकार ने सत्ता में लौटने के बाद कहा था कि वह संदिग्ध नागरिकों का अतिक्रमण हटा कर वह जमीन स्थानीय लोगों को सौंपेगी.
आरोप प्रत्यारोप
इस बीच, सत्तारूढ़ बीजेपी और विपक्ष दलों में इस घटना पर आरोप-प्रत्यारोप का दौर लगातार तेज हो रहा है. बीजेपी ने आरोप लगाया है कि इस हिंसा को उकसाने में पीएफआई समेत कुछ राजनीतिक ताकतों का हाथ हो सकता है. इलाके के बीजेपी सांसद दिलीप सैकिया बताते हैं, "कल जो घटना हुई वह पीएफआई की कार्यप्रणाली से काफी मेल खाती है.. सरकार ने जांच के आदेश दे दिए हैं. इससे हकीकत सामने आ जाएगी.” उन्होंने कहा कि संदिग्ध नागरिकों को सरकारी जमीन से हटाया जा रहा है और पार्टी इस मामले में पूरी तरह सरकार के साथ है.
विपक्षी दलों ने सरकारी की इस कार्रवाई की निंदा करते हुए घटना की निष्पक्ष जांच की मांग की है. इस घटना के विरोध में आल असम माइनॉरिटी स्टूडेंट्स यूनियन (आम्सू) के नेतृत्व में कई संगठनों ने इलाके में सुबह पांच बजे से 12 घंटे बंद की अपील की है. आम्सू के नेताओं ने चेतावनी दी है कि अल्पसंख्यकों पर अत्याचार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.
दूसरी ओर, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेन कुमार बोरा के नेतृत्व में पार्टी के एक प्रतिनिधिमंडल को मौके का दौरा करने से रोक दिया गया. बाद में पार्टी ने जिला मुख्यालय मंगलदै में एक विरोध रैली आयोजित की. पार्टी ने अतिक्रमण हटाओ अभियान तुरंत रोकने, घटना की समुचित जांच करने और जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है.
आल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ) के विधायक अशराफुल हुसैन ने अपने एक ट्वीट में घटना का वीडियो शेयर करते हुए कहा, "एक धर्मांध और सांप्रदायिक सरकार की पुलिस अपने ही नागरिकों पर फायरिंग कर रही है. और हाथ में कैमरा लिए वह व्यक्ति कौन है.” उनकी दलील है कि अतिक्रमण के खिलाफ स्थानीय लोगों की अपील हाईकोर्ट में लंबित है. क्या सरकार अदालत के आदेश का इंतजार नहीं कर सकती थी?