अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में जिन्ना कैसे आए?
३ मई २०१८अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के छात्र संघ भवन में मोहम्मद अली जिन्ना की तस्वीर लगे होने पर छिड़ा वैचारिक विवाद अब हिंसक संघर्ष तक पहुंच गया है. बुधवार को एएमयू गेट पर प्रदर्शन कर रहे हिन्दू संगठनों से जुड़े कुछ छात्रों का पुलिस और विश्वविद्यालय के छात्रों के साथ हिंसक संघर्ष हुआ जिसमें कई लोगों को चोटें भी आईं. फिलहाल स्थिति शांतिपूर्ण बताई जा रही है.
विवाद की शुरुआत दो दिन पहले तब हुई जब अलीगढ़ से बीजेपी सांसद सतीश गौतम ने वाइस चांसलर को पत्र लिखकर विश्वविद्यालय परिसर के भीतर पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्नाह की तस्वीर लगे होने का कारण जानना चाहा. सतीश गौतम को आपत्ति इस बात पर है कि देश के बंटवारे के लिए जिम्मेदार व्यक्ति की तस्वीर वहां कैसे लगी?
इस बारे में विश्वविद्यालय प्रशासन का कहना है कि जिन्ना की तस्वीर विश्वविद्यालय के छात्रसंघ भवन में लगी है और ये छात्रसंघ का मामला है, इससे विश्वविद्यालय प्रशासन का कोई लेना-देना नहीं है. एएमयू के जनसंपर्क विभाग के प्रमुख शाफे किदवई कहते हैं कि छात्रसंघ विश्वविद्यालय का ही एक निर्वाचित निकाय है इसलिए विश्वविद्यालय प्रशासन उसके मामलों में हस्तक्षेप नहीं करता.
दरअसल, मोहम्मद अली जिन्ना की तस्वीर एएमयू के छात्र संघ भवन में काफी पहले से लगी है. बताया जा रहा है कि विश्वविद्यालय के छात्रसंघ भवन में ऐसे तमाम लोगों की तस्वीरें लगी हैं जिन्हें छात्र संघ ने मानद सदस्यता दे रखी है. विश्वविद्यालय प्रशासन के मुताबिक सबसे पहले गांधी जी को मानद सदस्यता दी गई थी, नेहरू को दी गई थी, सऊदी अरब के शाह को दी जा चुकी है और विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय कार्य करने वाले ऐसे तमाम लोगों को दी गई है.
मानद सदस्यता जिन्हें दी गई है उनमें से कई लोगों की वहां तस्वीरें भी लगी हैं. विश्वविद्यालय प्रशासन के मुताबिक जिन्ना की तस्वीर वहां 1938 से लगी है, इसलिए अब उस पर सवाल उठाने का कोई तुक नहीं समझ में आता. छात्र संघ से जुड़े लोगों ने इस बात पर सवाल उठाया है कि इसे लेकर बीजेपी सांसद अब क्यों पत्र लिख रहे हैं? एएमयू के पूर्व अध्यक्ष फैजुल हसन कहते हैं कि कोई सरकारी आदेश आएगा तो तस्वीर हट भी सकती है. उनके मुताबिक ऐसी कोई जिद नहीं है कि तस्वीर हटेगी नहीं, लेकिन उसे हटाने को जब सरकार कहेगी तभी ऐसा किया जाएगा.
दरअसल, एएमयू, बीएचयू और जेएनयू ये तीनों विश्वविद्यालय तभी से किसी न किसी रूप में विवादों में हैं जब से केंद्र में एनडीए सरकार आई है. पहले जेएनयू को कथित तौर पर राष्ट्रविरोधी ताकतों के अड्डे के रूप में प्रचारित करने की कोशिश की गई और वहां काफी विवाद हुआ. उसके बाद बीएचयू में भी राष्ट्रवाद जैसे मुद्दों पर महीनों हंगामा चलता रहा और अब एएमयू में यही सारी चीजें देखने को मिल रही हैं.
दिलचस्प बात ये है कि जेएनयू और एएमयू दोनों ही जगह विवाद के तार बीजेपी सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री सुब्रह्मण्यम स्वामी से जुड़े हैं. स्वामी ने पहले जेएनयू को नक्सली गतिविधियों का अड्डा बताया था और पिछले दिनों उन्होंने एएमयू को "आतंकवादी विचारों का अड्डा" करार दिया था. उनके इस बयान की काफी आलोचना भी हो रही है. एएमयू छात्र संघ ने इस बयान के लिए स्वामी की राज्य सभा सदस्यता ख़त्म करने की मांग की है.
इससे पहले एएमयू परिसर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखा लगाने को लेकर भी विवाद हो चुका है, या यों कहें कि विवाद अभी जारी है. आरएसएस के एक स्वयंसेवक ने पिछले सप्ताह वाइस चांसलर को एक पत्र लिखकर परिसर में शाखा लगाने की मांग की थी लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन ने यह कहकर इनकार कर दिया कि विश्वविद्यालय किसी भी राजनीतिक दल या संगठन के कैम्प या शाखा को परिसर में लगाए जाने की इजाजत नहीं देगा.
इसके ठीक बाद ही बीजेपी सांसद सतीश गौतम ने मोहम्मद अली जिन्ना की तस्वीर लगाए जाने का मामला उठा दिया जिसके जवाब में विश्वविद्यालय प्रशासन का कहना है कि जिन्ना को विश्वविद्यालय छात्र संघ की आजीवन सदस्यता 1938 में दी गई थी. इसके अलावा जिन्ना विश्वविद्यालय कोर्ट के संस्थापक सदस्य थे और विश्वविद्यालय के लिए दान भी दिया था.
एएमयू छात्र संघ के एक पदाधिकारी का कहना था कि जिन्नाह को ये सदस्यता उस समय दी गई थी जब मुस्लिम लीग ने पाकिस्तान की मांग भी नहीं उठाई थी. उनके मुताबिक यह तस्वीर अविभाजित भारत की विरासत की बहुमूल्य निशानी है और किसी ने कभी इस मुद्दे को न तो उठाया और न ही विरोध किया.
यहां तक कि जिस भारतीय जनता पार्टी के सांसद ने इस मामले को उठाया है, उत्तर प्रदेश में उसी पार्टी के एक कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने इसकी आलोचना की है और जिन्नाह को एक महान शख्सियत बताया है. मौर्य के मुताबिक, "राष्ट्र निर्माण में जिन्नाह का भी योगदान था और उनके योगदान पर सवाल उठाने वाले घटिया मानसिकता के हैं.”
मौर्य के इस बयान के बाद जिन्नाह के मुद्दे पर बीजेपी विभाजित दिख रही है. पार्टी के ही एक अन्य सांसद हरनाथ सिंह यादव ने स्वामी मौर्य से माफी मांगने या फिर उन्हें पार्टी से निकाले जाने की मांग कर डाली है.