(1918-2013)
६ दिसम्बर २०१३गुरुवार, 5 दिसंबर, 2013. यह तारीख दक्षिण अफ्रीका और पूरी दुनिया में अपनी पहचान छोड़ गई. जोहानिसबर्ग में अपने परिवार वालों के बीच नोबेल पुरस्कार विजेता नेल्सन मंडेला ने अलविदा कहा. इतनी बड़ी घटना को बताने के लिए राष्ट्रपति जैकब जूमा को खुद सामने आना पड़ा, "हमारे राष्ट्र ने अपने सबसे महान पुत्र को खो दिया. हमारे लोगों ने अपना पिता खो दिया. हालांकि हमें पता था कि यह दिन आएगा, लेकिन इस क्षति को भरना बहुत मुश्किल दिख रहा है."
रंगभेद नीति के खिलाफ संघर्ष करने वाले मंडेला के बारे में जूमा ने कहा, "निश्चित तौर पर यह हमारे लिए सबसे ज्यादा दुख का समय है." दक्षिण अफ्रीका के पहले अश्वेत राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला को लोकतांत्रिक दक्षिण अफ्रीका का संस्थापक माना जाता है. देश के लोगों ने मंडेला को याद किया और उनके महान जीवन का जश्न मनाया. सभी नस्लों के 100 से ज्यादा लोग उस घर के बाहर जमा हुए, जहां उन्होंने आखिरी सांस ली. वहां जमा लोगों ने राष्ट्रगान गाया और नृत्य किया.
मंडेला की मौत की खबर बताते हुए जूमा ने कहा कि किस तरह मंडेला ने "स्वतंत्रता के लिए अथक परिश्रम किया, जिससे दुनिया भर में उनका नाम हुआ". जूमा का यह बयान दक्षिण अफ्रीका के सभी टेलीविजन चैनलों और रेडियो स्टेशनों पर प्रसारित हुआ.
मंडेला ने 1994 में हुए पहले लोकतांत्रिक चुनाव में जीत हासिल की और पांच साल तक देश की सेवा की. मंडेला 2004 के बाद आम तौर पर सार्वजनिक जीवन से दूर हो गए. उन्हें आखिरी बार 2010 में सार्वजनिक तौर पर देखा गया, जब दक्षिण अफ्रीका ने विश्व कप फुटबॉल की मेजबानी की.
इस साल के शुरू में उनकी सेहत अचानक गिर गई और उन्हें जून में अस्पताल भेजा गया. उनके फेफड़े में इंफेक्शन हो गया था. सितंबर में उन्हें घर भेज दिया गया लेकिन कड़ी देखभाल की शर्त के साथ.
मंडेला के साथ जेल में रहने वाले रंगभेद विरोधी कार्यकर्ता अहम कथरादा ने बताया कि हाल के महीनों में मंडेला की सेहत बहुत खराब हो गई थी, "मैं उन्हें 67 साल से जानता हूं. मैंने अपनी पूरी जिंदगी में उन्हें एक मजबूत शख्स के तौर पर देखा है. जब मैंने उन्हें अस्पताल में देखा, तो लगा कि वह अपनी छाया के बराबर हैं."
मंडेला का जन्म 1918 में देश के दक्षिण पूर्वी हिस्से में हुआ. उन्होंने 1943 में अफ्रीकी नेशनल कांग्रेस (एएनसी) में कदम रखा. उनकी मदद से 1961 में पार्टी की सैनिक टुकड़ी बनी. लेकिन 1964 में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और उम्र कैद की सजा मिली. उन्हें 27 साल तक जेल में रहना पड़ा, जिसमें कुछ खासे मेहनत के साल भी थे. इसकी वजह से उनके फेफड़े और आंखों पर बहुत खराब असर पड़ा.
एएनसी के महासचिव ग्वेदे मनताशे ने कहा, "उन्हें पार्टी से प्यार था. वह कहा करते कि मौत के बाद वह स्वर्ग में एएनसी की सबसे नजदीकी शाखा ज्वायन करेंगे."
सजा के दौरान जब मुकदमा चला, तो मंडेला ने कहा कि वह न्यायसंगत दक्षिण अफ्रीका के लिए संघर्ष जारी रखेंगे, "मैंने श्वेत प्रभुत्व के खिलाफ संघर्ष किया. मैं अश्वेत प्रभुत्व के खिलाफ भी संघर्ष करूंगा. मैंने एक लोकतांत्रिक समाज का सपना देखा है, जहां हर कोई बराबरी से रह सके."
मंडेला के वकील रह चुके जॉर्ज बिजोस ने कहा कि मंडेला इतिहास में ऐसे शख्स की तरह याद किए जाएंगे, जिसने यह साबित कर दिया कि लोगों के बुनियादी मतभेद बिना हिंसा के भी हल किए जा सकेंगे.
एए/एजेए (रॉयटर्स, एएफपी, एपी)