"अलगाववादियों की शर्तें मानने के मूड में सरकार"
५ सितम्बर २०१०कश्मीर मुद्दे पर केंद्र सरकार को कटघरे में खड़ा करने के लिए बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी ने अपने ब्लॉग का सहारा लिया है. "जम्मू कश्मीर में स्थिति पर गृह मंत्री पी चिदंबरम को जवाब देना था लेकिन दिन गुजरते जा रहे हैं और कश्मीर मुद्दे पर जो बहस होनी है वह नहीं हो पा रही है." आडवाणी के मुताबिक ऐसी अटकलें हैं कि सरकार राजनीतिक समाधान के नाम पर केंद्र सरकार एक पैकेज तैयार कर रही है, जिसमें अलगाववादियों को कई रियायतें दिए जाने की संभावना है.
"लोकसभा में इस मुद्दे पर भारी हंगामा होने पर संसदीय कार्य मंत्री ने पी चिदंबरम को राज्यसभा से लोकसभा में बुलाने की बात कही. लेकिन वह नहीं आए. सरकार ने संसद को यह नहीं बताया कि आजादी की मांग कर रहे लोगों के लिए किस तरह का पैकेज तैयार किया जा रहा है." वार्ता के लिए कट्टरपंथी अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी की शर्तों की ओर इशारा करते हुए आडवाणी ने कहा कि विरोध प्रदर्शन करने के तरीके बदलते रहे हैं लेकिन लक्ष्य भारतीय शासन से आजादी पाना ही रहा है.
आडवाणी ने राज्य में वर्तमान हालात के लिए पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी को भी जिम्मेदार ठहराया. "कश्मीर में अलगाववादियों का नेतृत्व हुर्रियत कांफ्रेंस करती है लेकिन पत्थरबाजी के लिए हुर्रियत के बजाए पीडीपी से प्रदर्शनकारियों को ताकत मिली है."
शनिवार को सीपीएम महासचिव प्रकाश करात ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मुलाकात कर कश्मीर के मुद्दे पर विचार विमर्श किया है. 2008 में भारत अमेरिका परमाणु समझौते के मसले पर समर्थन वापस लेने के बाद सीपीएम नेता और प्रधानमंत्री में पहली बार बैठक हुई है. करात के मुताबिक कश्मीर में राजनीतिक संकट को सुलझाने के लिए ज्यादा से ज्यादा स्वायत्तता देने के लिए एक नया राजनीतिक फॉर्मूला तैयार करने पर बात हुई है. प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने प्रकाश करात के सुझावों पर विचार करने का भरोसा दिया है.
रिपोर्ट: एजेंसियां/एस गौड़
संपादन: ए जमाल