अफगानिस्तान में शांति की उम्मीदें
१९ जून २०१३हमला मंगलवार को उसी दिन हुआ जब सुरक्षा की जिम्मेदारी अफगान सैनिकों को सौंप दी गई और तालिबान ने कतर में एक संपर्क केंद्र खोला. तालिबान के एक प्रवक्ता ने बुधवार को कहा कि काबुल से 45 किलोमीटर दूर बागराम की हवाई चौकी पर दो बड़े रॉकेट छोड़े गए, जिसमें चार अमेरिकी सैनिक मारे गए और छह घायल हुए. इस समय अफगानिस्तान में अमेरिका के 66,000 सैनिक तैनात हैं.
दोहा में तालिबान दफ्तर खोले जाने के बाद अफगान विवाद के जल्द समाधान की उम्मीद बंधी है. अमेरिका ने अफगान तालिबान के साथ जल्द बातचीत शुरू करने की घोषणा की है. एक अमेरिकी अधिकारी ने कहा है कि आने वाले दिनों में तालिबान के साथ संपर्क स्थापित किया जाएगा. इसी हफ्ते मिलने की घोषणा के बाद तालिबान और अमेरिका ने 12 साल के खूनी और महंगे संघर्ष के शीघ्र खत्म होने की उम्मीदें बढ़ दी हैं. बातचीत की शुरुआत के लिए दोहा में दफ्तर खोलने के बाद तालिबान ने कहा है कि वह समस्या का राजनीतिक समाधान और अफगानिस्तान में विदेशी कब्जे का अंत चाहता है.
अमेरिकी अधिकारियों की योजना है कि पहली बातचीत में तालिबान के साथ बातचीत के ढांचे पर चर्चा होगी. उसके दो हफ्ते बाद दूसरी बैठक होगी. अमेरिका के साथ संपर्क स्थापित होने के बाद तालिबान अफगानिस्तान की उच्च शांति परिषद से संपर्क करेगा जो उसके साथ राष्ट्रपति हामिद करजई की ओर से शांति वार्ता करेगा. लेकिन बातचीत शुरू करने के प्रयासों को अफगानिस्तान में तालिबान के ताजा हमले से धक्का लगा है.
अमेरिकी अधिकारियों ने कहा है कि दोहा में बातचीत गुरुवार को शुरू होगी, लेकिन साथ ही चेतावनी दी है कि कभी हां कभी ना वाली बातचीत कठिन होगी और उसके सफल होने की कोई गारंटी नहीं है. राष्ट्रपति हामिद करजई की सरकार ने भी कहा है कि वह अपनी एक टीम को दोहा भेज रहा है. एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा है कि तालिबान बातचीत के लिए तैयार है. कूटनीतिक प्रयासों का लक्ष्य तालिबान और अफगान सरकार के प्रतिनिधियों को बातचीत की मेज पर लाना है.
अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने प्रस्तावित बातचीत को "अहम पहला कदम" बताया है, लेकिन साथ ही कहा है कि यह एक लंबी प्रक्रिया होगी. उत्तरी आयरलैंड में हुए जी8 सम्मेलन के हाशिए पर उन्होंने कहा, "अफगानों के नेतृत्व में और उनके द्वारा तय शांति प्रक्रिया हिंसा को खत्म करने और अफगानिस्तान तथा इलाके में स्थायी स्थिरता का सबसे अच्छा रास्ता है." राष्ट्रपति ने तालिबान से अल कायदा से संबंध तोड़ने और हिंसा छोड़ने की मांग की है.
अमेरिकी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता जेनिफर साकी ने वाशिंगटन में कहा कि तालिबान और अल कायदा का अलग होना बातचीत की प्रक्रिया का दूरगामी लक्ष्य है. साथ ही उन्होंने कहा है कि अमेरिका के अफगान-पाक दूत जेम्स डॉबिंस अंकारा होते हुए दोहा जा रहे हैं. 2001 तक अफगानिस्तान पर शासन करने वाले और उसके बाद से अमेरिका के खिलाफ गुरिल्ला युद्ध चला रहे तालिबान को अपने दोहा दफ्तर के खुलने से तालिबान और दुनिया के बीच संवाद की उम्मीद है. तालिबान के प्रवक्ता ने कहा है कि उनका संगठन अमेरिका के साथ और जरूरत पड़ने पर अफगानिस्तान सरकार के साथ शीघ्र बातचीत के लिए तैयार है. इस बातचीत में गुआंतानामो के अमेरिकी जेल में बंदियों के बारे में भी चर्चा होगी.
संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून ने बातचीत की कोशिशों का स्वागत किया है. उनके एक प्रवक्ता ने कहा, "यह हिंसा को समाप्त करने का एकमात्र रास्ता है." तालिबान को समर्थन देने वाले अफगानिस्तान के पड़ोसी पाकिस्तान ने भी बातचीत की योजना को सकारात्मक बताया है. माना जा रहा है कि पाकिस्तान ने संशय में पड़े तालिबान को शांति वार्ता के लिए तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. अमेरिका दो साल से वातचीत की कोशिश कर रहा है, लेकिन उसका कोई नतीजा नहीं निकला है. पूर्व संयुक्त राष्ट्र अधिकारी स्कॉट स्मिथ का कहना है, "एक चीज जो बदली है, वह वार्ता के लिए पाकिस्तान का समर्थन है."
अफगानिस्तान की पुलिस और सेना द्वारा मंगलवार को देश भर में सुरक्षा की जिम्मेदारी लिए जाने को भी उम्मीद की किरण माना जा रहा है. अफगानिस्तान में तैनात 100,000 विदेशी सैनिक अब सिर्फ अफगान सुरक्षाकर्मियों को मदद देने की भूमिका निभाएंगे. 2014 के अंत तक विदेशी युद्धक सैनिक अफगानिस्तान से वापस हो जाएंगे. हालांकि इस बात पर संदेह व्यक्त किया जा रहा है कि क्या 350,000 अफगान सुरक्षाकर्मी कट्टरपंथियों से होने वाले खतरे का मुकाबला करने की स्थिति में हैं.
एमजे/एनआर (एएफपी, रॉयटर्स)